नीतीश ने मोदी से मांगा धन और विशेष दर्जा
बिहार विधानसभा चुनाव का मंच भले ही न सजा हो, लेकिन असर सरकारी मेल-मुलाकात में दिखने लगा है। भाजपा से अलगाव के बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली मुलाकात हुई तो मुद्दे चुनावी ही थे। नीतीश ने फिर से विशेष राज्य की मांग दोहराई।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बिहार विधानसभा चुनाव का मंच भले ही न सजा हो, लेकिन असर सरकारी मेल-मुलाकात में दिखने लगा है। भाजपा से अलगाव के बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली मुलाकात हुई तो मुद्दे चुनावी ही थे। नीतीश ने फिर से विशेष राज्य की मांग दोहराई। साथ ही 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों से होने वाले नुकसान का हवाला देकर राज्य के लिए अतिरिक्त धनराशि की मांग की। बिहार के विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा और जदयू आमने-सामने होंगे। लिहाजा भाजपा जहां 14वें वित्त आयोग और आन्ध्र प्रदेश की तर्ज पर राज्य के लिए विशेष पैकेज का हवाला देकर खुद की पीठ थपथपा रही है। वहीं, नीतीश का आरोप है कि नए राजकाज में बिहार को पांच साल में लगभग 50 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है।
बैठक के बाद नीतीश ने कहा कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होने पर 2015-16 में यह नुकसान करीब 10,000 करोड़ रुपये होगा। इसके अलावा केंद्र ने अगले वित्त वर्ष से कई केंद्र प्रायोजित योजनाओं की फंडिंग रोककर उन्हें राज्यों को हस्तांतरित करने का फैसला किया है। इसके चलते राज्य के खजाने पर और बोझ पड़ेगा। इसलिए उन्होंने इस ऐवज में प्रधानमंत्री से अतिरिक्त धनराशि जारी कर इस नुकसान की भरपाई करने मांग की है।
साथ ही उन्होंने बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा की मांग भी की, ताकि राज्य को कर छूट मिल सके। इससे बिहार को निवेश जुटाने में मदद मिलेगी और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के क्रियान्वयन में राज्य को कम धनराशि का योगदान करना होगा। ध्यान रहे कि सरकार की ओर से बार-बार यह याद दिलाया जा रहा है कि इस बार केंद्र ने अपने पास सिर्फ 32 फीसद राजस्व रखकर 68 फीसद राज्यों को बांट दिए हैैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट करार दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पीएम ने राज्य की आशंकाओं को दूर करने का भरोसा भी दिया है। बताया जाता है कि करीब 40 मिनट चली मुलाकात के दौरान मोदी व नीतीश ने भूमि अधिग्रहण विधेयक और देश में उद्योग लगाने के मद्देनजर इसे पारित करने की जरूरत जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की।
नीतीश ने एक ज्ञापन भी प्रधानमंत्री को सौंपा, जिसे सोमवार को पटना में हुई सर्वदलीय बैठक के आधार पर तैयार किया गया है। भाजपा ने इस बैठक का बहिष्कार किया था जबकि जदयू, कांग्रेस, राजद, भाकपा और माकपा ने इसमें भाग लिया था। ज्ञापन में बिहार को 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों से हुए नुकसान की बात भी कही गई है।
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