DNA विवाद पर नीतीश ने PM मोदी को लिखी खुली चिट्ठी, पढ़ें पूरा लैटर
बीत 25 जुलाई को मुजफ्फरपुर में एनडीए की रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर आलोचना की थी। इसमें उन्होंने मुख्यमंत्री के 'डीएनए' को खराब बताया था। इसपर नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के नाम एक खुला पत्र जारी किया है। आइए देखें।
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश ने पिछले दिनों मुजफ्फरपुर की जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनके डीएनए पर की गई टिप्पणी पर कड़ा एतराज जताया है। बुधवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उन्होंने कहा कि आपकी टिप्पणी ने मुझे और समाज के एक बड़े तबके को गहरी ठेस पहुंचाई है।
आपके इन शब्दों से न सिर्फ बिहार बल्कि बिहार से बाहर रहने वाले लोगों ने भी खुद को अपमानित महसूस किया है। आप कुछ दिनों में फिर बिहार आने वाले हैं। मेरा आपसे यह अनुरोध है कि आप अपने शब्दों को वापस लेने पर विचार करें। नीतीश कुमार ने इस पत्र की प्रति को बुधवार सुबह 10.21 बजे ट्विटर पर भी शेयर किया।
नीतीश कुमार ने पत्र में प्रधानमंत्री से कहा है कि मैं आपको उन सभी लोगों की ओर से यह पत्र लिख रहा हूं जो आपकी इस टिप्पणी से आहत हुए हैं।
यह आम विचार है कि आपके द्वारा की गई यह टिप्पणी आपके पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है। मुझे पूरा विश्वास है कि आपके द्वारा अपने शब्द वापस लेने से लोगों की आहत भावनाओं को राहत मिलेगी, जिससे आपके प्रति न सिर्फ उनका सम्मान बढ़ेगा, बल्कि उनकी नजरों में आपका कद और भी ऊंचा हो जाएगा। लेकिन, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि हम लोगों पर इस तरह की टिप्पणी की गई हो। इसके पहले भी आपके साथी और भाजपा नेता नितिन गडकरी ने कहा था कि 'जातिवाद बिहार के डीएनए में है।'
नीतीश कुमार ने आगे कहा-'मोदी जी, यह एक विडंबना है कि पिछले ही साल इन्हीं बिहारवासियों ने आप पर विश्वास करते हुए आपकी अगुवाई में बहुमत सरकार बनाने में महत्वपूर्ण योगदान किया था।' यह वही राज्य है जहां मानव सभ्यता फली-फूली, इस धरती ने इतिहास की अनेक महान विभूतियों को जन्म दिया है। मेरा मानना है कि इस तरह के वक्तव्यों से जनता के मन में आपके नेतृत्व के प्रति विश्वास में कमी आई है। मैं बिहार का बेटा हूं।
इस लिहाज से मेरा और बिहार के लोगों का डीएनए एक जैसा ही है। आप जानते हैं कि मेरे पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे और मां एक सामान्य गृहिणी। मैं बिहार के ग्रामीण परिवेश के एक साधारण परिवार में पला-बढ़ा हूं। चालीस वर्षों के राजनीतिक जीवन में मैंने गांधी, लोहिया, जेपी क आदर्शों पर चलने का प्रयत्न किया है और अपनी क्षमता के अनुसार जनता के हित के लिए काम किया है।
हमारा यह मानना है कि आपके वक्तव्य ने मेरे वंश पर सवाल उठाया ही है, साथ ही बिहार की विरासत और बिहारी अस्मिता को भी ठेस पहुंचाई है। इस तरह के वक्तव्य इस धारणा को भी बल देते हैं कि आप और आपकी पार्टी हम बिहारवासियों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित है। मुझे आश्चर्य होता है कि आपके सचेत विवेक ने इन वक्तव्यों की गंभीरता को क्यों नहीं समझा?
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नीतीश के आचरण से बड़ा है बिहार : रविशंकर
उधर, नीतीश कुमार के इस ट्वीट पर भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। आज नई दिल्ल्ाी में संसद भवन के बाहर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार अपने आचरण की तुलना बिहार से नहीं करें। बिहार उनसेे बहुत बड़ा है। बिहार को सबको साथ लेकर चलना आता है। उन्होंने नीतीश कुमार से पूछा कि मोदी के आने के अंदेशे से भोजन पर बुलाकर उसे रद्द करना ही बिहार का डीएनए है क्या?
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आइए देखें, नीतीश कुमार का नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र....
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माननीय मोदी जी,
कुछ दिनों पहले बिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आपने मेरे डीएनए पर जो टिप्पणी की, उससे मुझे और समाज के एक बड़े तबके को गहरी ठेस पहुंची है। मेरा मानना है कि आपके इन शब्दों से न सिर्फ बिहार बल्कि बिहार से बाहर रहने वाले लोगों ने भी खुद को अपमानित महसूस किया है। आप कुछ दिनों में फिर बिहार आने वाले हैं। मैं आपको उन सभी लोगों की ओर से यह पत्र लिख रहा हूं, जो आपकी इस टिप्पणी से आहत हुए हैं। यह आम विचार है कि आपके द्वारा की गयी यह टिप्पणी आपके पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है।
लेकिन, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि हम लोगों पर इस तरह की टिप्पणी की गयी हो। इसके पहले भी आपके साथी और भाजपा नेता श्री नितिन गडकरी जी ने कहा था कि “जातिवाद बिहार के डीएनए में है।” मोदी जी, यह एक विडम्बना ही है कि पिछले ही साल इन्हीं बिहारवासियों ने आप पर विश्वास करते हुए आपकी अगुवाई में बहुमत की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण योगदान किया था। यह वही राज्य है जहां मानव सभ्यता फली-फूली। इस धरती ने इतिहास की अनेक महान विभूतियों को जन्म दिया है। मेरा मानना है कि इस तरह के वक्तव्यों से जनता के मन में आपके नेतृत्व के प्रति विश्वास में कमी आयी है।
मैं बिहार का बेटा हूं। इस लहजे से मेरा और बिहार के लोगों का डीएनए एक जैसा ही है। मोदी जी, आप जानते हैं कि मेरे पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे और मां एक सामान्य गृहिणी। मैं बिहार के ग्रामीण परिवेश के एक साधारण परिवार में पला-बढ़ा हूं। चालीस वर्षों के राजनैतिक जीवन में मैंने गाँधी, लोहिया, जेपी के आदर्शों पर चलने का प्रयत्न किया है और अपनी क्षमता के अनुसार जनता के हित के लिए काम किया है। हमारा यह मानना है कि आपके वक्तव्य ने मेरे वंश पर सवाल तो उठाया ही है, साथ ही, बिहार की विरासत और बिहारी अस्मिता को भी ठेस पहुंचाई है। इस तरह के वक्तव्य इस धारणा को भी बल देते हैं कि आप और आपकी पार्टी हम बिहारवासियों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। मुझे आश्चर्य होता है कि आपके सचेत विवेक ने इन वक्तव्यों की गंभीरता को कैसे नहीं समझा?
अतः इस पत्र के माध्यम से मेरा आपसे यह अनुरोध है कि आप अपने शब्दों को वापस लेने पर विचार करें। मुझे पूरा विश्वास है कि ऐसा करने से लोगों की आहत भावनाओं को राहत मिलेगी। जिससे आपके प्रति न सिर्फ उनका सम्मान बढ़ेगा, बल्कि उनकी नजरों में आपका कद और भी ऊँचा हो जायेगा।
आपका
नीतीश कुमार