UP में दिनेश शर्मा को बर्थ-डे पर मिली डिप्टी CM की कुर्सी, बहन ने साझा की यादें
यूपी के नव निर्वाचित उपमुख्यमंत्री दिनेश सिंह का कल जन्मदिन भी था और कल ही उन्होेंने पद की शपथ भी ली। उनसे जुड़ी यादों को उनकी बहन ने साझा कीं।
By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 20 Mar 2017 10:53 AM (IST)Updated: Mon, 20 Mar 2017 11:43 PM (IST)
पटना [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा का रविवार को जन्मदिन था। 52वें जन्मदिन पर उन्हें उत्तर प्रदेश में शानदार तोहफा मिला। उनकी डिप्टी सीएम के रूप में ताजपोशी हुई। इसपर पटना में रहने वाली उनकी बहन पूनम राज ने भाजपा के बिहार प्रदेश कार्यालय में मिठाइयां बांटी। बधाई स्वीकार किया और यादें साझा कीं।
चार दशक पहले राजेश मिश्रा से विवाह के बाद पूनम लखनऊ से पटना आ गईं। पूनम शर्मा से पूनम राज बन गईं। अध्ययन और अध्यापन के प्रति दिलचस्पी ने शिक्षाविद् बना दिया। दिनेश शर्मा उनके छोटे भाई हैं।
बकौल पूनम, नवरात्र में कन्या-भोज का सुयोग बनता। हम बहनें जिमने बैठतीं और दिनेश हमारी थाली में पसंद की खाद्य सामग्री छांट-छांटकर देते।
पूनम कहतीं हैं कि इस सौभाग्य की पृष्ठभूमि लखनऊ में रामलीला के मंचन के साथ ही पड़ गई थी। बतौर मेयर दिनेश शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रामलीला देखने के लिए आमंत्रित किया। मोदी जी मुख्य अतिथि बनकर आए। दिनेश शर्मा के हाथों उपहार में गदा स्वीकार किया। जाते-जाते उनके कार्यों की प्रशंसा कर गए। उसके बाद चुनाव में दिनेश शर्मा ने रात-दिन एक कर दिया। पार्टी ने भी काम और ईमानदारी का शानदार तोहफा दिया।
पूनम कहती हैं कि मैं तो भाजपा की आभारी हूं। उत्सुकता तो 11 मार्च को चुनाव परिणाम के साथ ही बढ़ गई थी, लेकिन शुक्रवार तीसरे पहर तक वह चरम पर रही। पूनम बताती हैं कि जैसे ही दिनेश शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की सूचना मिली, मैंने वाट्सएप पर मैसेज किया। 'यशस्वी भव। 2019 तुम्हारा है।
उन्होेंने कहा कि मैें अपने भाई को शीर्षस्थ देखना चाहती हूं। जन्मदिन का तोहफा स्वीकार करो। उधर से प्रतिक्रिया मिली, 'धन्यवाद। आपको भी शुभकमानाएं। भाई की इस बढ़त को देखने-सुनने से बढ़कर एक बहन को और क्या खुशी चाहिए?
उत्साह के अतिरेक में पूनम राज की आंखें सजल हो गईं। बताती है कि दिनेश शुरू से ही शांत स्वभाव है। किताब-कॉपी में रमे रहते थे। युवा होते-होते स्वभाव में आध्यात्मिकता का पुट भी आ गया। आज भी सुबह घर के मंदिर में पूजा-पाठ किए बगैर घर से बाहर नहीं निकलते।
प्रकृति और प्रभु में अगाध आस्था रखते हैं। उनकी पत्नी जया अहमदाबाद स्थित आइआइएम में अध्यापन कार्य छोड़कर दिनेश का साथ निभाने लखनऊ में रम गईं। अब जन-सेवा का बड़ा अवसर है और ईश्वर से प्रार्थना कि वे सफल हों।
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