बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो
नीतीश कुमार ने 21 विधानसभा में बहुमत साबित कर लिया। सरकार के पक्ष में 131 वोट मिले, वहीं विपक्ष को मात्र 108 वोट मिले। बिहार में एक बार फिर से नीतीशे कुमार हैं।
पटना [रवि रंजन]। वर्ष 2015 में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी थी। जदयू और भाजपा अलग-अलग खेमों में थी। एक तरफ एनडीए तो दूसरी ओर महागठबंधन। जदयू राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर भाजपा से लोकसभा चुनाव में मिली कारारी शिकस्त का बदला लेने के लिए कमर कस चुकी थी।
इसी बीच एक गाना काफी लोकप्रिय हुआ था। वह गाना था "बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो, फिर से एक बार हो, नीतीशे कुमार हो"। यह गाना सभी लोगों की जुबानी हो गया था। आखिरकार चुनाव के नतीजे आये। महागठबंधन ने एनडीए को कारारी शिकस्त दी। बिहार में एक बार फिर से नीतीशे कुमार मुख्यमंत्री बने।
आज यह गाना इसलिए जेहन में आ रहा है क्योंकि वर्ष 2005 से बिहार में बहार लाने के लिए नीतीश कुमार को जनता ने सीएम बनाया और लगातार बिहार की सत्ता नीतीशे कुमार चला रहे हैं।
वर्ष 2005
2005 के विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार ने न्याय यात्रा निकाली। पूरे बिहार में घूमकर जनता से समर्थन मांगा। जंगलराज दूर करने का वादा किया। लालूराज से उब चुकी जनता ने नीतीश कुमार के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। एनडीए के नेतृत्व में नीतीश कुमार को बड़ी सफलता मिली। पूर्ण बहुमत की सरकार बनी।
नीतीश कुमार सीएम बने। बिहार में बहार आयी। कानून व्यवस्था में बदलाव देखने को मिला। अपहरण उद्योग पूरी तरह से बंद हो गया। बड़े-बड़े अपराधी जिनके आतंक से लोग अपना घर-बार छोड़ चुके थे, वे जेलों में बंद दिखने लगे।
जनवरी 2006 से मई 2010 के बीच 48437 अपराधियों को फास्टट्रैक अदालत ने सजा सुनायी। नकारात्मक विकास के लिए बदनाम बिहार 2008-09 के बीच देश का दूसरा सबसे तेज विकासदर वाला राज्य बन गया। जहां पहले गड्ढ़ों में सड़क थी, अब वहां सड़क से भी गड्ढ़े दूर हो गये। गांव के अस्पतालों में डॉक्टर नजर आने लगे।
नीतीश कुमार ने समाज के अंतिम पायदान के लोगों तक विकास पहुंचाने का काम किया। भाजपा के साथ रहते हुए भी मुसलमानों को अपनी तरफ लाने में कामयाब रहे। सोशल इंजीनियरिंग का वह फार्मूला विकसित किया, जिससे पिछड़ो और दलितों में अपनी पकड़ मजबूत की।
यूं कहें तो नीतीश कुमार का यह कार्यकाल बिना किसी बड़े विवाद के साथ पूरा हुआ। जनता को भी इनके प्रति विश्वास जगा। बिहार में सत्ता परिवर्तन का असर साफ तौर पर दिखा। बिहार में एनडीए ने सफलतापूर्वक 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा किया और बिहार में विकास की निश्चित तौर पर एक नई इबारत लिखी गई।
वर्ष 2010
वर्ष 2010 में फिर से विधानसभा चुनाव हुआ। जनता ने नीतीश कुमार द्वारा किये गये विकास को देखते हुए पुन: विश्वास जताया। एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला। नीतीश कुमार 26 नवंबर 2010 मुख्यमंत्री पद की शपथ लिये। भाजपा के सहयोग से तीसरी बार नीतीश मुख्यमंत्री बने और उनकी कैबिनेट में सुशील मोदी को डिप्टी सीएम का पद मिला।
वर्ष 2013
सरकार के तीन साल पूरे हो चुके थे। वर्ष 2013 आ गया था। 2014 में लोकसभा चुनाव होने वाला था। भाजपा की ओर से गुजरात के निवर्तमान मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का चेहरा चुने जाने से नीतीश कुमार थोड़े असहज हो गये।
नरेंद्र मोदी के चेहरे को सांप्रदायिक बताने को लेकर एनडीए के दो बड़े घटक दलों के बीच मनमुटाव शुरू हुआ। बयानबाजी तेज हुई और 15 जून 2013 को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने भाजपा से अपना 17 वर्ष पुराना गठबंधन तोड़ने की औपचारिक घोषणा कर दी है।
उस समय नीतीश कुमार ने कहा था कि जदयू अपने बुनियादी सिद्धांतों से समझौता कर किसी गठबंधन में नहीं बनी रहेगी। हम इस गठबंधन के टूटने के जिम्मेवार नहीं है और न ही इस गठबंधन के टूटने से जदयू को कोई फर्क पड़ने वाला है।
बिहार में गठबंधन ठीक चल रहा था लेकिन बाहरी हस्तक्षेप के चलते उसमें भी दरार आई है। इसके बाद भाजपा और जदयू अलग-अलग हो गये। नीतीश कुमार सदन में विश्वासमत हासिल करने में कामयाब रहे। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीशे कुमार बने रहे।
वर्ष 2014-15
वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव हुआ। चुनाव में जदयू को महज 2 सीटें मिली। आलोचनाओं का दौर शुरू हुआ। इसके बाद 20 मई 2014 को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन जीतन राम मांझी अपने नेता नीतीश कुमार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए और 22 फरवरी 2015 को जीतन राम मांझी को इस्तीफा देना पड़ा। 22 फरवरी 2015 को बिहार में फिर से नीतीशे कुमार मुख्यमंत्री।
लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए वर्ष 2015 के नवंबर में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया। महागठबंधन ने क्लीन स्वीप करते हुए बिहार में अपनी सरकार बनाई। बिहार में पांचवी बार नीतीशे कुमार मुख्यमंत्री बने।
वर्ष 2017
महागठबंधन की सरकार 20 महीने तक चली। इसी बीच उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआइ ने शिकंजा कसना शुरू किया। विरोधी खेमे भाजपा के नेता सुशील मोदी लगातार लालू परिवार पर गलत तरीके से संपत्ति हथियाने का आरोप लगाते रहे। असर ये हुआ कि महागठबंधन के घटक दलों के बीच तकरार तेज हो गई।
करीब 20 दिनों तक चले विवाद के कारण 20 महीने तक चली सरकार से सीएम नीतीश कुमार ने 19 तारीख की शाम छह बजे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके तुरंत बाद भाजपा ने सीएम नीतीश को समर्थन देने का एलान किया।
रात में ही जदयू और भाजपा के तमाम विधायकों की नीतीश कुमार के आवास पर बैठक हुई। राज्यपाल को समर्थन पत्र सौंपा गया। अगले दिन 20 तारीख को सुबह 10 बजे नीतीश कुमार बिहार में एक बार फिर से नीतीशे कुमार मुख्यमंत्री बने गये।
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21 तारीख को सीएम नीतीश ने सदन में बहुमत साबित कर दिया। सरकार के पक्ष में 131 वोट मिले, वहीं विपक्ष को मात्र 108 वोट मिले। सरकार महागठबंधन की हो या एनडीए की हर बार बिहार में नीतीशे कुमार मुख्यमंत्री बने।
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