बिहार : पैतृक गांव प्रतापपुर पहुंचे शहाबुद्दीन, सिवान में जश्न का माहौल
सिवान के पूर्व राजद सांसद और बाहुबली नेता शहाबुद्दीन शनिवार को भागलपुर जेल से आज सुबह रिहा हो गए। रिहा होने के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे नेता लालू यादव हैं।
पटना [जागरण टीम]। तेजाब कांड में हाईकोर्ट से जमानत के बाद सिवान के पूर्व राजद सांसद मो.शहाबुद्दीन आज सुबह भागलपुर जेल से रिहा हो गए। भागलपुर जेल से बाहर निकलने के बाद शहाबुद्दीन सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ सिवान स्थित पैतृक गांव प्रतापपुर पहुंच चुके हैं। इसके पहले जगह-जगह समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया। गोपालगंज में आतिशबाजी के दौरान समर्थकों के दो गुट आपस में ही भिड़ गए थे।
खगड़िया में शहाबुद्दीन समर्थकों ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया। समस्तीपुर के विधायक अख्तरूल इमाम शाहीन ने समस्तीपुर के मुसरी घरारी में मो.शहाबुद्दीन सहित पूरे काफिले का स्वागत किया। इसके बाद वैशाली जिले के कावा चिकलौटा में भोजन के बाद काफिला मुजफ्फरपुर के रास्ते सिवान के लिए बढ़ चला।
उनका काफिला मुजफ्फरपुर से एनएच 28 से पीपराकोठी और डुमरिया घाट पुल होेते हुए गोपालगंज और वहां से सिवान पहुंचा। सिवान में समर्थकों में उनकी एक झलक पाने की बेताबी दिखी। उनके पैतृक गांव प्रतापपुर में भी जश्न का माहौल है। वहां दिन में ही उनके स्वागत की तैयारी शुरू हो गई थी।
लंबे समय बाद सिवान आ रहे शहाबुद्दीन के स्वागत में पूरे शहर में जगह-जगह तोरण द्वार बनाए गए थे। हरे रंग के बैलून से सड़कें पटी रहीं।
नीतीश को बताया परिस्थितियों का मुख्यमंत्री
13 साल जेल में बिताने के बाद जमानत पर जेल से रिहा होने के बाद शहाबुद्दीन काफी खुश नजर आए और जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार हमारे परिस्थितियों के नेता हैं।लेकिन लालू यादव ही हमारे नेता हैं।
जेल से बाहर आने के बाद शहाबुद्दीन ने मीडिया के प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि कोई मुझसे क्यों डरेगा? मैं कोई डरावनी चीज तो हूं नहीं? ये सब कहना गलत है कि लोग मुझसे डरे हुए हैं। मुझे आतंक का पर्याय कहना गलत है। मैं 13 साल बाद अपने घर जा रहा हूं। पिछले 10 साल से मैंने किसी से मुलाकात नहीं की है और न कोई पब्लिक मीटिंग की है।
राजदेव रंजन हत्याकांड पर बोले शहाबुद्दीन-सीबीआई से पूछिए
पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड मामले में पूछे जाने पर शहाबुद्दीन ने कहा कि यह मामला किसी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आया था, वहीं लोग बताएंगे या सीबीआई बताएगी। उन्होंने कहा कि कौन कहता है कि सिवान में लोग डरे हुए हैं? सिवान की बाइस लाख जनता में अगर दस लोग बेवजह डरे हुए हैं तो मैं क्या कर सकता हूं? कोई मेरी वजह से डरा हुआ है ये बात मुझे नहीं पता, सिवान के लोग खुश हैं।
उन्होंने कहा कि जो लोग यह कह रहे वो लोग मेरा इमेज खराब कर रहे हैं। शहाबुद्दीन ने कहा कि वह घर जाने के बाद राजदेव के परिवार से भी मिलेंगे।
सुशील मोदी के बयान को गंभीरता से नहीं लेता
भाजपा नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि मैं उन्हें गंभीरता से नहीं लेता। शहाबुद्दीन ने न्यायलय पर विश्वास जताया और कहा कि मुझे न्याय मिलेगा इसपर पूरा भरोसा था। लंबे अंतराल के बाद जेल के बाहर की हवा और परिवार के पास जाने की खुशी है।
PICS : 13 साल बाद जेल से रिहा हुए राजद के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन, देखें तस्वीरें...
किया लालू यादव का गुणगान
शहाबुद्दीन ने जेल से बाहर आने के बाद राजद सुप्रीमो लालू यादव का गुणगान किया और कहा कि लोगों को मेरा सफेद कपड़ा पसंद है, अगर नहीं पसंद आएगा तो अब जींस पहन लेेंगे। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार मेरे परिस्थितियों के नेता हैं और हमारे नेता लालू प्रसाद यादव हैं।
जेल के बाहर जुटी थी समर्थकों की भीड़
शनिवार सुबह करीब 7:15 बजे शहाबुद्दीन जेल से बाहर आए। इस मौके पर हजारों की तादात में उनके समर्थक जेल के पास जुटे थे। जैसे से शहाबुद्दीन गेट से बाहर आए भगदड़ मच गई। उनके पास जाने के लिए लोग आगे बढ़ने लगे। जेल के बाहर हजारों समर्थक एक सुर में नारेबाजी कर रहे थे। सबके चेहरे पर खुशी झलक रही थी।
इस दौरान कुछ मीडियाकर्मियों के कैमरे गिर गए और उन्हें हल्की चोट भी आई। स्थिति को संभालने के लिए पुलिस ने हल्के बल का प्रयोग किया। हाथों में बधाई का पोस्टर लिए लोग शनिवार सुबह से ही जेल के पास खड़े थे। शहाबुद्दीन यहां से 38 गाड़ियों के काफिले के साथ सीवान के लिए चले हैं। उनके साथ हजारों लोग भी हैं।
देर शाम काफिला पहुंचा सिवान
भागलपुर से निकला शहाबुद्दीन का काफिला शाम में सिवान पहुंचा। शहाबुद्दीन के काफिले में मुख्य लोगो में सिवान से जीरादेई के विधायक रमेश कुशवाहा, गिरधारी यादव, रघुनाथपुर विधायक हरिशंकर यादव, सहित कई नेता शामिल रहे।
भागलपुर जेल में भरा था बांड
इसके पहले शहाबुद्दीन ने गुरुवार को जमानत की शर्त वाले बंध पत्र पर अपने दस्तखत कर दिए। पूर्व राजद सांसद के वकील और नजदीकी उक्त बेल बांड पेपर को लेकर सिवान के लिए निकल गए।
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शुक्रवार को सिवान से जारी हुआ था रिहाई का आदेश
सिवान में पूर्व सांसद के अधिवक्ता अभय कुमार राजन ने कहा कि शनिवार को शहाबुद्दीन जेल से रिहा हो जाएंगे। उच्च न्यायालय से मिली जमानत के आदेश की प्रति आ चुकी है। इसके आलोक में शुक्रवार को बेल बांड अदालत में दाखिल किया गया। साथ ही रिलीज आर्डर भी मिल गया। इसके बाद कारा प्रशासन ने रिलीज आर्डर भागलपुर सेंट्रल कारा भेजा गया था।
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19 मई को भेजे गए थे भागलपुर
शहाबुद्दीन को सिवान जेल से 19 मई को छह माह के प्रशासनिक आदेश पर भागलपुर की विशेष केंद्रीय कारा में लाया गया था। यहां उनकी कमर में दर्द की शिकायत बाद मेडिकल बोर्ड की स्वीकृति से दिल्ली के एम्स में उपचार के लिए 29 जून को कड़े सुरक्षा घेरे में भेजा गया था। उपचार बाद उन्हें प्रशासनिक आदेश की अवधि तक भागलपुर जेल में रहने के लिए वापस लाया गया था।
अगवा कर तेजाब से दो भाइयों को नहला दिया
- चंदा बाबू ने वर्ष 1996 में बड़हरिया स्टैंड के पास एक कट्ठा नौ धूर जमीन रामनाथ गौंड़ से रजिस्ट्री करायी.
- इस जमीन पर छह दुकानें थीं, जो रजिस्ट्री के बाद खाली हो गयी. एक दुकान नागेंद्र तिवारी के कब्जे में थी, जो खाली नहीं कर रहे थे।
- दुकान की दावेदारी काे लेकर नागेंद्र ने मुकदमा कर रखा था। दूसरी तरफ चंदा बाबू उस दुकान को खाली कराने के लिए दबाव बना रहे थे।
- मामला फंसता देख नागेंद्र ने फर्जी कागजात तैयार कराया और सिवान के ही मदन शर्मा (गाड़ी मिस्त्री) को जमीन रजिस्ट्री कर दी।
- वर्ष 2004 के अगस्त महीने से जमीन पर कब्जा करने की कवायद शुरू हुई. नागेंद्र ने दुकान में ताला लगा रखा था। उधर चंदा बाबू ने भी उसी दुकान में अपना भी ताला लगा दिया। अंदरखाने टसल बढ़ने लगी।
- 16 अगस्त 2004 को कब्जा करने के नीयत से पहुंचे लोगों ने मारपीट की. इस दौरान अपने बचाव में चंदा बाबू के बेटे सतीश राज ने तेजाब फेंका, जो कुछ लोगों के ऊपर पड़ा।
- यहीं से विवाद बढ़ गया अौर 16 अगस्त को ही बारी-बारी से चंदा बाबू के तीनों बेटों का अपहरण किया गया, जिनमें से दो को उसी रात तेजाब से नहला कर मार दिया गया।
- बड़ा बेटा चंगुल से भाग निकला. वह कई साल तक लापता रहा। 6 जून, 2011 को उसने बतौर चश्मदीद गवाही दी।
- 16 जून, 2004 को उसकी भी सिवान में गोली मारकर हत्या कर दी गयी।
- 11 दिसंबर, 2015 को शहाबुद्दीन समेत चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी।