डॉक्टर दंपती की रिहाई की कहानी में हैं कई पेंच
गया के डॉ. पंकज गुप्ता और उनकी पत्नी की सकुशल रिहाई की कहानी में कई पेंच नजर आ रहे हैं।
जागरण टीम, पटना। गया के डॉ. पंकज गुप्ता और उनकी पत्नी की सकुशल रिहाई की कहानी में कई पेंच नजर आ रहे हैं। राज्य के डीजीपी पीके ठाकुर ने पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि डॉ. गुप्ता और उनकी पत्नी को अपहर्ताओं ने लखनऊ रेलवे स्टेशन पर लाकर छोड़ा था जबकि दूसरी तरफ डॉ. गुप्ता ने गया में मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि उन्हें डेहरी में छोड़ दिया गया।
डीजीपी ने संवाददाताओं से यहां तक कहा कि जिस वाहन से डॉक्टर दंपती को लखनऊ रेलवे स्टेशन लाकर छोड़ा गया था वह वाहन फाच्र्यूनर था, जिसे बाद में पुलिस ने अपहर्ताओं के कब्जे से बरामद किया है। उधर, गया में डॉ. पंकज गुप्ता व उनकी पत्नी शुभ्रा गुप्ता जब मीडिया से बातचीत कर रहे थे तब मौके पर गया के डीएम संजय कुमार अग्रवाल भी थे। डॉक्टर और उनकी पत्नी के अनुसार अपहर्ताओं ने उन्हें डेहरी स्टेशन के आसपास छोड़ा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि तब हमें पता नहीं था कि हम यहां कैसे आए। लेकिन जब हमने आसपास के लोगों से पूछा तो बताया गया कि पास में ही डेहरी-ऑन-सोन स्टेशन है। इसके बाद स्टेशन पहुंचे। पैसे नहीं थे इसलिए टिकट नहीं लिया। एक ट्रेन आई जो गया जाने वाली थी। हम ट्रेन की एसी बोगी में बैठ गए। पास में न तो मोबाइल था, न पैसे। बोगी में अन्य यात्रियों को भी हम नहीं बता सकते थे कि हम दोनों कौन हैं। दोपहर ट्रेन गया जंक्शन पहुंची। वहां से टेंपो पकड़कर घर आ गए। उन्होंने बताया कि जिस दिन अपहरण हुआ था, हमने एक चेकपोस्ट को पार किया था। पीछे से तेजी से आ रही एक फाच्र्यूनर ने मेरी ऑडी कार को ओवरटेक किया और पुलिस की वर्दी में चार लोग वाहन से उतरे। उन्होंने शीशे से इशारा कर खिड़की खुलवाई। डॉ. गुप्ता ने कहा मैं कार चला रहा था। शीशा हटाते ही एक ने वाहन की चाबी खींच ली और हमें व पत्नी को पीछे वाली सीट पर बिठा दिया। इसके बाद जिसने चाबी छीनी थी वह खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और तेजी से वाहन को भगाने लगा। इस बीच, उन्होंने हमें जबरन बोतल में रखा पानी पिला दिया। उसके बाद कुछ कुछ याद नहीं। जब आंख खुली तो देखा कि हम दोनों एक अच्छे से कमरे में हैं। जिसमें टीवी व टेलीफोन की सुविधा नहीं थी। हमें वहां किसी तरह की यातना नहीं दी गई। समय पर चाय, नाश्ता व अच्छा भोजन दिया जा रहा था। हमें कहां ठहराया गया था, उस जगह या शहर के बारे में जानकारी नहीं है।
मंगलवार की रात हम दोनों को बताया गया कि आप के चलते पूरा बवाल मचा है। बहुत जल्द ही आप दोनों को छोड़ दिया जाएगा। इसके बाद पता नहीं किस तरह और कब दोनों को उस कमरे से निकाला गया। यह पता नहीं। बुधवार को जब स्वयं को सड़क के आसपास पाया। तो लोगों से पूछने पर पता चला कि डिहरी-आन-सोन स्टेशन पास में ही है। फिरौती की राशि की बात से इन्कार कर रहे दोनों का कहना था कि इज्जत व सम्मान का पूरा ख्याल रखा गया।