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महादेव का सबसे प्रिय माह है सावन

सावन भगवान शंकर का सबसे प्रिय माह है। सावन में पूजा-अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं पर महादेव की कृपा हमेशा बरसती रहती है। इस दौरान शिव परिवार के अभिषेक, भजन-कीर्तन, उपवास एवं आरती करने का विशेष महत्व है।

By Amit AlokEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 01:20 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2015 01:24 PM (IST)
महादेव का सबसे प्रिय माह है सावन

पटना। सावन भगवान शंकर का सबसे प्रिय माह है। सावन में पूजा-अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं पर महादेव की कृपा हमेशा बरसती रहती है। इस दौरान शिव परिवार के अभिषेक, भजन-कीर्तन, उपवास एवं आरती करने का विशेष महत्व है।

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पटना के आचार्य पण्डित विनोद झा वैदिक का कहना है सावन में भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। भगवान शिव काे अभयदानी कहा गया है। उनकी शरण में जाने वाले भक्तों का शत्रु कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। भक्त को महादेव सभी कष्टों से मुक्त कर देते हैं।

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रुद्राभिषेक का विशेष महत्व

पटना के बड़ी पटनदेवी मंदिर के महंथ विजय शंकर गिरी ने बताया कि भगवान महादेव को ही रुद्र कहा गया है। रुद्र का अभिषेक ही रुद्राभिषेक है। खासकर सावन में रुद्राभिषेक करने वाले भक्त की हर मनोकामना पूर्ण होती है। प्राय: अभिषेक जल, दूध, दही, मधु, घी, फल का रस, ईख के रस आदि से की जाती है।

ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान शंकर के विष पान करने के बाद पृथ्वी जलने लगी। तब देवताओं ने महादेव को अभिषेक करना शुरू किया। उन्हें जल के अतिरिक्त मधु, रस, घी एवं दूध आदि से अभिषेक किया जाता है।

रुद्र के पूजन से सब देवताओं की पूजा स्वत: संपन्न हो जाती है। शास्त्रों में विविध उपायों से शिवलिंग पर अभिषेक करने की बात है। अलग-अलग सामग्रियों से अभिषेक करने का फल अलग मिलता है।

शिव-भक्तों को यजुर्वेदविहित विधान से रुद्राभिषेक करना चाहिए। असमर्थ व्यक्ति प्रचलित मंत्र-ऊं नम: शिवाय को जपते हुए भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं।

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अभिषेक व उसके फल

  • जल : वर्षा
  • कुशोदक : असाध्य रोगों से शांति
  • दही : भवन-वाहन का लाभ
  • गन्ने का रस : लक्ष्मी की प्राप्ति
  • शहद व घी : धन वृद्धि के लिए
  • तीर्थ का जल : मोक्ष का मार्ग प्रशस्त
  • दूध : पुत्र की प्राप्ति
  • शीतल जल : ज्वर की शांति
  • शक्कर मिला दूध : जड़बुद्धि से मुक्ति
  • सरसों का तेल : शत्रु पराजित
  • शहद : यक्ष्मा (तपेदिक) से मुक्ति
  • शुद्ध घी : आरोग्यता

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पूजन सामग्री

  • चन्दन, अक्षत, दीप, धूप, फूल, फल, मिष्ठान, रोली, दूब, विल्वपत्र, धतूरा, शमी पत्र आदि
  • चन्दन : सौभाग्य का प्रतीक है।
  • अक्षत : अकाल मृत्यु से बचाता है।
  • दीप : जीव को प्रकाशमय बनाता है।
  • धूप : निरोग काया प्रदान करता है।
  • फूल : जीवन का आनंद प्राप्त होता है।
  • फल : भोगों की प्राप्ति होती है।
  • दूब : शांति मिलती है।
  • शमी पत्र : शोक का नाश होता है।
  • विल्वपत्र : भक्ति की प्राप्ति

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शिववास में करें विशेष पूजा

भगवान शंकर की पूजा शिववास में की जाए तो विशेष फल मिलता है। पटना के आचार्य विनोद झा वैदिक का कहना है कि शिववास उस समय को कहा जाता है, जब भगवान शंकर मां पार्वती के साथ धरती पर विचरण करते हैं।


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