Move to Jagran APP

जनतंत्र : आपदा के साथ जीना और बढ़ना सीखना होगा

सुमिता जायसवाल, पटना। भौगोलिक संरचना के कारण बिहार देश का ऐसा राज्य है, जहां बाढ़ व सू

By Edited By: Published: Thu, 24 Sep 2015 02:53 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2015 02:53 AM (IST)
जनतंत्र : आपदा के साथ जीना और बढ़ना सीखना होगा

सुमिता जायसवाल, पटना। भौगोलिक संरचना के कारण बिहार देश का ऐसा राज्य है, जहां बाढ़ व सूखा एक साथ अलग-अलग क्षेत्रों में होता है। यह राज्य भूकंप, तूफान, महामारी और अगलगी जैसी आपदा से भी अछूता नहीं है। यहां भीषण गर्मी और सर्दियों का मौसम होने के कारण लू और शीतलहर से भी प्रति वर्ष सैकड़ों लोग काल के गाल में समा जाते हैं। ऐसे में बिहार को इन आपदाओं के साथ पलना, बढ़ना और जीना सीखना होगा। साल 2008 में आई कोसी की बाढ़ और 1936 का भूकंप देश में भयावह आपदा के रूप में आज भी याद की जाती है। कोसी बाढ़ में लाखों लोगों को कैम्प में रहने को विवश होना पड़ा था, तो 1936 के भूकंप में 10,000 लोगों की मौत हुई थी।

loksabha election banner

बाढ़ की मारक क्षमता है अधिक

उत्तर बिहार की नदियों कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, कमला, भूतही बलान और बागमती का उद्गम नेपाल में है। ये ऊपर से नीचे की ओर बहती हैं। ये नदियां मानसून में भारी मात्रा में बिहार के मैदानी इलाकों में तलछट जमा कर देती है। जिससे यहां कम बारिश होने पर भी नदियों में भयंकर उफान आ जाता है। इन नदियों के कारण बाढ़ की संभावना 50 गुना बढ़ जाती है। बिहार के कुल क्षेत्रफल 94,160 वर्ग किमी. में 68,800 वर्ग किमी. क्षेत्र यानी कुल भौगोलिक क्षेत्र का 73 फीसदी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आता है। बिहार की कुल आबादी की 76 फीसदी जनसंख्या बाढ़ प्रभावित जिलों में रहती है। राज्य के 38 जिलों में से 28 जिले बाढ़ प्रवण हैं।

भूकंप से भारी क्षति का अंदेशा

बिहार भूकंप के हाई सेसमिक जोन में आता है। यहां की कुल आबादी की 15.2 फीसद आबादी जोन-4 और जोन-5 में आती है, जहां भूकंप के कारण भयंकर तबाही की संभावना है। बिहार के 38 जिलों में से आठ जिले सेसमिक जोन-5 में, 24 जिले जोन-4 में और छह जिले जोन-6 में आते हैं। बिहार के दक्षिण और दक्षिणी-पश्चिम जिले प्राय: सूखे की चपेट में आते हैं। हालांकि सूबे में सूखा वर्षा की कमी के कारण नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के कारण होता है।

समुचित प्रबंधन ही बचाव

प्राकृतिक आपदा को रोका नहीं जा सकता, मगर आपदा के लिए अलर्ट का सिस्टम विकसित किया जा सकता है। जिससे जानमाल की क्षति को कम से कम किया जा सके। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार और बिहार राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने आपदा के दौरान क्षति कम करने के लिए कई कदम उठाया है। जिसके तहत लोगों में जागरूकता फैलाना, स्टेक होल्डर्स को प्रशिक्षण देना, आपदा रोधी भवन निर्माण की गाइडलाइन जारी करना और भूकंप सुरक्षा क्लीनिक और केंद्र प्रमुख है। हाल ही में आपदा प्रबंधन प्राधिकार के सदस्य डॉ. उदयकांत मिश्र की पहल पर आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर रिवर स्टडीज खोलने की योजना है।

देश का पहला भूंकप सुरक्षा केंद्र

राज्य में देश के पहले भूकंप सुरक्षा क्लीनिक की स्थापना राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी), पटना की सहायता से जनवरी 2015 में की गई है। यहां भूकंपरोधी भवन निर्माण और वर्तमान भवनों को भूकंपरोधी बनाने व सुदृढ़ीकरण के लिए निश्शुल्क सलाह व मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है। वर्तमान में यह केंद्र भारत सरकार प्रायोजित नेशनल स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम के तहत जोन-5 में आने वाले 400 स्कूलों के भवन की 'रैपिड विजुअल स्क्रीनिंग' का कार्य कर रहा है।

केंद्र के निदेशक और एनआइटी के प्रो डॉ. अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि स्ट्रक्चरल इंजीनिय¨रग के पीजी के छात्र इस केंद्र के लिए भूकंप, बाढ़ और चक्रवात जैसी आपदा पर काम कर रहे हैं। उनके दो पेपर का चयन अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में हुआ है। कांफ्रेंस का आयोजन इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर इंटीग्रेटेड डिजॉस्टर रिस्क मैनेजमेंट की ओर से 28-30 अक्टूबर 2015 में नई दिल्ली में किया जाएगा।

बाढ़ की भयावहता खत्म की जाएगी

सेंटर फॉर रिवर स्टडीज में राज्य में पहली बार नदियों पर शोध कार्य शुरू किए जाएंगे। इसमें आइआइटी, कानपुर और एनआइटी, पटना को भी जोड़ने की योजना है। दावा है कि नदियों पर किए जाने वाले शोध बिहार में हर साल बाढ़ की विभीषिका कम करने में सहायक होंगे। इससे जानमाल की क्षति को शून्य किया जा सकेगा। इसके अलावा बिहार के लोगों के लिए बाढ़ के साथ पलने और बढ़ने की तकनीक विकसित की जाएगी। यानी बाढ़ की भयावहता लगभग समाप्त हो जाएगी।

योजना को धरातल पर उतारने का प्रयास जारी है। इस सेंटर के लिए फैकल्टीज एनआइटी पटना और आइआइटी, कानपुर के नॉलेज नेटवर्क सेंटर से लाए जाएंगे। स्कूल की स्थापना के लिए जगह प्राधिकार अपने नए पुराने या भवन में उपलब्ध कराएगा। प्राधिकार की ओर से एक नोडल सेंटर की स्थापना भी की जाएगी। इसके लिए एक राज्यसभा सांसद ने साल 2014-15 की सांसद निधि भी दे दी है। शोधकार्य के लिए शोधार्थी लैब आदि की सुविधा एनआइटी, पटना के 'सेंटर फॉर वाटर रिर्सोसेज स्टडीज' और आइआइटी कानपुर की ओर से प्रदान की जाएगी।

कब-कब कितने जिले हुए बाढ़ग्रस्त

साल प्रभावित जिले की संख्या

2000 33

2001 22

2002 25

2003 24

2004 20

2008 18


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.