बिहार में देवता भी मानने लगे कानून, शराब की जगह पीने लगे कोल्ड ड्रिंक्स
कानून इंसानों के लिए होते हैं, लेकिन बिहार में लागू शराबबंदी के कानून का पालन भगवान से लेकर भूत तक कर रहे हैं। दरअसल, गांवों में स्थापित देवताओं के प्रसाद में शराब व मादक पदार्थों के विकल्प के तौर पर शर्बत व कोल्ड-ड्रिंक्स से काम चलाया जा रहा है।
बक्सर। कानून इंसानों के लिए होते हैं, लेकिन बिहार में लागू शराबबंदी के कानून का पालन भगवान से लेकर भूत तक कर रहे हैं। दरअसल, गांवों में स्थापित देवताओं के प्रसाद में शराब व मादक पदार्थों के इस्तेमाल का नहीं हो पा रहा है तो विकल्प के तौर पर शर्बत व कोल्ड-ड्रिंक्स से काम चलाया जा रहा है।
बिहार के विभिन्न गांवों में गुजर-बसर करने वाले लोग साल में एक बार अमन-चैन एवं खुशहाली के लिए सभी देवताओं की सामूहिक पूजा करते हैं। सदियों से चली आ रही इस परंपरा में कई जगह शराब व मादक पदार्थो का प्रयोग होता रहा है। यहीं नहीं, कुछ खास वर्ग के लोगों द्वारा शादी-विवाह के मौके पर मनौती के तौर पर राहु ग्रह की पूजा में भी इसका इस्तेमाल करने की परंपरा रही है।
अब शराबबंदी के बाद पूजा में शराब के उपयोग पर असर पड़ा है। परंपरा भी कानून के मुताबिक एडजस्ट हो रही है। नाम नहीं देने के आग्रह के साथ कुछ ग्रामीणों ने बताया कि सीमा क्षेत्र में होने के कारण कई लोग तो शराब लाने में सफल हो रहे हैं, लेकिन देवताओं की पूजा के लिए शराब लाना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे में कोल्ड ड्रिंक्स व शर्बत का उपयोग विकल्प के तौर पर किया जा रहा है।
ग्रामीण सूर्यबली प्रसाद एवं देवमुनी पासवान ने बताया कि स्थनीय स्तर पर होने वाले शायर, गोरेया एवं राहु बाबा की पूजा में शराब का प्रयोग महत्ऌवपूर्ण होता है। फिलहाल, राज्ऌय सरकार की शराबबंदी में कहीं से जुगाड कर बोतल लाना खतरे से खाली नहीं रह गया है। इसलिए, विकल्प के तौर पर महुआ का घोल बनाकर प्रसाद चढ़ाया जाता है।