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सपा-कांग्रेस की नैया पार लगाने यूपी जायेंगे लालू

उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए लालू यादव सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए वोट मांगेंगे। लालू पूर्वांचल में मायावती के सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले को ध्वस्त कर सकते हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Mon, 20 Feb 2017 10:40 AM (IST)Updated: Mon, 20 Feb 2017 11:43 PM (IST)
सपा-कांग्रेस की नैया पार लगाने यूपी जायेंगे लालू
सपा-कांग्रेस की नैया पार लगाने यूपी जायेंगे लालू

पटना [जेएनएन]। उत्तर प्रदेश चुनाव के आखिरी चार चरण के चुनाव को लेकर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए यूपी की जनता से वोट देने की अपील करेंगे। वे आज लखनऊ के लिए रवाना होंगे। 21 एवं 22 फरवरी को कांग्रेस के पक्ष में उन्हें पांच जनसभाओं को संबोधित करना है। सपा के लिए लालू का प्रचार अगले हफ्ते से शुरू होगा। 26 फरवरी को लालू दोबारा उत्तर प्रदेश के दौरे पर जाएंगे।

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उत्तर प्रदेश चुनाव में आखिर के तीन चरणों में राजद प्रमुख लालू प्रसाद की सोशल इंजीनियरिंग समाजवादी पार्टी एवं कांग्रेस गठबंधन के काम आ सकती है। मायावती के दलित-मुस्लिम समीकरण को ध्वस्त कर लालू यादव कांग्रेस-सपा गठबंधन को सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

प्रथम चरण के चुनाव में लालू ने बुलंदशहर में सपा के पक्ष में दो जनसभाएं की हैं। सिकंदराबाद सीट से लालू की पुत्री रागिनी यादव के पति राहुल यादव सपा के टिकट पर प्रत्याशी हैं। आगे के कार्यक्रमों के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लालू प्रसाद की बात हुई है। लालू ने अपना यूपी एजेंडा सपा के 'थिंक टैंक' को बता दिया है। राजद का दावा है कि छठे-सातवें चरण में लालू की बड़ी भूमिका होगी। छठे चरण में चार मार्च एवं आखिरी चरण में 8 मार्च को मतदान है। दोनों चरणों में चुनाव वाले क्षेत्रों की सीमाएं बिहार से सटी हैं।

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पूर्वांचल के इलाके में सपा-कांग्रेस गठबंधन को सबसे ज्यादा परेशानी मायावती की सोशल इंजिनियरिंग के रूप में दिख रही है। बसपा ने अफजल अंसारी एवं मुख्तार अंसारी को टिकट देकर पूर्वांचल के कई जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय का समर्थन पक्का करने की कोशिश की है। अंसारी बंधुओं के 'कौमी एकता दल के बसपा में विलय के बाद से बसपा की बढ़ती ताकत को रोकने में लालू सपा के लिए सबसे बड़ा अस्त्र साबित हो सकते हैं।

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बिहार से मिलता है यूपी की 89 सीटों का भूगोल
आखिरी दौर के दो चरणों में वाराणसी एवं पूर्वांचल की 89 सीटों का सामाजिक माहौल एवं राजनीतिक दशा-दिशा बहुत हद तक बिहार से मिलती-जुलती है। बिहार की तरह यहां भी वे पच पउनियां (बढ़ई,कुम्हार, लोहार, नाई, तमोली) में भाजपा की पकड़ को लालू ढीला करने की कोशिश कर सकते हैं। इस इलाके में नोनिया, लोध, निषाद, मछुआरा, मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, काछी एवं कुर्मी आदि जातियों की बहुलता है, जिनकी बसावट की शृंखला बिहार तक जाती है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पूर्वांचल की इसी ताकत को भांपकर यूपी में अपनी गतिविधियां तेज की थीं। हालांकि चुनाव की घोषणा के पहले ही उन्होंने यूपी चुनाव से किनारा कर लिया था।


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