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लालू को किस्‍तों में दिया गया था चारा घोटाले का पैसा, और भी चौंकाने वाले खुलासे

पशुपालन घोटाले में लालू यादव को उनका हिस्‍सा किस्‍तों में दिया गया था। साथ ही लालू के इशारे पर रांची स्थित पशुपालन विभाग में तृतीय व चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की बहाली भी हुई थी।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 17 Nov 2017 09:57 PM (IST)Updated: Sat, 18 Nov 2017 08:15 AM (IST)
लालू को किस्‍तों में दिया गया था चारा घोटाले का पैसा, और भी चौंकाने वाले खुलासे
लालू को किस्‍तों में दिया गया था चारा घोटाले का पैसा, और भी चौंकाने वाले खुलासे

पटना [जेएनएन]। पशुपालन घोटाले में सीबीआइ के 55वें गवाह रांची स्थित पशुपालन विभाग के तत्कालीन परियोजना पदाधिकारी डॉ. शशि कुमार सिंह ने भागलपुर कोषागार से जुड़े आरसी 64ए/1996 मामले में शुक्रवार को विशेष अदालत में गवाह दी।

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उन्होंने कोर्ट को बताया कि घोटाले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सहित अन्य भी लोग भी लिप्त थे। आगे बताया कि रांची स्थित पशुपालन विभाग में तृतीय व चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की बहाली भी लालू के ही इशारे पर की गई थी।

सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश देवराज त्रिपाठी की अदालत को डॉ. शशि ने बताया कि पशुपालन विभाग के तत्कालीन संयुक्त निदेशक डॉ. श्याम बिहारी सिन्हा रांची से पटना पहुंचे और लालू प्रसाद यादव के यहां जाकर मेरे सामने ही पशुपालन घोटाला का 20 हजार रुपऐ उन्हें दिए थे। इसके बाद लालू को 50 हजार रुपये दिया गया। फिर लालू को बड़ी मात्रा राशि दी जाने लगी। लालू यादव को दिल्ली स्थित बिहार भवन में 10 लाख रुपये दिया गया। लालू के रिश्तेदार मुकुल को भी रुपये दिए गए थे।

डॉ. श्याम बिहारी सिन्हा डायबिटीज के मरीज थे। सिन्हा जहां-जहां जाते थे मैं उनके साथ रहता था। जब  सिन्हा रांची से पटना आते थे तो राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों से मिलते थे। फर्जी एलाटमेंट लेटर रांची कार्यालय में आशुलिपिक ऋषि भूषण प्रसाद टाइप करता था। पटना के पाटलीपुत्रा होटल में ब्रज भूषण फर्जी एलाटमेंट लेटर पर हस्ताक्षर करता था। लेटर महेंद्र प्रसाद ले जाता था। लेटर पर नंबर ऋषि भूषण दिया करता था।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि डॉ. श्याम बिहार ही दवा आपूर्तिकर्ता के नाम तय करते थे। उन्होंने पटना के त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, कोलकाता के दीपक चांडक और दिल्ली के विजय और एसएस वेदी का नाम तय किया था।
पशुपालन घोटाले के रुपये मेरे समक्ष ही श्याम बिहारी ने विद्यासागर निषाद, भोला राम तूफानी को शुरू में 30 से 50 हजार तक दिया था। बाद में इन लोगों को राशि बढ़ाकर दी जाने लगी।

घोटाले के रुपये डॉ. आरके राणा को मेरे समक्ष ही दिए जाते थे। मैंने खुद भी भोलाराम तूफानी, आरके राणा और विद्यासागर निषाद को रुपये दिए थे। जगदीश शर्मा ने 3-4 बार रुपये लिए। श्याम बिहारी सिन्हा जिस सूटकेस में रुपये ले जाकर जगदीश शर्मा को देता था, वह सूटकेस भी उन्हीं के घर छोड़ देता था।

तत्कालीन पशुपालन मंत्री चन्द्रदेव वर्मा, तत्कालीन पशुपालन सचिव बेक जूलियस को भी रुपये दिए जाते थे। अदालत को बताया कि 1992 में रुपयों से भरे ब्रीफकेस को लेकर मैं श्याम बिहार के साथ हवाई जहाज से दिल्ली गया और वहां होटल हयात ठहरा था। डॉ. राणा भी दिल्ली गया था। ब्रीफकेस में रखे 10 लाख रुपये लालू यादव को बिहार भवन में दिया गया।

गवाह ने अदालत को बताया कि श्याम बिहारी सिन्हा का किडनी ट्रांसप्लांट आस्ट्रेलिया में होना था। इसके लिए मैं, श्याम बिहारी, उनकी पत्नी, दामाद बेटी और भाई टुन्नाजी, दीपक चांडक और एक अन्य पहले सिंगापुर गए। सिंगापुर में दीपेश चांडक ने हवाला के जरिए रुपये मंगवाया। यह रुपया दवा आपूर्तिकर्ता विजय मलिक ने भेजा था। इसके बाद हम लोग ऑस्ट्रेलिया गए।

ऑस्ट्रेलिया में श्याम बिहारी का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ। ट्रांसप्लांट के बाद फिर हम लोग सिंगापुर आए और होटल हयात में ठहरे थे। वहां, श्याम बिहारी की पत्नी और चांडक ने खरीदारी भी की थी। पूरा खर्च दीपक चांडक ने उठाया था।


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