ट्विटर व फेसबुक पर नीतीश-लालू का मोदी पर हमला, पढें...
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने ट्विटर पर भाजपा और प्रधानमंत्री पर जुबानी हमला किए। 'आस्क नीतीश' स्लॉट पर पूछे गए प्रश्नों का जवाब दिया। एक प्रश्न के जवाब में नीतीश ने कहा कि केंद्र के विशेष पैकेज में खोने के लिए रखा ही क्या है?
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने बुधवार को ट्विटर व फेसबुक पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जुबानी हमला किए।
टि्वटर 'आस्क नीतीश' स्लॉट पर पूछे गए प्रश्नों का जवाब दिया। एक प्रश्न के जवाब में नीतीश ने कहा कि केंद्र के विशेष पैकेज में खोने के लिए रखा ही क्या है? उनसे पूछा गया था कि अगर आप बिहार विधानसभा का चुनाव जीत गए तो क्या केंद्र द्वारा घोषित विशेष पैकेज आपको नहीं मिलेगा।
उन्होंने कहा कि मैंने 2.70 लाख करोड़ रुपयों का जो आवंटन किया है वह सात बहुत महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं पर आधारित है और इससे जीवन के स्तर में सुधार आएगा।
नीतीश कुमार के समक्ष ट्विटर पर यह सवाल भी किया गया था कि आपने दो लाख करोड़ से अधिक के पैकेज की घोषणा की है, इसके लिए राशि कहां से आएगी? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अगले पांच वर्षों में बिहार को अपने आंतरिक संसाधनों से चार लाख करोड़ से अधिक की राशि योजना मद में खर्च करने के लिए प्राप्त होगी और मैंने जिस पैकेज की घोषणा की है, वह इसी राशि से पूरा किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र के विशेष पैकेज की घोषणा पर उनसे अगले 48 घंटों तक कोई और भी प्रश्न कर सकता है, वह उनका जवाब देंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी कोई निजी मतभेद नहीं है। यह बात मैं कई बार कह चुका हूं।
प्रश्नकर्ता ने उनसे पूछा था कि आपके और नरेंद्र मोदी के बीच में मतभेद रहने के कारण क्या केंद्र एवं राज्य के बीच दूरी नहीं बढ़ेगी? उनसे जब यह पूछा गया कि क्या कभी क्लास का होनहार छात्र प्रथम स्थान लाने के लिए क्लास के नकारे छात्रों की कापी से नकल कर सकता है?
उन्हें सामाजिक न्याय में दिखता जंगल राज - लालू
वहीं दूसरी ओर जंगलराज के मुद्दे पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने अपने फेसबुक वॉल पर कहा है कि मुद्दाविहीन भाजपा वालों ने जंगलराज का नया जुमला गढ़ा है। इससे भाजपा की उच्च दर्शन की पीड़ा को समझा जा सकता है।
लालू ने फेसबुक पर कहा है कि दरअसल दिक्कत इनकी मानसिकता के साथ है। वातानुकूलित कमरों में रहने वाले भाजपाइयों को सामाजिक और न्यायप्रिय शासन भी जंगलराज दिखने लगता है, क्योंकि ये कुलीन लोग गांव-देहात को ही जंगल समझते हैं और गांवों में रहने वालों को जंगली।
लालू ने कहा कि जब गांवों के दबे कुचले वर्ग का एक आदमी उनका शासक बन जाता है तो वह हो जाता है जंगलराज। अगर गरीबों को अधिकार दिलाना जंगलराज है तो जंगलराज ही सही। हमने दी गरीबों को आवाज, वो कहते हैं जंगलराज।