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कभी अपने पैतृक घर को ही दान कर दिया था, जानिए रामनाथ कोविंद को

बिहार के राज्यपाल अब देश के अगले राष्ट्रपति हो सकते हैं। स्वभाव से नम्र और मिलनसार रामनाथ कोविंद ने कभी अपना पैतृक आवास ही बारातशाला के रूप में दान कर दिया था।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 19 Jun 2017 03:38 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jun 2017 11:06 PM (IST)
कभी अपने पैतृक घर को ही दान कर दिया था, जानिए रामनाथ कोविंद को
कभी अपने पैतृक घर को ही दान कर दिया था, जानिए रामनाथ कोविंद को

पटना [जेएनएन]। स्वभाव से काफी नम्र और काफी मिलनसार बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कभी अपने पैतृक घर को बारातशाला के रूप में दान कर दिया था। पेशे से वकील कोविंद भाजपा दलित मोर्चा के अध्‍यक्ष भी रहे हैं। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव रहे। 

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एनडीए की तरफ से आज राष्ट्रपति पद के लिए उनका नाम देश के राष्ट्रपति के लिए किया गया है।  इस पद के लिए भाजपा किसी ऐसे नाम की तालाश कर रही थी जिस पर सभी पार्टियों को सहमति बन सके, ऐसे में राम नाथ कोविंद के नाम का ऐलान किया गया है। वह काफी लंबे से केंद्रीय राजनीति में भी एक्टिव रह चुक हैं। उन्हें बिहार विधानसभा चुनावों से कुछ समय पहले ही बिहार का राज्यपाल बनाया गया। 

सरल स्वभाव के और मिलनसार हैं रामनाथ कोविंद

बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद अत्यंत सरल स्वभाव के और काफी मिलनसार हैं। उनसे कोई भी, कभी भी जाकर मिल सकता है। उन्हें राज्य में किसी भी तरह के छोटे-बड़े कार्यक्रमों में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है तो वो ना नहीं कहते। उन्हें लोगों से मिलना अच्छा लगता है। 

रामनाथ कोविंद का जन्म परिचय

रामनाथ कोविंद का जन्म कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के गांव परौंख में 1945 में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हुई। कानपुर नगर के बीएनएसडी इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डीएवी कॉलेज से बी कॉम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 

इसके बाद दिल्ली में रहकर तीसरे प्रयास में आईएएस की परीक्षा पास की, लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी। रामनाथ कोविंद अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। 

 वकालत से कॅरियर की शुरुआत की

जून 1975 में आपातकाल के बाद उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में वकालत से कॅरियर की शुरुआत की। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद रामनाथ कोविंद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव बने। इसके बाद वे भाजपा नेतृत्व के संपर्क में आए। कोविंद को पार्टी ने वर्ष 1990 में घाटमपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया लेकिन वह चुनाव हार गए। 

आईएएस परीक्षा में तीसरे प्रयास में मिली थी सफलता

दिल्ली में रहकर आईएएस की परीक्षा तीसरे प्रयास में पास की लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी। उन्होंने जनता पार्टी की सरकार में सुप्रीम कोर्ट के जूनियर काउंसलर के पद पर कार्य किया। 

दो बार रहे राज्‍यसभा के सदस्‍य 

वर्ष 1993 व 1999 में पार्टी ने उन्हें प्रदेश से दो बार राज्यसभा में भेजा। पार्टी के लिए दलित चेहरा बन गये कोविंद अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता भी रहे। घाटमपुर से चुनाव लड़ने के बाद कोविंद लगातार क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहे। राज्यसभा सदस्य के रूप में क्षेत्र के विकास में लगातार सक्रिय रहने का ही परिणाम है कि उनके राज्यपाल बनने की खबर सुनते ही लोग फोन पर बधाई देने लगे।

बिहार के राज्यपाल के लिए भी नाम की अचानक हुई थी घोषणा

वर्ष 2007 में पार्टी ने रामनाथ कोविंद प्रदेश की राजनीति में सक्रिय करने के लिए भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़ाया, लेकिन वे यह चुनाव भी हार गए। रामनाथ कोविंद इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी के साथ महामंत्री रह चुके हैं। अगस्त 2015 में बिहार के राज्यपाल के तौर पर भी उनके नाम की घोषणा अचानक ही हुई थी।

आज भी अचानक हुई राष्ट्रपति के लिए उनके नाम की घोषणा

आज भी किसी ने सोचा नहीं था कि एनडीए की बैठक के बाद अचानक रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा होगी। जिसने सुना उसे ही आश्चर्य हुआ, लेकिन अपने बेहतर कार्यों के लिए हमेशा प्रशंसा के पात्र रहे रामनाथ कोविंद को बिहार की जनता भी बहुत स्नेह करती है और अपने राज्यपाल को राष्ट्रपति बनते हुए देखना चाहती है।

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बिहार से रायसीना हिल्स जानेवाले दूसरे राष्ट्रपति होंगे

बिहार राजभवन से रायसीना हिल्स में जाने वाले रामनाथ कोविंद दूसरे राष्ट्रपति होंगे। 1957 में डॉक्टर जाकिर हुसैन राजभवन से उप राष्ट्रपति बने और उसके बाद रायसीना हिल्स स्थित राष्ट्रपति भवन पहुंचे।

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