Move to Jagran APP

बच्चे अगर मुंह फेर कर हंसने लगें तो समझो जंग हार गए

बात मोहब्बत की हो या सियासत की। विद्रोह की हो या नजाकत की।

By Mrityunjay Kumar Edited By: Published: Sun, 23 Nov 2014 11:26 AM (IST)Updated: Sun, 23 Nov 2014 11:29 AM (IST)
बच्चे अगर मुंह फेर कर हंसने लगें तो समझो जंग हार गए

पटना ( कुमार रजत)। बात मोहब्बत की हो या सियासत की। विद्रोह की हो या नजाकत की। उर्दू के महशूर शायर वसीम बरेलवी के शेर हमेशा याद आते हैं। भारतीय कविता समारोह में शिरकत करने पहुंचे वसीम बरेलवी ने ‘दैनिक जागरण’ से खास बातचीत की। शुरुआत संस्कारों से हुई।

loksabha election banner

बोले, युवाओं को बुजुर्गो के साथ बैठने की जरूरत हैं। उन्हें समझने की जरूरत है। अगर घर के बुजुर्गो की बात पर बच्चे मुंह फेर के हंसने लगें तो समझो जिंदगी की जंग हार गए। कविता और शायरी अगर ये काम करती है, तो इससे बढ़िया क्या हो सकता है। बदलते दौर में कविता और शायरी कितनी बदली है, पूछने पर उन्होंने कहा कि इंटरनेट ने एक बड़ा मंच मुहैया कराया है। नए और खासकर नौजवान शायरी की दुनिया से जुड़े हैं। वे खूब सुन रहे हैं, लिख भी रहे हैं। शहर में आयोजित कविता समारोह की तारीफ करते हुए वसीम बरेलवी ने कहा कि ऐसे आयोजन बहुत जरूरी है। उत्तर भारत के हिंद आर्यन और दक्षिण के द्रविडयन दो शैली के शायरों का संगम बेहतरीन है। बिहार सरकार इसके लिए तारीफ की हकदार है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.