ये है तपोवर्धन, यहां 'नदियां' करती हैं इलाज, जानिए और खासियत.....
प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के रूप में भागलपुर का तपोवर्धन धीरे-धीरे मशहूर हो रहा है। यहां रोगियोें का इलाज कुटिया में होता है जो नदियों के नाम पर स्थापित हैं।
पटना [वेब डेस्क ]। जैसे-जैसे प्राकृतिक चिकित्सा को मान्यता मिल रही है भागलपुर के तपोवर्धन की रौनक बढ़ती जा रही है। भौगोलिक बनावट इस केंद्र की खासियत तो है ही, यहां संस्कृति की भी झलक मिलती है। देश की पहचान रही नदियों सिंधु, चेनाब, ताप्ती, झेलम, सतलज, नर्मदा, रावी और यमुना के नाम पर बनी कुटियों में प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से असाध्य रोगों का इलाज किया जाता है।
मिट्टी-गोबर से बनी है कुटिया
यहां आने वाले मरीज मिट्टी, गोबर, लकड़ी, बांस, धान के भूसे से तैयार कराई गई कुटियों में ठहराए जाते हैं। यहां पहले मरीजों को मानसिक रूप से शांत करने की कोशिश की जाती है। फिर रोगों का इलाज किया जाता है।
यहां कैंसर, फेफड़ा, दमा, किडनी, ट्यूमर सिस्ट, हड्डी, लकवा, सांस, दिल, दवा के दुष्प्रभाव, नेफोटिका सिंड्रोम, बे्रन टीबी आदि रोगों का इलाज किया जाता है। मानसिक रूप से अशांत लोगों को भी यहां सुकून देने की कोशिश की जाती है।
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नदियों के नाम पर कुटिया का राज
प्रसिद्ध नदियों के स्थानीय प्रभाव के मुताबिक उनके नाम पर कुटिया तैयार की गई है। इनका निर्माण इस प्रकार किया गया है कि इनमें हवा, पानी और सूर्य की किरणों के सहारे रोगियों का उपचार कराया जा सके।
मरीजों को पहुंच रहा फायदा
मुंह के कैंसर से पीडि़त ओम प्रकाश वर्मा और अमित कुमार नर्मदा में उपचार करा रहे हैं। ओम बताते हैं कि एक महीने के इलाज के दौरान उन्हें काफी फायदा मिला है। पहले उनका मुंह अधिक नहीं खुल पाता था। अब उनका मुंह खुलने लगा, जीभ बाहर आने लगी और और लार भी बनने लगी है।
दो दिन पूर्व आए मुंह के कैंसर से पीडि़त अमित कुमार के मुंह से मवाद निकल रहा था। दो दिन में ही उनके मुंह में मवाद बनना बंद हो गया। जयपुर से किडनी का उपचार कराने आई आर्किटेक्ट वर्तिका (20) पंद्रह दिनों में झेलम नामक कुटिया में खुद को चंगा महसूस करने लगी हैं। बेहद दुबली वर्तिका का वजन भी बढऩे लगा है।
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अंकुरित गेहूं के आटे की रोटी लाभकारी
केंद्र में अंकुरित गेहूं के आटे की रोटी, हरी सब्जी, ग्रीन सलाद, जूस, फल, म_ा के अलावा जीरा पानी, मिट्टी के लेप, ठंडा पानी, गर्म पानी स्नान और नींबू-शहद की उपचार विधि से मरीजों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। उपचार में योग आदि का भी सहारा लिया जाता है।
यहीं रुक गए कैलाश
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कराने वाली संस्था संकल्प के संस्थापक कैलाश गोदुका राजस्थान से यहां जनवरी में आए थे। यहां की उपचार विधि देख वे यहीं रह गए। केंद्र के निदेशक जेता सिंह फेफड़े से संबंधित रोगों के उपचार के लिए ट्री हाउस बनाने में लगे हैं। ऐसे रोगियों का उपचार पेड़ पर बनी कुटिया में ही होगा।