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अभी भी बैंको के लिए लंबी दूरी तय करते हैं बिहारी

पिछले दस सालों में तेज विकास दर से सभी को चौंकाने वाले राज्य बिहार में अभी भी लोगों को बैंकों के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। अब भी केवल एक तिहाई पंचायतों में ही बैंक की शाखाएं खुल पाई हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2016 09:58 AM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2016 09:07 PM (IST)
अभी भी बैंको के लिए  लंबी दूरी तय करते हैं बिहारी

पटना [एसए शाद]। पिछले दस सालों में तेज विकास दर से सभी को चौंकाने वाले राज्य बिहार में अभी भी लोगों को बैंकों के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। अब भी केवल एक तिहाई पंचायतों में ही बैंक की शाखाएं खुल पाई हैं। यह स्थिति तब है जब बैंकों में जमा होने वाली राशि 2010-11 के मुकाबले दोगुनी हो गई है।

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हालांकि राज्य की सभी सरकारी योजनाएं बैंकों से जोड़ी जा चुकी हैं और अब तो पीडीएस के तहत अनाज के बदले कैश सब्सिडी देने की तैयारी है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय में शामिल स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना पहली अप्रैल से लागू होगी। बैंकों के माध्यम से ही इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू किया जाना है, लेकिन बैंक शाखाओं की कमी के कारण इसके कार्यान्वयन में भी असुविधा होगी।

आश्चर्य की बात है कि प्रदेश में 13 प्रखंड मुख्यालयों में कोई वाणिज्य बैंक नहीं है। इनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के भी दो प्रखंड शामिल हैं। बेहतर बिजनेस के बावजूद बैंक अपने विस्तार कार्यक्रम के प्रति उदासीन है। 2010-11 में राज्य के बैंकों में जहां 1,13,909 करोड़ रुपये जमा हुए थे, वहीं चालू वित्तीय वर्ष में अबतक 2,20,667 करोड़ जमा हुए हैं।

वित्त विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश की 8471 पंचायतों में से मात्र 3173 पंचायतों में ही बैंक की शाखाएं अब तक खुल पाई हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देश के अनुसार, दो हजार की आबादी वाले गांवों में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करानी है। बैंक शाखा नहीं रहने पर 'बिजनेस कारस्पोंडेंट' की व्यवस्था की गई थी।

इस व्यवस्था के तहत बैंकों द्वारा नियुक्त व्यक्ति गांवों में जाकर लोगों के पैसे बैंक के लिए जमा लेता था, मगर बैंकों द्वारा वित्त विभाग को पिछले दिनों सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि अनेक स्थान पर या तो यह व्यवस्था कार्यरत नहीं हैं या बंद हो गई है। वित्त विभाग ने राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में नाराजगी जताई है।

वित्त विभाग ने कहा है कि 'हाल के दिनों में जनधन योजना, बीमा योजना, पेंशन योजना आदि के चकाचौंध में शाखा विस्तार का काम लगभग थम सा गया है।' 2015-16 में प्रदेश में 527 बैंक शाखाएं खोली जानी थीं, जिनमें से 166 ही खुल पाई हैं। आबादी के अनुपात में देखा जाए तो बिहार में 17 हजार की जनसंख्या पर एक बैंक ब्रांच है, जबकि राष्ट्रीय औसत 11 हजार की जनसंख्या पर एक ब्रांच का है।

13 प्रखंड मुख्यालयों में बैंक नहीं

जिला प्रखंड

भागलपुर इसमाइलपुर

बक्सर कैसठ

गया मोहरा

लखीसराय रामगढ़

नालंदा बेन, थरथरी

नवादा मेसकोर, काशीचक

सहरसा बनमा इटहरी

समस्तीपुर शिवाजीनगर

सारण पानापुर

पूर्वी चंपारण पीपरासी, भिटाहा

सूबे में कुल 6464 बैंक शाखाएं

ग्रामीण शाखाएं ---3620

अर्द्धशहरी शाखाएं ---1605

शहरी शाखाएं ---1239


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