बिहार में 70 फीसद लोग पांच हजार से कम आय वाले
बिहार की तकरीबन दस करोड़ की आबादी में से आजादी के इतने सालों के बाद भी 70 फीसद से अधिक लोगों की आय मासिक पांच हजार के आंकड़े को पार नहीं कर सकी है।
पटना। बिहार की तकरीबन दस करोड़ की आबादी में से आजादी के इतने सालों के बाद भी 70 फीसद से अधिक लोगों की आय मासिक पांच हजार के आंकड़े को पार नहीं कर सकी है। इस बात का खुलासा शुक्रवार को भारत सरकार द्वारा 2011 की सामाजिक-जातीय और आर्थिक जनगणना की जारी रिपोर्ट से होता है।
इन जनगणना रिपोर्ट को कई चरणों में हुई जांच के बाद जांच किया गया है। रिपोर्ट बताती है कि बिहार में आज मकानों की कुल संख्या 1.76 करोड़ है। इन घरों में रहने वाले मात्र 10.64 लाख लोगों के पास ही नौकरी है।
अगर प्रतिशत में इस आंकड़े की हकीकत देखी जाए तो यह उपलब्धि महज 6.03 प्रतिशत ही है। रिपोर्ट की माने तो बिहार में सरकारी नौकरी करने वाले लोगों की कुल आबादी 7.13 लाख ही है। यानी बिहार की आबादी में महज 4.04 प्रतिशत लोग ही सरकारी सेवा में हैं। इसी प्रकार पब्लिक सेक्टर में काम करने वालों की संख्या सरकारी नौकरी की अपेक्षा ज्यादा है।
पब्लिक सेक्टर में आज 15.14 लाख लोग काम कर रहे हैं। जिनका प्रतिशत प्वाइंट 86 फीसद ही है। दस करोड़ की आबादी में 2.41 लाख लोग प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं।
रिपोर्ट बताती है कि बिहार में 4.81 लाख घरों से सरकार को सालाना आयकर दिया जाता है। खुद का कारोबार चलाने वालों की संख्या यहां 2.95 लाख है। सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि आज भी 1.76 करोड़ घरों में से 1.25 करोड़ घर की मासिक आय पांच हजार रुपये से कम है।
अगर आंकड़ों को प्रतिशत में देखा जाए तो यह तकरीबन 70.96 फीसद होता है। पांच से दस हजार आय वाले घरों की संख्या 39.09 लाख है। प्रतिशत में यह आंकड़ा 22.14 फीसद पहुंचता है।