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गांधी मैदान कल बताएगा मांझी की पतवार में कितना दम

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के बैनर तले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सोमवार को पटना के गांधी मैदान में 'गरीब स्वाभिमान रैली' करेंगे।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 19 Apr 2015 10:46 AM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2015 10:48 AM (IST)
गांधी मैदान कल बताएगा मांझी की पतवार में कितना दम

पटना (एसए शाद)। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के बैनर तले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सोमवार को पटना के गांधी मैदान में 'गरीब स्वाभिमान रैली' करेंगे। रैली में जुटी भीड़ लोगों को अहसास दिला देगी कि मांझी की पतवार में कितना दम है। खुद मांझी भी अंदाजा लगा लेंगे कि नीतीश सरकार के खिलाफ अपनी जंग वह अकेले जारी रखें या भाजपा को साथ लेकर घेराबंदी करें। फिलहाल वह अपने सहयोगियों से ही दोतरफा दबाव झेल रहे हैं। कुछ भाजपा को साथ लेकर चलने के पक्ष में हैं तो कुछ एकला चलो की रणनीति की सलाह दे रहे हैं।

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मांझी कैबिनेट में ग्रामीण विकास मंत्री रहे चुके नीतीश मिश्र के मुताबिक, 'हमÓ के अंदर भले ही इस बात पर बहस है कि अकेले लडि़ए या किसी 'ताकतÓ से मिलिए, लेकिन एक बात को लेकर सब एकमत हैं, वह है संगठन की मजबूती। रैली के तुरंत बाद जिला स्तर पर संगठन को मजबूत करने का कार्यक्रम शुरू होगा। मिश्र के मुताबिक आगे क्या रणनीति बनेगी यह अभी कहा नहीं जा सकता, लेकिन इतना तय है कि भाजपा से कोई विधिवत समझौता 2-3 माह के अंदर नहीं होने जा रहा। इस बीच यह भी फैसला हो जाएगा कि जनता परिवार के विलय की सूरत में मूल जदयू हमें मिलता है या नहीं! ताजा स्थिति यह है कि हम लोग प्रदेश की सभी 243 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवार चिह्नित करेंगे।

रैली की सफलता के लिए खुद जीतन राम मांझी ने प्रमंडल स्तर पर सभाएं की हैं। कुछ स्थानों पर उन्होंने हेलीकॉप्टर से भी दौरा किया है। अपनी हर बैठक में उन्होंने किसी जाति विशेष की बजाय समाज के गरीब तबके का जिक्र किया है। यह बताया है कि कैसे नीतीश कुमार द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया। उनके द्वारा लोकहित में लिए गए निर्णयों को बिना कारण बताए निरस्त किया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या उनकी पार्टी जदयू की ओर से अबतक यह भी नहीं बताया जा सका है कि उनके द्वारा लिए गए निर्णय कैसे जदयू के सिद्धांत के खिलाफ थे? मांझी इन बातों को गांधी मैदान की रैली में भी जोरदार ढंग से उठाएंगे, लेकिन नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की साझा ताकत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनावी मैदान में उतरी भाजपा के बीच अपना राजनीतिक अस्तित्व मांझी इस रैली के माध्यम से ही दर्शा सकेंगे। उनका खुद का दावा रहा है कि रैली में पांच लाख की भीड़ जुटेगी।

'हमÓ के कुछ नेताओं के अनुसार, 243 में से 60 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां जीतन राम मांझी के स्वजातीय मुसहर समुदाय की संख्या 20 हजार से अधिक है। रैली की तैयारी में लगे नीतीश मिश्र कहते हैं कि राजद और जदयू के विलय की चर्चा के बाद से ही हमारी ओर वैसे लोग मुखातिब होने लगे हैं, जो इन दो दलों के बीच ही चक्कर काटते थे। 'हमÓ ने उनके लिए एक नई खिड़की खोली है। मांझी ने हाल के दिनों में जेएनयू, कोलकाता एवं नागपुर में लेक्चर दिए हैं। उनकी अपील पर देश में दलित मूवमेंट से जुड़े लोग भी इस रैली में शामिल होंगे। संसाधन हमारे लिए एक बड़ी अड़चन है। यह विचार हो रहा है कि रैली के दिन हम लोगों से आर्थिक सहयोग की अपील भी करें। मांझी ने इस बीच अपने फेसबुक फैंस से भी मिलने का कार्यक्रम शुरू किया है। देखा जाए तो उनके पोस्ट पर हर तबके से कमेंट आ रहे हैं।


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