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कभी BJP के लिए नीतीश से लड़े थे शरद यादव, आज हुए नाराज, जानिए

कभी शरद यादव बीजेपी का साथ छोड़ने को लेकर नीतीश कुमार से खिलाफत की थी, वहीं चार के बाद अब परिस्थिति उलट है। नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने से शरद नाराज हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 17 Aug 2017 12:00 PM (IST)Updated: Fri, 18 Aug 2017 10:07 PM (IST)
कभी BJP के लिए नीतीश से लड़े थे शरद यादव, आज हुए नाराज, जानिए
कभी BJP के लिए नीतीश से लड़े थे शरद यादव, आज हुए नाराज, जानिए

पटना [जेएनएन]। कभी शरद यादव ही नहीं चाहते थे कि नीतीश बीजेपी के साथ हुआ गठबंधन तोड़ें और आज गठबंधन करने पर वो इतने नाराज हैं कि पार्टी के खिलाफ ही बगावत कर दी है। शरद यादव महागठबंधन तोड़कर नीतीश के बीजेपी से हाथ मिलाने को लेकर इतने नाराज हैं कि नीतीश कुमार के खिलाफ भी जाने से नहीं चूके।

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बीजेपी के साथ जाने पर नीतीश का विरोध करने वाले शरद यादव 2013 में बीजेपी से अलग ही नहीं होना चाहते थे।16 जून 2013 को जब नीतीश कुमार ने मोदी की मुखालफत में एनडीए के साथ 17 साल पुराना रिश्ता तोड़ने का एलान किया तो उस वक़्त पार्टी के अध्यक्ष शरद यादव काफी नाराज हुए थे।

शरद यादव बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं तोड़ना चाहते थे लेकिन नीतीश के सामने उनकी एक नहीं चली।अध्यक्ष के रूप में शरद यादव की इच्छा के खिलाफ ज़िद पर अड़े नीतीश ने डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय का बीजेपी का साथ एक झटके में ख़त्म कर दिया था।

दरअसल नीतीश कुमार उस वक़्त खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानते थे लेकिन उनको इस बात की भनक लग गई थी की बीजेपी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने वाली है, तब तक मोदी को बीजेपी ने पार्टी की प्रचार समिति का अध्यक्ष ही बनाया था।

नीतीश इस भ्रम में थे कि आडवाणी और अन्य नेताओं के विरोध के बाद मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा और उस सूरत में उनका नाम आगे आ सकता है। हालांकि ऐसा हुआ नहीं और बीजेपी ने आडवाणी और उन जैसे कई नेताओं के विरोध को दरकिनार कर मोदी का नाम आगे कर दिया।

13 सितंबर 2013 को मोदी को बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था।

जिस वक़्त नीतीश ने एनडीए छोड़ने का एलान किया उसके कुछ घंटे पहले तक शरद उनसे ऐसा न करने की अपील करते रहे थे। मज़बूरी में शरद यादव को नीतीश का फैसला स्वीकार करना पड़ा क्योंकि उस वक़्त शरद यादव का एनडीए में काफी रसूख था। शरद एनडीए के संयोजक भी रह चुके थे।

अब एक बार फिर नीतीश से शरद नाराज़ हैं। वजह इस बार भी बीजेपी ही है लेकिन स्थिति उलट है। इस बार शरद को नीतीश का बीजेपी के साथ जाना नागवार गुजरा है। लेकिन शरद ने इस बार चुप्पी साधने की बजाए नीतीश के इस फैसले के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने का फैसला किया है।

शरद ने ना सिर्फ खुलकर नीतीश के फैसले का विरोध किया बल्कि इस फैसले के खिलाफ बिहार की यात्रा भी कर आए हैं और उसके बाद  नाराज़ पार्टी ने शरद को राज्य सभा के नेता पद से हटा दिया है।

नीतीश के एनडीए के साथ जाने के फैसले से नाराज़ शरद यादव अब विपक्ष को लामबंद करने की कोशिश में हैं।17 अगस्त को शरद यादव ने दिल्ली में 'सांझी विरासत बचाओ सम्मलेन' आयोजित कर उसमें सभी विपक्षी दलों को बुलाया है।

दलित, अल्पसंख्यक और आदिवासी नेताओं को भी इस सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण भेजा गया है। 19 अगस्त को पटना में जदयू को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है, उसके पहले ही शरद की इस बैठक ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या शरद जदयू से किनारा करने वाले हैं? क्या शरद विपक्ष के किसी दल में शामिल होंगे या एकला चलो की राह पर हैं? वैसे शरद के करीबी कहते हैं कि शरद ने जिस जनता दल को बनाया था वो अब तक 11 बार टूट चुका है लेकिन शरद अब भी राजनीति में हैं।


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