MLA हत्याकांड: RJD नेता और पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को मिली उम्रकैद
विधायक अशोक सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद पूर्व सांसद और राजद नेता प्रभुनाथ सिंह सहित दो लोगों को हजारीबाग कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।
पटना [जेएनएन]। राजद नेता और पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को हजारीबाग कोर्ट ने आज विधायक अशोक सिंह की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुना दी है। एडीजे 9 सुरेंद्र शर्मा की कोर्ट ने प्रभुनाथ सिंह के साथ ही उनके भाई दीनानाथ सिंह और रितेश सिंह को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने तीनों पर 40-40 हजार रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया है।
बता दें कि 1995 में अशोक सिंह की गर्दनीबाग थाना अंतर्गत, स्टै्रंड रोड स्थित उनके सरकारी आवास पर बम मारकर हत्या कर दी गई थी। बाइस साल के बाद कोर्ट का यह फैसला आया है जिससे अशोक सिंह की पत्नी ने सही बताया है, उन्होंने कहा है कि इस फैसले से वो संतुष्ट नहीं हैं, प्रभुनाथ सिंह को फांसी होनी चाहिए थी।
प्रभुनाथ सिंह के वकील विजय कुमार ने कहा कि हमलोग इस फैसले के बाद हाईकोर्ट में अपील करेंगे। जैसे ही हमलोगों को फैसले की कॉपी मिलेगी हमलोग इसके लिए अपील करेंगे।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई पेशी
सुरक्षा कारणों से प्रभुनाथ सिंह की कोर्ट में पेशी नहीं कराई गई, बल्कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में आज उनकी पेशी हुई। सुबह 10 बजे से वीडियो क्रांफ्रेसिंग के माध्यम से सजा की कार्रवाई शुरू हुई और तमाम दलीलों को सुनने के बाद सभी आरोपियों की सजा का एलान किया गया।
कड़ी की गई थी कोर्ट की सुरक्षा
कोर्ट ने 40 पेज का दस्तावेज 22 साल की कार्रवाई के बाद तैयार किया था। कोर्ट को सजा के अलग-अलग बिंदुओं के बारे में बताया गया। कोर्ट ने पूर्व सांसद को धारा 302 और विस्फोटक अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था। वहीं इस फैसले को लेकर कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई थी। सादे वेश में पुलिस के जवान भी तैनात थे।
18 मई को हजारीबाग के अपर सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र शर्मा ने प्रभुनाथ सिंह को 22 साल पहले हुई हत्या के मामले में दोषी करार दिया था। प्रभुनाथ सिंह के भाई दीनानाथ सिंह और पूर्व मुखिया रीतेश सिंह को भी इस हत्याकांड में कसूरवार ठहराया गया था।
अशोक की हत्या 3 जुलाई 1995 को पटना के सरकारी आवास में बम मारकर हत्या कर दी गई थी। हजारीबाग सेशन कोर्ट ने तीनों अभियुक्तों को भादवि की धारा 302, 307, 324, 120 बी और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत दोषी करार दिया था।
विधायक बनने के 90वें दिन हत्या
तत्कालीन मशरख के विधायक अशोक सिंह की हत्या उनके विधायक बनने के 90 वें दिन हुई। आरोप है कि प्रभुनाथ सिंह ने ही यह डेडलाइन तय की थी। हालांकि वो इससे इंकार करते रहे हैं। हत्या के बाद अशोक की पत्नी चांदनी देवी ने गर्दनीबाग थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
3 जुलाई 1995 को कर दी गई थी अशोक सिंह की हत्या
विधायक अशोक सिंह की हत्या 3 जुलाई 1995 को पटना में उनके सरकारी आवास 5 स्टैण्ड रोड में बम मार कर कर दी गई। उस समय वो आरजेडी के मशरख विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे। हत्या का मुख्य आरोपी प्रभुनाथ सिंह को बनाया गया था। बता दें कि प्रभुनाथ सिंह को हराकर ही अशोक सिंह मशरख से विधायक बने थे।
बाहुबली नेता के रूप में जाने जाते हैं प्रभुनाथ सिंह
सीवान जिले के महाराजगंज सीट के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के राजनीतिक करियर की शुरुआत जनता दल से हुई थी। प्रभुनाथ सिंह जदयू से महराजगंज के सांसद थे। बाद में आरजेडी में आ गए। प्रभुनाथ सिंह एक जमाने में नीतिश कुमार के बेहद करीबी थे और बाद में लालू प्रसाद यादव के नजदीक आए।
दबंग नेता के रूप में उनकी पहचान है। बिहार में सरकार किसी की भी हो, प्रभुनाथ सिंह और उनके करीबी हमेशा यही कहते नजर आते कि सारण के सीएम प्रभुनाथ सिंह हैं।
कौन थे विधायक अशोक सिंह
अशोक सिंह मशरक के जनता दल से उस समय विधायक थे। 28 दिसंबर, 1991 को मशरक के जिला परिषद कांप्लेक्स में उन पर गोलियों से ताबड़तोड़ फायरिंग की गयी थी, जिसमें वे तब बिल्डिंग में छिप कर किसी तरह बच गये थे। लेकिन कुछ साल बाद 1995 में पटना स्थित उनके आवास पर बम मार कर उनकी हत्या कर दी गयी थी। इस मामले प्रभुनाथ सिंह सहित अन्य दो लोगों पर आरोप लगा था।
शहाबुद्दीन से हुई थी अन-बन
इसी दौरान उनका सामना सीवान के पूर्व दबंग सांसद शहाबुद्दीन से हुआ और दोनों को एक-दूसरे के दुश्मन के तौर पर देखा जाने लगा। अक्सर इन दोनों के बीच झड़पें हो जाती थीं। हालांकि, दोनों का ही अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में वर्चस्व रहा है।
महाराजगंज से लड़ा था पहली बार लोकसभा चुनाव
प्रभुनाथ सिंह ने पहली बार महाराजगंज संसदीय सीट से साल 2004 में जदयू के टिकट पर जीत हासिल की। इससे पहले वे क्षेत्रीय स्तर की राजनीति में जदयू की तरफ से सक्रिय रहे। हालांकि, 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में राजद के प्रत्याशी उमाशंकर सिंह ने प्रभुनाथ को 3,000 वोटों से हरा दिया था। 2012 में वे जदयू से अलग हो गए और राजद के सदस्य बन गए।