हाथियों के उत्पात पर अंकुश की तैयारी, पटना में जुटे छह राज्यों के अधिकारी
हाथियों के उत्पात से निजात पाने के लिए पटना में छह राज्यों के वन एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में हाथियों द्वारा मचाए जा रहे उत्पात से निजात पाने के लिए पॉलिसी निर्माण पर चर्चा की गयी।
पटना। जंगली हाथियों के उत्पात से बचाने के लिए बिहार में विशेष टीम का गठन होगा। आसपास के राज्य भी भरपूर सहयोग देंगे। केन्द्र सरकार टीम को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करने कर्मियों को प्रशिक्षित करने में मदद करेगी। जंगली हाथियों के आने वाले क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करने एवं बचाव के उपाय बताए जाएंगे। हाथियों के रखने के लिए नेपाल सीमा से सटे चंपारण में हाथी रेस्क्यू सेंटर खोला जायेगा।
यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अपर वन महानिदेशक विनोद रंजन एवं गज परियोजना के वन महानिदेशक आरके श्रीवास्ताव ने मंगलवार को ईस्टर्न रिजन के राज्यों के साथ 'एक राज्य से दूसरे राज्यों में जंगली हाथियों के आने के बाद उत्पन्न समस्या' विषय पर आयोजित बैठक के बाद कही।
भारत सरकार के अधिकारियों के कहा कि जंगली हाथियों के लिए कोई सीमा नहीं होती है। वे नेपाल, म्यांमार, बिहार, झारखंड, ओडिसा सहित देश के किसी भी हिस्से में जा सकते हैं। वे भ्रमणशील जीव हैं। ये हमेशा बिहार आते रहेंगे।
उन्होंने कहा, बिहार में पहली बार जंगली हाथियों के ग्रामीण क्षेत्रों में आने की घटना हुई है। लोगों को हाथियों के साथ रहना सीखना होगा। छतीसगढ़ में पंचायत स्तर पर टीम का गठन किया गया है। उसी तर्ज पर बिहार में भी टीम गठित होगी। बिहार में जंगली हाथी के आने के बाद निपटने के लिए बिहार, झारखंड, ओडिसा और पश्चिम बंगाल का एक कॉडिनेशन कमेटी बनाई गई है। एक दूसरे को सहयोग देंगे।
राज्य के मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक एसएस चौधरी ने कहा कि मार्च 2015 से जंगली हाथियों का बिहार में उत्पात शुरू हुआ है। नौ बार जंगली हाथी बिहार में आए। छह बार में 21 लोगों की जानें गई। अधिकांश लोगों की मृत्यु हाथियों के प्रति भक्ति भावना तथा छेड़छाड़ करने के चलते हुई।
बैठक में तय हो गया बिहार में हाथी के आने के बाद झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिसा सहयोग करेंगे। मानव और वन्य प्राणी टकराव को रोकने के लिए पांच रेस्क्यू टीमों का गठन किया जायेगा। मुख्यालय पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, गया, बेतिया में रेस्क्यू टीमें रहेंगी।
बैठक में प्रधान मुख्य वन संरक्षक डीके शुक्ला, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मुरारजी मिश्र, क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक एसके सिंह, अभय कुमार, एस. चंद्रशेखर आदि शामिल थे।