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विकास के मामले में देश से भी तेज रफ्तार में दौड़ रहा बिहार

बजट सत्र के पहले दिन वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने वर्ष 2016-17 का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया जिसके मुताबिक विकास के मामले में बिहार देश की रफ्तार से भी आगे है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 24 Feb 2017 08:31 AM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2017 11:45 PM (IST)
विकास के मामले में देश से भी तेज रफ्तार में दौड़ रहा बिहार
विकास के मामले में देश से भी तेज रफ्तार में दौड़ रहा बिहार
पटना [सुभाष पांडेय]। विकास के मामले में बिहार की रफ्तार देश की रफ्तार से भी ज्यादा है। विधानसभा पटल पर बजट सत्र के पहले दिन वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी द्वारा रखी गई वर्ष 2016-17 की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट से यही तस्वीर निकल कर सामने आ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय विकास दर 6.8 फीसद है जबकि बिहार की दर 7.6 फीसद। यह उपलब्धि तब है जब बैंकों का रवैया पूरी तरह से नकारात्मक है।
निर्माण क्षेत्र में सबसे ज्यादा तेजी 
रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्माण 17.7 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। बिजली, गैस और जलापूर्ति के क्षेत्र में 15.2 प्रतिशत, व्यापार, होटल और मरम्मत के क्षेत्र में 14.6 प्रतिशत तथा परिवहन, भंडारण व संचार ऐसे क्षेत्र है जिनमें विकास की दर 12.6 प्रतिशत से भी अधिक है। 
पटना, मुंगेर सबसे खुशहाल तथा मधेपुरा सुपौल, शिवहर सबसे गरीब जिले 
वर्तमान मूल्य पर 2015-16 में बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद यानी जीएसडीपी 4.14 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है। इसके मुताबिक राज्य में प्रति व्यक्ति आय 39,964 रुपये है। हालांकि प्रति व्यक्ति आय के मामले में कई जिलों में काफी असमानता दिखी है।
पटना मुंगेर और बेगूसराय राज्य के सबसे खुशहाल और मधेपुरा, सुपौल और शिवहर सबसे गरीब जिले हैं। राजधानी पटना को छोड़ भी दें तो दूसरे सर्वाधिक उन्नत जिले मुंगेर की प्रति व्यक्ति आय शिवहर से तीन गुनी अधिक है।
मंहगाई को नियंत्रित रखने में मिली कामयाबी
वित्तमंत्री द्वारा सदन पटल पर रखी गई सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि तमाम आर्थिक दबाव के बावजूद सरकार राज्य में मंहगाई को काबू रखने में कामयाब रही है। देश के ग्रामीण इलाकों में सितंबर 2015 से सितंबर 2016 के बीच मंहगाई की दर 4.96 थी जबकि बिहार के ग्रामीण इलाकों में यह 2.74 प्रतिशत रही।शहरी इलाकों में देश में मंहगाई दर 3.64 प्रतिशत थी जबकि बिहार के शहरी इलाकों में यह 1.68 प्रतिशत तक सीमित रही।
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में सरकार ने दावा किया है कि राज्य सरकार पर वर्ष 2015-16 में 88,829 करोड़ रुपये का कर्ज है। कर्ज और जीएसडीपी के बीच अनुपात 21.5 प्रतिशत है। यह चौदहवें वित्त आयोग से 25 प्रतिशत की निर्धारित सीमा से कम है। राजस्व प्राप्ति और ब्याज भुगतान की अनुपात भी नियंत्रण में है। चौदहवें वित्त आयोग ने दस प्रतिशत की सीमा निर्धारित की है। बिहार में यह 2011-12 में 9.3 प्रतिशत से घटकर 2016-17 में 8.5 प्रतिशत पर आ गया है।
सीडी रेशियो घटा 
रिपोर्ट में सितंबर 2016 तक बिहार के बैंकों में 238384 करोड़ रुपये जमा थे। जबकि बैंकों ने इसके एवज में 99454 करोड़ के कर्ज बांटे। यानी सीडी रेशियो 41.7 प्रतिशत रहा। वर्ष 2014-15 के 47.1 प्रतिशत की तुलना में यह काफी कम है।

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