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अब सीधे थानों में दर्ज होंगे आर्थिक अपराध के मामले

राज्य पुलिस मुख्यालय ने ठगी करने वाली नॉन-बैंकिंग व चिटफंड कंपनियों के साथ सरकारी राशि के गबन, भ्रष्टाचार, जाली नोटों के धंधेबाजों और अपराध की दुनिया में रहकर अकूत संपत्ति अर्जित करने वाले अपराधियों पर अपना शिकंजा कसने की मुकम्मल तैयारी कर ली है।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2015 10:15 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 10:18 AM (IST)
अब सीधे थानों में दर्ज होंगे आर्थिक अपराध के मामले

पटना (राजीव रंजन)। सूबे में अब आर्थिक अपराध करने वालों की खैर नहीं होगी। राज्य पुलिस मुख्यालय ने ठगी करने वाली नॉन-बैंकिंग व चिटफंड कंपनियों के साथ सरकारी राशि के गबन, भ्रष्टाचार, जाली नोटों के धंधेबाजों और अपराध की दुनिया में रहकर अकूत संपत्ति अर्जित करने वाले अपराधियों पर अपना शिकंजा कसने की मुकम्मल तैयारी कर ली है। अब सभी थानों में ऐसे अपराधों की शिकायत दर्ज करने के लिए एक अप्रैल से अलग व्यवस्था होगी।

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सूत्रों की मानें तो बिहार देश का पहला राज्य होगा, जहां इस तरह के आर्थिक अपराधों की जांच, निगरानी और समीक्षा की व्यवस्था की गई है। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में राज्य भर आर्थिक अपराधों के मामलों में दस गुना वृद्धि दर्ज की गई है। ऐसे में मुख्यालय ने आर्थिक अपराधों के मामलों की अलग से समीक्षा, निगरानी और जांच की व्यवस्था की है। इसके लिए सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को विशेष निर्देश जारी किए गए हैं। निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने जिले में सामान्य अपराधों की तरह आर्थिक अपराधों की क्राइम मीटिंग में अलग से समीक्षा करें और इसका डाटा तैयार कर उसे मुख्यालय को उपलब्ध कराएं। इसके लिए मुख्यालय स्तर से पुलिस अधीक्षकों को कुल 14 बिंदुओं का एक फार्मेट भी उपलब्ध कराया गया है। फार्मेट में सभी आर्थिक अपराधों की पूरी जानकारी के साथ उसकी जांच और जांच की निरंतर मॉनीटङ्क्षरग की व्यवस्था की गई है।

आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) के पुलिस महानिरीक्षक जितेंद्र सिंह गंगवार ने कहा कि अब इन मामलों की थाना स्तर से लेकर एसपी स्तर तक और रेंज डीआइजी स्तर से लेकर मुख्यालय स्तर तक समीक्षा की जाएगी। दरअसल, इस नई व्यवस्था से पहले थानों में दर्ज आर्थिक अपराध के मामलों को अन्यान्य में शामिल किया जाता था और पुलिस रिकॉर्ड में उसे जगह तक नहीं दी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सभी थानों को यह विशेष निर्देश दिया गया है कि ऐसे मामलों के दर्ज होने के बाद इसके लिए अलग से जांच अधिकारी (आइओ) नियुक्त किया जाएं। इन मामलों की जांच भी ठीक उसी तरह से की जाए जैसा कि पुलिस सामान्य अपराधों यथा हत्या, लूट, डकैती और इस तरह के अन्य अपराधों की जांच में करती है।


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