हर 'एकलव्य' पर इनकी नजर
गरीब परिवारों के बच्चे। दिनभर खेतों में धमाचौकड़ी करते। जो मिला सो खाया, कभी-कभार तो वो भी नहीं। एक युवा दंपती की निगाह जब भी इनकी तरफ जाती, द्रवित हो उठता था मन। उनके लिए कुछ करने की ठानी। मंथन कर कोचिंग खोलने का फैसला लिया।
मुजफ्फरपुर (प्रमोद मिश्र ) : गरीब परिवारों के बच्चे। दिनभर खेतों में धमाचौकड़ी करते। जो मिला सो खाया, कभी-कभार तो वो भी नहीं। एक युवा दंपती की निगाह जब भी इनकी तरफ जाती, द्रवित हो उठता था मन। उनके लिए कुछ करने की ठानी। मंथन कर कोचिंग खोलने का फैसला लिया। गुजरात से संबंध रखनेवाले महान धनुर्धर एकलव्य से प्रभावित थे। इसलिए नाम दिया : एकलव्य सुपर-50। दंपती का मानना है कि यदि गुरु द्रोणाचार्य के मार्गदर्शन बिना ही एकलव्य महान धनुर्धर हुए तो गरीब परिवारों के होनहार बच्चे क्यों नहीं परवाज भर सकते। संस्थान को पहले प्रयास में ही सफलता मिली। 2014 के बिहार बोर्ड की परीक्षा में यहां के 5 बच्चे 'टॉप टेन' में आए।
यह एक तरह की कोचिंग है। बच्चों को मानसिक रूप से तैयार करने वाली। मुकाम तक पहुंचने की प्रेरणा देनेवाली। उनकी मानसिकता के अनुरूप उन्हें शिक्षा देनेवाली। यहां वे बच्चे पढ़ रहे हैं जिनके परिवार में शायद ही कोई शिक्षित अथवा साक्षर भी हो। लेकिन, इन्हें देखकर कोई ऐसा कह नहीं सकता। बच्चों ने इसे साबित करना शुरू कर दिया है।
युवा दंपती संयुक्त आयकर आयुक्त राम बाबू गुप्ता व रति रामबाबू गुप्ता ने एकलव्य सुपर-50 की शुरुआत सीतामढ़ी से की। घूम-घूमकर उन होनहार-मेधावी 50 बच्चों को गोद लिया जो अत्यंत गरीब परिवारों से थे। मुफ्त में कॉपी-किताबें, पोशाक उपलब्ध कराईं। संस्थान की सीएमडी रति रामबाबू गुप्ता ने स्वयं कमान संभाली। पहले बच्चों की कमियों को दूर किया। मधुबनी पेंटिंग्स की पढ़ाई कर चुकीं श्रीमती गुप्ता चित्रकला व अन्य माध्यमों से भी बच्चों को प्रेरित करने लगीं। मेहनत रंग लाई। 2014 की बिहार बोर्ड परीक्षा में सुपर 10 बच्चों में यहीं के 5 शामिल थे। रिजल्ट से प्रभावित तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां आकर बच्चों को प्रोत्साहित किया था।
नौनिहालों की प्रतिभा देखकर इंजीनियरिंग की तैयारी करानेवाला एक इंस्टीच्यूट इन्हें नि:शुल्क पढ़ा रहा है। संस्थान की प्रेरणा ऐसी है कि वहां भी ये बच्चे टॉप पर चल रहे। इन्होंने न केवल इंजीनियरिंग, बल्कि सिविल सेवा को लक्ष्य बनाया है। इधर, गुप्ता दंपती ने गरीब मुसलमान, महादलित व अन्य पिछड़े परिवारों के बच्चों के लिए नि:शुल्क स्कूल खोल दिया है।
इन्होंने कहा-
- संयुक्त आयकर आयुक्त रामबाबू गुप्ता ने कहा कि जनजाति के सौ बच्चों को गोद लेने की योजना अंतिम चरण में है। उन्हें मेडिकल, इंजीनियरिंग की नि:शुल्क शिक्षा दी जाएगी। इसके अलावा सौ गरीब और प्रतिभावान छात्रों को गोद लेकर सिविल सर्विसेज की तैयारी कराई जाएगी। दोनों संस्थान पटना में एकलव्य सुपर 50 के नाम से चलेगा। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है।
एकल्व्य सुपर 50 के सीएमडी रति रामबाबू गुप्ता ने कहा कि संस्थान का उद्देश्य गरीब परिवारों के बच्चों को इस कदर प्रेरित करना और पढ़ाना है कि वे डॉक्टर, इंजीनियर, आइएएस, आइपीएस बनें। संस्थान लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा।