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चाहे मेरा कचरा कर दीजिए पर शराबबंदी लागू रहेगी : नीतीश

मु्ख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि चाहे उनका जितना मजाक बना लिया जाए, चाहे उन्हें जो सुनना पड़े, शराबबंदी लागू रहेगी। ताड़ से जुड़े रोजगार पैदा किए जाएंगे जिससे खुशहाली आएगी।

By Pramod PandeyEdited By: Published: Sat, 27 Aug 2016 10:02 PM (IST)Updated: Sun, 28 Aug 2016 11:22 PM (IST)
चाहे मेरा कचरा कर दीजिए पर शराबबंदी लागू रहेगी : नीतीश

पटना [राज्य ब्यूरो ]। सूबे में पूर्ण शराबबंदी पर अडिग रहने का संकल्प दोहराते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ-साफ कहा है कि उनका जितना कबाड़ा करना है, कर लीजिए, मगर अब वे इससे पीछे नहीं हटने वाले। कहा कि बहुत काम कर लिया। अब एक ही तमन्ना है कि आमलोगों के जीवन में खुशहाली आ जाए।

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विपक्ष पर पासी समाज को भड़काने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दो-तीन पैग लेने वालों के चक्कर में हम लाखों लोगों के भविष्य से नहीं खेल सकते। अधिवेशन भवन में शनिवार को ताड़ से नीरा बनाने के उद्योग पर आधारित कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने अफसरों को अगले बैसाख तक ताड़ी व्यवसाय को नीरा उद्योग में बदलने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया।

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सीएम ने शराबबंदी के आलोचकों को भी निशाने पर लिया और कहा कि जहरीली शराब पीने से घटना हो गई तो लोग हल्ला मचाने लगे। क्या इससे पहले बिहार में ऐसी घटना नहीं हुई थी या दूसरे प्रदेशों में नहीं हो रही है? कहा कि ताड़ के पेड़ का सर्वाधिक दुरुपयोग ताड़ी के रूप में किया जा रहा है। सवाल जीविका से जुड़ा है तो सरकार रोजगार पैदा करेगी। इससे जुड़े लोगों की जिंदगी में खुशहाली लाएगी।

हमारी बहनें क्यों सुनें अनाप-शनाप

शराबबंदी के आलोचकों की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए मुख्यमंत्री ने पासी समाज को भड़काने की वजह भी बताई और कहा कि ताड़ी नहीं, नीरा बेचने में सम्मान है। गांवों में ताड़ी पीने के बाद लोग अंड-बंड बकते हैं। दो-दो बित्ते की गाली देते हैं। हमारी बहनें अनाप-शनाप क्यों सुनेंगी। इसी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लोग विरोध कर रहे हैं। वे नहीं चाहते कि पासी समाज तरक्की करे। उनके छाती-घुटने का गट्ठा खत्म हो।

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ताड़ पर तय होगी हिस्सेदारी

मुख्यमंंत्री ने ताड़ मालिकों को भी आश्वस्त किया और अधिकारियों को ऐसी व्यवस्था बनाने का निर्देश दिया जिसमें इस व्यवसाय से जुड़े लोग एवं मालिक की हिस्सेदारी तय रहे। उन्होंने कहा कि पासी के पास ताड़ नहीं है। यह बटाई की चीज है। जिनके पास पेड़ है, उन्हें घर बैठे फायदा मिल जाता है। इसलिए ऐसा नियम बनाया जाए कि किसी के प्रति अन्याय न हो।

बत्ती ऑफ कर नीरा ले लीजिएगा

मुख्यमंत्री ने पीने वालों को नसीहत देते हुए कहा कि अगर आदत नहीं छूट रही है तो बत्ती ऑफ करके नीरा ही ले लीजिएगा। क्या फर्क पड़ जाएगा। सूर्योदय से पहले उतारकर तुरंत इस्तेमाल करने पर नीरा पौष्टिक है। ताड़ी इसका विकृत रूप है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरे प्रदेशों के कई लोग फोन करके कहते हैं कि अब आपके पास कैसे आएं? पीने को तो मिलेगा नहीं। हमारा जवाब होता है कि फ्लाइट से आइए और दिनेदिन लौट जाइए।

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दूध की तरह होगा नीरा का संग्र्रह

नीरा प्रोसेसिंग उद्योग के लिए मुख्यमंत्री ने कंफेड को जिम्मेवारी देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इसका दूध की तरह संग्र्रह करके प्रोसेसिंग प्लांट तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। इससे जुड़े लोगों का समूह बनाकर पंचायत या प्रखंड स्तर पर संग्र्रह का काम किया जाए।

मुख्यमंत्री ने ताड़ के पेड़ों की संख्या के मुताबिक प्रोसेसिंग प्लांट लगाने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जहां ज्यादा पेड़ हैं, वहां पहले प्लांट लगाया जाएगा। कार्यक्रम को उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह एवं कृषि मंत्री रामविचार राय ने भी संबोधित किया। इस दौरान मुख्यसचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश, उद्योग विभाग के सचिव एस सिद्धार्थ समेत कई अधिकारी भी मौजूद थे।


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