बिहार के मेडिकल कालेजों को एमसीआइ ने नहीं दी है डिप्लोमा की मान्यता
राज्य के विभिन्न सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस के बाद मिलने वाली डिप्लोमा की एमसीआइ से मान्यता नहीं है। इस संबंध में राजेश चंद्रा एवं अन्य डाक्टरों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि इन कालेजों में मान्यता के बिना पढ़ाई का कोई महत्व नहीं।
पटना। राज्य के विभिन्न सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस के बाद मिलने वाली डिप्लोमा की एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) से मान्यता नहीं है।
इस संबंध में राजेश चंद्रा एवं अन्य डाक्टरों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि इन कालेजों में मान्यता के बिना हो रही पढ़ाई का कोई महत्व नहीं है। सुनवाई के दौरान यह भी बात आई कि बिहार के लगभग सारे मेडिकल कालेजों में कुछ न कुछ कमियां हैं, जिसके चलते एमसीआई की मान्यता नहीं मिल पाई है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करे। गुरुवार को राज्य सरकार ने स्वीकार किया कि निसंदेह कुछ कालेजों में शिक्षकों की कमी और आधारभूत संरचना और उपकरण की कमी है।
इसके चलते एमसीआई ने डिप्लोमा डिग्र्री की मान्यता नहीं दी है। हालांकि इन कालेजों में इसके बावजूद पढ़ाई हो रही है। इस पर हाईकोर्ट ने पूछा कि इन सारी कमियों को दूर करने के लिए कितना समय चाहिए।
राज्य सरकार ने छह महीने की मोहलत मांगी, लेकिन हाईकोर्ट ने फरवरी में एक्शन टेकेन रिपोर्ट देने का निर्देश दिया और कहा कि आधारभूत संरचना विकसित करने और कमियां दूर करने के लिए सरकार की ओर से क्या-क्या प्रयास किए गए, विस्तृत रिपोर्ट मिलनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान पटना मेडिकल कालेज का भी मामला उठा, जहां 1965 से ही डिप्लोमा की पढ़ाई हो रही है, लेकिन अभी तक एमसीआई से मान्यता नहीं मिली है। राज्य सरकार ने इसके बारे में कहा कि शिक्षक और स्टाफ की कमी के चलते मान्यता नहीं मिल पाई है। मामले की सुनवाई अजय कुमार त्रिपाठी ने की।