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रैपर बदलकर तैयारी की जाती नकली दवाएं

राजधानी समेत देशभर में ड्रग माफिया नकली दवाओं के कारोबार में शामिल हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 01:31 AM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 01:31 AM (IST)
रैपर बदलकर तैयारी की जाती नकली दवाएं
रैपर बदलकर तैयारी की जाती नकली दवाएं

पटना। राजधानी समेत देशभर में ड्रग माफिया नकली दवाओं के कारोबार में शामिल हैं। इनके लिए मरीजों की मौत से बढ़कर पैसा कमाना है। ये मौत के सौदागर एक्सपायरी दवाओं के रैपर बदलकर नकली दवाएं तैयार करते हैं। जिन बड़ी कंपनियों की प्रमुख दवाएं एक्सपायर कर जाती हैं, उन पर इनकी नजर रहती है। वे शहर से लेकर गांव तक के एक्सपायरी दवाओं का संग्रह करते हैं, उन पर नकली रैपर तैयार कर चिपका देते हैं। साथ ही नए रैपर पर दवाओं की कीमत में भी तीस से चालीस फीसदी की वृद्धि कर दी जाती है। इससे ड्रग माफिया को दोहरा लाभ होता है। इससे एक तो एक्सपायरी दवाओं को इस्तेमाल कर लिया जाता है और दूसरी ओर उसकी कीमत भी बढ़ी होती है।

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जानकारों का कहना है कि सूबे में नकली दवाओं का प्रतिवर्ष करोड़ों का कारोबार हो रहा है। इनका नेटवर्क शहर से लेकर गांव तक फैला हुआ है। काफी मात्रा में नकली दवाएं राज्य के बाहर से आ रही हैं। महाराष्ट्र, हरिणाया, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं बंगाल से काफी मात्रा में नकली दवाएं बिहार में आ रही हैं। उनका उपयोग पटना से लेकर गांवों तक में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

टैबलेट में भरे जाते सत्तू व पाउडर

विशेषज्ञ बताते हैं कि नकली टैबलेट में सत्तू एवं पाउडर भरे जाते हैं। यह काम दिल्ली में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। नकली दवाएं सबसे ज्यादा राजधानी में आपूर्ति की जाती है। फिर राजधानी से जिला मुख्यालयों पर पहुंचाई जाती हैं। ये दवाएं एक तरफ तो मरीजों को कोई लाभ नहीं पहुंचाती, दूसरी ओर बीमारी बढ़ाने का काम करती हैं।

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ड्रग इंस्पेक्टर नहीं देते रिपोर्ट

प्रत्येक ड्रग इंस्पेक्टर के लिए खास एरिया निर्धारित होता है। उन्हें होलसेल दुकानों से सेंपल लेकर जांच करानी होती है, जिसके बाद खुदरा विक्रेताओं के बीच दवाएं बेची जाती हैं। लेकिन कई बार ड्रग इंस्पेक्टर अपनी जिम्मेदारी का सही तरीके से निर्वाह नहीं करते और बाजार में नकली दवाएं भर जाती हैं। वर्तमान में राजधानी में नकली दवाएं बड़े पैमाने पर पकड़ी जा रही हैं, यह औषधि विभाग की विफलता का परिचायक है।

सरकारी दवाओं की भी जांच जरूरी

जानकारों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में बिहार स्वास्थ्य सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम द्वारा दवाओं की आपूर्ति की जाती हैं। नियमों के अनुसार इन दवाओं की भी जांच होनी चाहिए। दवाओं को जांच कर ही मरीजों को मुहैया कराने का प्रावधान है। लेकिन यह काम भी समय से नहीं हो रहा है। सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच से लेकर सदर अस्पतालों में सरकार द्वारा दवाओं की आपूर्ति की जा रही हैं।

केमिस्ट एसोसिएशन ने सराहा

प्रशासन द्वारा नकली दवाओं की धडपकड़ करने के मामले को बिहार केमिस्ट एवं ड्रगिस्ट एसोसिएसन ने सराहना की है। उनका कहना है कि ऐसी गतिविधियों पर रोक लगनी चाहिए और ड्रग माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।


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