पंजाब चुनाव में फैक्टर बने नीतीश, राजनीतिक दलों में साथ करने की हाेड़
प्रकाश पर्व के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता सिखों में बढ़ी है। राजनीतिक दल पंजाब चुनाव में इसका फायदा उठाना चाहते हैं। इसके लिए नीतीश को साथ करने की कोशिश जारी है।
पटना [जेएनएन]। राजधानी में गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाश पर्व के सफल आयोजन के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता पंजाब तक में ऊफान मार रही है। प्रकाश पर्व में वहां से बिहार आए सिख श्रद्धालुओं ने इस सफल आयोजन के लिए उन्हें श्रेय दिया तो पक्ष-विपक्ष के सभी नेताओं ने भी उनकी तारीफ की। अब नीतीश की इस लोकप्रियता को पंजाब के विधानसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश की जा रही है।
गुरु गोविंद सिंह प्रकाश पर्व के सफल आयोजन के बाद नीतीश कुमार पंजाबियों के दिलों में बैठ चुके हैं। पंजाब में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की कोई पकड़ नहीं, लेकिन अपनी लोकप्रियता के बल पर वहां नीतीश कुमार बड़े चुनावी फैक्टर हो सकते हैं। इसकी संभावना टटोलने में राजनेता लग गए हैं। इसका सिलसिला प्रकाश पर्व के दौरान से ही शुरू है।
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अहलूवालिया, अमरिंदर व बादल ने की तारीफ
प्रकाश पर्व के दौरान पटना पहुंचे केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 'असली सरदार' कहा। दूसरी ओर कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पंजाब चुनाव में नीतीश कुमार से प्रचार करने का आग्रह किया। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने तो यहां तक कह दिया कि जैसा आयोजन नीतीश कुमार ने किया है, वैसा तो वे पंजाब में भी नहीं कर पाते।
केजरीवाल ने भी की मुलाकात
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी प्रकाश पर्व के दौरान हरमंदिर साहिब में मत्था टेकने के बाद नीतीश से मिलने पहुंचे थे। उनकी पार्टी भी पंजाब में चुनाव लड़ रही है।
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पीएम मोदी ने भी की तारीफ
प्रकाश पर्व के दौरान से नीतीश कुमार को लेकर भाजपा के सुर भी बदले दिख रहे हैं। प्रकाश पर्व में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की थी।
लोकप्रियता भुनाना चाहते राजनीतिक दल
दरअसल, पत्र-विपक्ष के सभी दलों ने प्रकाश पर्व की सफलता के बाद सिख समुदाय में नीतीश कुमार की लाेकप्रियता को भांप लिया है। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार पंजाब के चुनाव में नीतीश किसी दल विशेष की नैया के खेवनहार भले ही नहीं बन सकें, लेकिन उनकी छवि का असर तो पड़ेगा ही। ऐसे में उनकी लोकप्रियता भुनाने की कोशिश राजनीतिक दल कर रहे हैं।
सभाओं में भीड़ जुटनी तय
राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि विधानसभा चुनाव में चूंकि स्थानीय मुद्दे भी होते हैं, इसलिए नीतीश वहां पूरी तरह कारगर भले ही नहीं हों, लेकिन उनकी सभाओं में (अगर वे जाते हैं) भीड़ जरूर जुटेगी। हालांकि, अभी यह तय नहीं हुअा है कि नीतीश किस पार्टी के लिए प्रचार करेंगे। पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान चार फरवरी को है।