नीतीश ने दी थी चेतावनी, क्या शहाबुद्दीन को मिल सकेगी बेल?...कयास जारी
सुप्रीम कोर्ट में शहाबुद्दीन को पटना हाई कोर्ट से मिली जमानत के खिलाफ तीन याचिकाओं पर सुनवाई हुई और यह सुनवाई कल भी जारी रहेगी। अब कल सबकी नजरें टिकी रहेंगी कि क्या होगा साहेब का?
पटना [काजल]। मोहम्मद शहाबुद्दीन यानि 'सिवान के साहेब' को पटना हाईकोर्ट ने जमानत दे दी लेकिन उन्हें बिहार के लोग इतनी आसानी से अब उन्हें बख्शने वाले नहीं हैं। लोगों की हिम्मत और साथ ही राज्य की नीतीश सरकार का भी समर्थन -दोनों ने उनके लिए परेशानियां पैदा कर दी हैं। एेसा मानना है कि शहाबुद्दीन के प्रति अब वैसा खौफ नहीं जैसा पहले था।
आशा रंजन ने दिखाई है हिम्मत
पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन ने हिम्मत दिखाई और दिल्ली जाकर अपने पति की हत्या का इंसाफ मांगने के लिए सबसे गुहार लगाई। उनकी गुहार पर केंद्र सरकार ने संज्ञान लिया और मामले की सीबीआई जांच के निर्देश दिए।
उसके बाद अाशा रंजन यहीं नहीं रूकीं उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा दिया है और अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा का दायित्व भी प्रशासन को सौंप दिया है। उन्होंने बार-बार कहा कि उनके पति की हत्या में शहाबुद्दीन का ही हाथ है।
चंदा बाबू को मिलेगा न्याय?
उ्धर तेजाब कांड में अपने तीन पुत्रों को खो चुके असहाय माता- पिता के भी हिम्मत की दाद देनी होगी, जिन्होंने न्याय के लिए ग्यारह साल इंतजार किया। लेकिन शहाबुद्दीन को जमानत मिलने के बाद उनकी बूढ़ी पथराई आंखों से निराशा के आंसू बह निकले।
तेजाब से नहलाकर मार दिए गए युवकों के पिता चंदा बाबू ने तो उम्मीद खो दी थी लेकिन प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण का साथ मिलने से उन्हें फिर से न्याय के प्रति आस जगी और उन्होंने हिम्मत दिखाकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। चंदा बाबू और कलावती देवी आज दिनभर टीवी के जरिए अपने बेटों की मौत के गुनहगार की सजा का एलान सुनने के लिए बेताब हैं।
शहाबुद्दीन को लेकर कोई रिस्क नहीं लेगी बिहार सरकार
राज्य सरकार भी अब शहाबुद्दीन के मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती इसीलिए सरकार ने भी शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपनी तरफ से भी अर्जी दे दी थी। लेकिन सरकार ने इसमें देर लगा दी, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि अगर मामला इतने अर्जेंट था तो जब हाईकोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया था, उस समय रोक की मांग क्यों नहीं की।
शहाबुद्दीन का कद, उनका खौफ और राज्य के महागठबंधन सरकार में सबसे बड़े दल की पार्टी का साथ और पार्टी के सुप्रीमो लालू यादव का हाथ उनके सिर पर होना क्या शहाबु्द्दीन को बचा सकेगा? यह प्रश्न हर किसी के जेहन में उठ रहा है। शहाबुद्दीन ने जेल से बाहर निकलते ही लालू यादव को अपना नेता बता दिया था और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को परिस्थितिओं का नेता करार दिया था।
नीतीश ने कहा था कि बिहार में कोई डॉन नहीं बन सकता
वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि बिहार मे कोई डॉन नहीं बन सकता और जो डॉन बनेगा वो अंदर जाएगा। नीतीश की इस दो टूक के भी कई तरह से सोचा जा रहा है। नीतीश कुमार वक्त-बेवक्त कहते रहे हैं कि अपराधी कोई भी हो बख्शा नहीं जाएगा...यह बयान चरितार्थ भी हुआ है। जैसे मनोरमा देवी-बिंदी यादव, राजवल्लभ-सरफराज अहमद, हों या बीमा भारती-अवधेश मंडल , इन सबमें से किसी को रियायत नहीं मिली है।
वकील रामजेठमलानी ने नहीं की आज पैरवी
देश के प्रख्यात वकील रामजेठमलानी राजद के बाहुबली मोहम्मद शहाबु्द्दीन की तरफ से केस लड़ने वाले थे लेकिन एेन वक्त पर उन्होंने बुधवार कोर्ट के सेशन में भाग नही लिया जिससे इस केस को लेकर घटती-बढती बातों के कयास लगाए जा रहे हैं। रामजेठमलानी ने जहां आज लालू के चारा घोटाले की पैरवी की वहीं शहाबु्द्दीन के मामले में खिसक लिए।
अब सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बुधवार को जारी रही और तमाम दलीलों के बाद इसकी सुनवाई अब गुरुवार को भी होगी। बुधवार को दिनभर लोगों के मन में बेचैनी बनी रह गई कि क्या फैसला होगा? अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या कल भी शहाबुद्दीन के खिलाफ एक साथ तीन याचिकाओं की सुनवाई किसके पक्ष में होगी।
इसके लिए अब कल तक का समय है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अब सबकी निगाहें टिकी हैं कि क्या शहाबुद्दीन को सहूलियत मिलती है या उनकी जमानत को ठुकराकर कोर्ट उन्हें जेल भेजेगी?