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पूंजी व तकनीक से मैनेज होगा चुनावी 'इवेंट'

पूंजी और तकनीक के मेल से पैदा होने वाली चमक ने सभी दलों को जबर्दस्त तरीके से अपनी तरफ आकर्षित किया है। पिछले लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी इसकी सबसे बड़ी पैरोकार रही।

By Pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2015 10:19 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2015 10:21 AM (IST)
पूंजी व तकनीक से मैनेज होगा चुनावी 'इवेंट'

पटना [सुविज्ञ दुबे]। पूंजी और तकनीक के मेल से पैदा होने वाली चमक ने सभी दलों को जबर्दस्त तरीके से अपनी तरफ आकर्षित किया है। पिछले लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी इसकी सबसे बड़ी पैरोकार रही।

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इसका उसे सबसे ज्यादा फायदा भी मिला। अब कोई भी राजनीतिक पार्टी चूकना नहीं चाहती। चुनाव को बड़े फलक पर 'इवेंट' के तौर पर लेने की मानसिकता ने 'मैनेजमेंट कंपनियों' का भी रास्ता साफ किया और राजनीतिक दल इनकी सेवाएं लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे।

जदयू इस बार लोकसभा के पिछले चुनाव से सबक ले चुका है। उसने पिछले चुनाव में विरोधी भाजपा की मीडिया नीति तैयार करने वाले को ही अपने साथ ले लिया है। दूसरी तरफ भाजपा एक साथ कई स्तरों पर काम करने की रणनीति पर अमल कर रही है, हालांकि सबका शुरुआती फोकस सोशल मीडिया पर ही है।

अभी चुनाव की घोषणा तक नहीं हुई है। लेकिन सभी दलों के प्रमुख नेताओं से लेकर दूसरी कतार तक के नेताओं के फेसबुक पेज, टिवटर अकाउंट सक्रिय हो गए हैं। विरोधियों पर निशाना साधने का दौर भी शुरू हो गया है। इसके पीछे जाहिर तौर पर 'प्रोफेशनल' हाथ काम कर रहे हैं।

जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनावों में भाजपा की जबरदस्त जीत में प्रचार तकनीक और मीडिया मैनेजमेंट का खासा रोल था। भाजपा के अलावा अन्य दल इस मामले में पीछे रह गए थे। भाजपा द्वारा प्रचार-प्रसार के लिए इस्तेमाल किए गए लेजर शो, थ्रीडी, सोशल मीडिया आदि से मतदाता चमत्कृत हो गए थे।

पार्टी को इसका जबरदस्त फायदा भी मिला था। लोकसभा चुनाव में जदयू नेता नीतीश कुमार अपनी उपलब्धियों के भरोसे रहे। मीडिया कैंपेन की रणनीति तैयार करने वालों की मानें तो नीतीश अपनी उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने में कामयाब नहीं हो सके थे। या कहें कि भाजपा का उसी के स्टाइल में काउंटर नहीं कर सके।

उनके पिछडऩे की यह एक बड़ी वजह रही थी। इस बार नीतीश कुमार ने कोई रिस्क न लेते हुए लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार की रूप-रेखा तैयार करने वाले प्रशांत किशोर की सेवाएं ली हैं। अब प्रशांत किशोर आधिकारिक तौर पर जदयू के लिए काम कर रहे हैं।

आरसीपी सिंह और केसी त्यागी को प्रशांत किशोर को सभी जरूरी इनपुट उपलब्ध कराने की जिम्मदारी दी गई है। प्रशांत किशोर ने चुनाव प्रचार की आरंभिक रूप-रेखा तैयार भी कर ली है। युवाओं को फोकस में रखते हुए सरकार की उपलब्धियों और नीतियों को प्रभावी ढंग से लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इसके साथ ही दूसरी बड़ी चुनौती विरोधियों का जवाब देना भी है।

भाजपा ने हाल ही में सभी जिलों में मीडिया प्रभारियों की बैठक की है। बैठक में प्रदेश भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव, पार्टी के प्रदेश संगठन मंत्री नागेंद्र जी, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नंद किशोर यादव आदि ने पार्टी की मीडिया नीति पर चर्चा की थी।

तय हुआ कि अब राज्य के सभी मीडिया प्रिंट सेंटरों, यानी उन शहरों जहां से अखबारों का प्रकाशन होता है, पर नियमित रूप से ब्रीफिंग की जाए। इसके अलावा क्षेत्रीय समाचार चैनलों के जरिए पार्टी की रीति-नीति का प्रचार किया जाए। इस बार पार्टी सामुदायिक (कम्युनिटी) रेडियो को भी अपना हथियार बनाना चाहती है।

स्थानीय स्तर पर चल रहे कम्युनिटी रेडियो की पहुंच सुदूर गांवों तक है। पार्टी इसका पूरा लाभ उठाना चाहती है। इसके अलावा पार्टी के पक्ष में स्थानीय केबल टीवी का भी इस्तेमाल किया जाएगा।


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