श्रद्धालुओं से पटा बोधगया, बुद्ध जयंती पर 'त्रिशरण जयघोष' का आगाज
राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने शनिवार को महाबोधि मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में भगवान बुद्ध की 2560वीं त्रिविध जयंती समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोधगया में श्रद्धालुओं की भरी भीड़ उमड़ पड़ी।
गया। राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कहा कि बौद्ध धर्म वास्तव में मानव धर्म है। एक महामानव ने समस्त प्राणियों विशेषकर मानव जगत के कल्याण का मार्ग बताया। श्रेष्ठ आचार संहिता बौद्ध धर्म की परिभाषा हो सकती है। इसमें संप्रदाय व जातीय भेदभाव नहीं है। भगवान बुद्ध द्वारा बताए पंचशील और आर्य आष्टांगिक मार्ग के पालन से ही मनुष्य का जीवन सार्थक होगा।
राज्यपाल शनिवार को महाबोधि मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में भगवान बुद्ध की 2560वीं त्रिविध जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। कहा, बुद्ध के जीवन की तीन अतिमहत्वपूर्ण घटनाएं जन्म, संबोधि लाभ व महापरिनिर्वाण वैशाख की पूर्णिमा को घटित हुईं। ऐसा महापुरुषों के जीवन में ही संभव हो सकता है। बोधगया बौद्ध धर्म की जन्मस्थली के रूप में विख्यात है। यहीं बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ उन्होंने अपनी पत्नी व समारोह के थाई दानदाता के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति द्वारा प्रकाशित वार्षिक पत्रिका 'प्रज्ञा 2016' का विमोचन किया। कहा, बौद्ध धर्म के मुख्य स्तंभ प्रज्ञा, शील व समाधि हैं। धम्मपद की गाथा का सार सुनाते हुए कहा कि पाप न करना, पुण्य का संचय करना व अपने चित्त को परिशुद्ध करना, यही भगवान बुद्ध की शिक्षा है। इसे हम धर्म का सार भी कह सकते हैं।
इसके पूर्व जिलाधिकारी कुमार रवि ने स्वागत भाषण में कहा कि बुद्ध के उपदेश सभी वर्गों के लिए पथ प्रदर्शक है। धन्यवाद ज्ञापन सचिव एन. दोरजे ने किया।