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संवादहीनता ने बढ़ाई राजद-जदयू की तल्खी

संवादहीनता ने राजद-जदयू के बीच तल्खी बढ़ा दी है। इनके नेता विधानसभा के आसन्न चुनाव में सीटों के तालमेल के मुद्दे पर आपस में मिल बैठकर जरूरत के हिसाब से बात नहीं कर रहे हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2015 11:58 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2015 12:05 PM (IST)
संवादहीनता ने बढ़ाई राजद-जदयू की तल्खी

पटना [वीरेन्द्र कुमार]। संवादहीनता ने राजद-जदयू के बीच तल्खी बढ़ा दी है। इनके नेता विधानसभा के आसन्न चुनाव में सीटों के तालमेल के मुद्दे पर आपस में मिल बैठकर जरूरत के हिसाब से बात नहीं कर रहे हैं।

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जनता दल परिवार के विलय की घोषणा ने निचले स्तर के नेताओं के बीच भ्रम उत्पन्न कर दिया कि अब सबकुछ निर्णय बिना नाम की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के स्तर पर होगा। अब सच्चाई सामने आ गयी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद बैठकर बात करेंगे तो मामला सुलझ जाएगा।

राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि आखिर एकाएक ऐसा क्या हो गया कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दूरभाष पर तो बात कर रहे हैं, किन्तु अगल-बगल में सरकारी आवास होने के बावजूद एक दूसरे के घर बैठकर बात से परहेज कर रहे हैं।

लालू बार-बार कह रहे हैं कि नीतीश कुमार के साथ उनकी बात होगी तो सभी मुद्दे सुलझ जाएंगे। भाजपा को अव्वल दुश्मन मानकर चलने वाले प्रदेश के दोनों कद्दावर नेताओं को तालमेल की बाधाओं को दूर करते कौन रोक रहा है। ऐसी बात नहीं है कि दोनों नेताओं को बैठकर बात करने की फुर्सत नहीं है।

लालू प्रसाद तो दिनभर घर बैठे प्रदेश के कोने-कोने की रिपोर्ट ले रहे हैं। उनसे मिलने वाले पार्टी के छोटे-बड़े सभी नेता एक ही सवाल करते हैं कि आखिर तालमेल का क्या होगा। विलंब नहीं हो। कोई भी निर्णय शीघ्र लिया जाए।

राजद-जदयू सहित अन्य गैर भाजपा दलों से तालमेल के हिमायती राजद नेताओं का मानना है कि जदयू, कांग्रेस, एनसीपी सहित अन्य दलों से अनवरत संपर्क में रहने के लिए लालू प्रसाद को कोई कमेटी गठित करनी चाहिए थी।

ऐसा नहीं कर लालू अकेले ही सभी स्तर की वार्ता में शरीक हो रहे हैं। इसका आधार यह है कि राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने लालू को विलय या समान विचारधारा वाले दलों से तालमेल के लिए अधिकृत किया है। नीतीश कुमार ने लालू की बराबरी में अपने दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को तालमेल पर वार्ता के लिए भेजा। सर्वविदित है कि यादव भले राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, किन्तु जनाधार नीतीश कुमार का है व निर्णय उन्हें करना होगा।

तल्खी दोनों ओर से हो रही बयानबाजी को लेकर है। इसको महज बहाना बनाया जा सकता है। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह तो पहले से ही कहते रहे हैं कि चुनाव के बाद बैठकर नेता तय किया जाए। चुनाव से पहले घोषित नहीं हो।

जदयू की ओर से पहली बार प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने एलान किया है कि चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में होना चाहिए। इसपर राजद का प्रदेश या केन्द्रीय नेतृत्व कुछ भी बोलने से परहेज कर रहा है। राजद के नीति निर्धारकों का मानना है कि उनकी पार्टी तो सड़क पर है। प्रदेश की सत्ता जिनके हाथों में है उनको आगे बढ़कर तालमेल पर बात करनी चाहिए। उनकी जिम्मेदारी अधिक बनती है।


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