बिहारियों के कारण मुंबई के जुहू चौपाटी और अक्सा बीच बन जाते हैं छठ घाट, जानिए
बिहार के लोगों की पहुंच कहां नहीं है। बिहारी जहां भी जाते हैं अपना अक्स छोड़ जाते हैं। लोक आस्था का पर्व छठ पर मुंबई में भी कुछ एेसा ही नजारा दिखता है। मायानगरी भी छठमय हो गई है।
पटना [जेएनएन]। बिहारी जहां भी गए अपनी संस्कृति साथ ले गए, और छठ तो सूबे की अस्मिता से जुड़ा है। बहुत से प्रवासी बिहारी मुंबई में रहते हैं। मुंबई में छठ पूजा अब इतने बड़े पैमाने पर होती है कि प्रशासन को विशेष व्यवस्था करनी पड़ती है। विशेष बल की तैनाती और ट्रैफिक रूट में बदलाव करना पड़ता है। बाजार और दफ्तरों में छुट्टी का माहौल होता है। समुद्र तट पर बड़े-बड़े मंच लगाए जाते हैं। मुंबई के बीच पर छठ का नजारा दिखता है।
मराठी मानुष भी सूर्य की अराधना में देते हैं सहयोग
देश ही क्यों विदेश तक बिहार के लोग बसे हैं। मायानगरी मुंबई की शान बिहारियों से है। इसमें सिनेमा के क्षेत्र से जुड़े काफी सारे लोग हैं। फिल्मी हस्तियां शाम के अर्घ्य के बाद देर रात तक श्रद्धालुओं का मनोरंजन करती हैं। अब मराठी मानुष भी भगवान सूर्य की अराधना में सहयोग करते हैं। बिहारियों की श्रद्धा, विश्वास, भक्ति का परिणाम है कि छठ के दिन मुंबई में मुख्यमंत्री सहित बड़े नेता समुद्र तट पर दिख जाएंगे।
छठ के कारण तिल रखने की नहीं रहती जगह
मुंबई का शायद ही कोई इलाका होगा, जहां छठ पूजा नहीं होती है। गिरगाव चौपाटी, बान गंगा, दादर चौपाटी, जुहू चौपाटी, मलाड में अक्सा बिच, बोरीवली बिच, जैसल पार्क, विरार आदि में तील रखने की भी जगह नहीं बचती है। मुंबई के मध्य एवं पूर्वी इलाकों में पवई झील, सायन तालाब, चेम्बूर तालाब, मुलुंड तालाब, ठाणे तालाब, डोम्बिवली एवं कल्याण में बड़े पैमाने पर आयोजन किए जाते हैं। नवी मुंबई के वाशी, सानपाडा, जुईनगर, नेरुल, खारघर एवं पनवेल में मराठी लोग छठ पूजा की तैयारी में बढ़-चढ़कर शामिल होते हैं। मुंबई में बिहारियों का एक वर्ग गगनचुंबी इमारतों में रहता है, वह भी अब स्विमिंग पूल से घाटों पर आ रहे हैं।
90 से बनने लगीं छठ पूजा समितियां
मुंबई में 70 के दशक से ही प्रवासी बिहारी छठ पूजा करते आ रहे हैं। 80 के दशक मेंं प्रवासी बिहारियों की संख्या तेजी से बढ़ी। 90 दशक में लोगों ने छठ पूजा समिति और संस्था बनाकर व्यवस्थित तरीके से छठ पूजा प्रारंभ की। 2000 में छठ पूजा की रजिस्टर्ड संस्थाओं की संख्या 100 पार कर गई। पिछले साल लगभग 2100 संस्थाओं और समितियों ने मुंबई महानगर पालिका से अनुमति ली। पूजा स्थल पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए भी 1200 से अधिक ने अनुमति ली।
पूजा में शामिल होते हैं लाखों श्रद्धालु
छठ के समय 2005 में जुहू बीच पर तीन लाख से ज्यादा लोग जुटे थे। गया के मूल निवासी फिरोज अशरफ पांच दशक से मुंबई में रह रहे हैं। उनके अनुसार 1960 के आसपास उदयभान सिंह, उमाकांत मिश्र, भागवत झा, तिलकधारी झा आदि गणमान्य बिहारी छठ पूजा का सार्वजनिक आयोजन शुरू किए थे। इसे बिहार एसोसिएशन के बैनर तले अल्केम लेबोरेटरी के मालिक संप्रदा प्रसाद सिंह ने आगे बढ़ाया। 1960-70 के दशक में 95 फीसद बिहारी छठ में गांव लौट जाते थे। 80 के दशक से बिहारियों ने रोजगार और स्थाई नौकरी के साथ परिवार रखना शुरू किया। इसके बाद छठ के लिए सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ जुटनी शुरू हुई।
समितियां बनाकर पूजा का किया गया विस्तार
2009 बिहार फॉउंडेशन के मुंबई चैप्टर की स्थापना हुई। चेयरमैन रवि शंकर श्रीवास्तव ने 'छठ पूजा समन्वय समिति बनाकर मुंबई के विभिन्न इलाकों के छठ पूजा समितियों की समस्याओं के समाधान के लिए मंच प्रदान किया। स्थानीय लोगों का भी खूब साथ मिला। बड़े स्तर पर आइएएस, आइपीएस, आइआरएस, बैंकर, रेलवे अधिकारी, बिजनेस मैन के परिवार छत से समुद्र और तालाब में छठ करने के लिए जुटने लगे। आज मुंबई में छठ पूजा बिहारियों की शान और पहचान बन गई है।