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बिहार पंचायत चुनाव : आबादी के अनुपात में आरक्षित होंगी सीटें

सूबे में अगले वर्ष प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षित वर्ग के मतदाताओं की संख्या ही सीटों के आरक्षण का आधार होगी। आबादी की गणना में पूर्ण अंक (राउंड फीगर) की व्यवस्था के तहत अनुसूचित जाति-जनजाति को पिछड़ा वर्ग की तुलना में 0.5 फीसद अंकों की तवज्जो मिलेगी।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2015 04:22 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2015 04:28 PM (IST)
बिहार पंचायत चुनाव : आबादी के अनुपात में आरक्षित होंगी सीटें

पटना। सूबे में अगले वर्ष प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षित वर्ग के मतदाताओं की संख्या ही सीटों के आरक्षण का आधार होगी। आबादी की गणना में पूर्ण अंक (राउंड फीगर) की व्यवस्था के तहत अनुसूचित जाति-जनजाति को पिछड़ा वर्ग की तुलना में 0.5 फीसद अंकों की तवज्जो मिलेगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस प्रस्ताव पर पंचायती राज विभाग और महाधिवक्ता से राय मांगी है।

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गौरतलब है कि पंचायत चुनाव में छह पदों (मुखिया, पंचायत सदस्य, सरपंच, पंच, पंचायत समिति के सदस्य और जिला परिषद के सदस्य) के लिए चुनाव होना है। जिला परिषद के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख/ उप प्रमुख, उप मुखिया और उप सरपंच के लिए अप्रत्यक्ष ढंग से चुनाव होना है।

आरक्षित श्रेणी की 50 फीसद सीटों में 30 फीसद अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के लिए चिह्नित होंगी। 20 फीसद सीटें पिछड़ा वर्ग के लिए होंगी। इसी 50 फीसद में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें समायोजित होंगी और आरक्षण के वरीयता क्रम में उन्हें पहली प्राथमिकता हासिल होगी।

आरक्षण की इस व्यवस्था का निर्धारण जाति विशेष की जनसंख्या के आधार पर होगा। इस पैमाने पर पिछड़ा वर्ग की तुलना में एससी-एसटी तबके को कुछ तवज्जो मिलनी है। एक तो, उनके लिए आरक्षित सीटों की संख्या दस फीसद अधिक है। बेशक, ऐसा उनकी आबादी के मद्देनजर है।

दूसरा फायदा राउंड फीगर से जुड़ा है। दरअसल, इस बिरादरी के लिए सीटों की गणना में 0.5 या उससे अधिक अंश को अगले पूर्ण अंक में सम्मिलित किया जाएगा। मान लीजिए कि किसी क्षेत्र में आबादी के अनुपात में एससी-एसटी के लिए 3.5 या 3.6 सीटें आरक्षण की श्रेणी में आती हैं, तो राउंड फीगर के मद्देनजर इसकी संख्या चार होगी। पिछड़ा वर्ग के संदर्भ में यह राउंड फीगर प्रभावी नहीं होगा। वहां यह संख्या तीन ही रहेगी।


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