कामकाजी महिलाओं को रहने का ठिकाना देगी सरकार
रोजगार के लिए शहरों में पलायन करने वाली कामकाजी महिलाओं को नौकरी मिलने के बाद आवासीय समस्या बड़ी बाधा बनकर खड़ी हो रही है। राज्य सरकार इस मसले पर गंभीर हुई है। यही वजह है कि वह अगले चरण में 144 वर्किंग वीमेंस हॅास्टल खोलने की तैयारी कर रही है।
पटना [दीनानाथ साहनी]। अपना घर-परिवार छोड़कर रोजगार के लिए शहरों में पलायन करने वाली कामकाजी महिलाओं के लिए एक अच्छी खबर है। नौकरी तो ऐसी कामकाजी महिलाओं को खुद ढूंढऩी होगी, लेकिन उनके रहने की समस्या किसी हद तक बिहार सरकार जरूर सुलझाएगी।
शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रबंधन, बैंकिंग, सूचना प्रौद्योगिकी, नर्र्सिंग और अन्य संगठित क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती तादाद को देखते हुए शहरों में 150 वर्किंग वीमेंस हॉस्टल की स्थापना होगी, जहां सुरक्षा के साथ-साथ सारी सुविधाएं मुहैया होंगी। पहले चरण में पटना, गया, मुजफ्फरपुर और मुंगेर में ऐसे छह हॉस्टल खोले जाएंगे।
प्रदेश में विभिन्न संगठित क्षेत्र में बड़ी तादाद में महिलाएं कायर्रत हैं। आने वाले समय में शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी (बीपीओ आदि) व नर्र्सिंग आदि क्षेत्र में रोजगार के अवसर और बढ़ेंगे। इससे कामकाजी महिलाओं की संख्या में और तेरी से इजाफा होगा।
वर्तमान में ऐसी कामकाजी महिलाओं की संख्या प्रदेश में अच्छी-खासी है, जिनके लिए नौकरी मिलने के बाद आवासीय समस्या उससे भी बड़ी बाधा बनकर खड़ी हो रही है। बदली परिस्थितियों में राज्य सरकार इस मसले पर गंभीर हुई है। यही वजह है कि वह अगले चरण में 144 वर्किंग वीमेंस हॅास्टल खोलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए समाज कल्याण विभाग को अहम जिम्मेवारी दी गई है।
खास बात यह कि केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा पहले से ही कामकाजी महिलाओं के लिए देश के प्रमुख महानगरों में वर्किंग वीमेंस हॉस्टल की व्यवस्था की गयी है। हालांकि राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में केन्द्र से भी मदद मिलने की उम्मीद है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक वर्किंग वीमेंस हॉस्टल खोलने का प्रस्ताव राज्य सरकार कुछ साल पहले केन्द्र को भेजा भी था, लेकिन धन की कमी बताकर और अन्य वजहों से यह संभव नहीं हो पाया।
तब राज्य सरकार ने अपनी योजना पर खुद अमल करते हुए इसे कार्यान्वयन हेतु प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया है। वर्किंग वीमेंस हॉस्टल में सुरक्षा और जरूरी सुविधाएं के अलावा और किन-किन बातों पर ध्यान रखा जाएगा, इसके लिए गाइडलाइन तैयार किया जा रहा है।
राज्य सरकार ने अपनी परिकल्पना को साकार करने से पहले कुछ महानगरों में गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के अधीन चलने वाले इन वर्किंग वीमेंस हॉस्टल की स्थिति का अध्ययन कराया है, जिसमें पता चला है कि एनजीओ के अधीन संचालित इन वर्किंग वीमेंस हॉस्टल की स्थिति अच्छी नहीं है।
ये हैं प्रावधान
यदि राज्य सरकार प्रस्ताव भेजती है तो केन्द्र सरकार वर्किंग वीमेंस हॉस्टल के लिए सिर्फ धन मुहैया कराती है। वर्किंग वीमेंस हॉस्टल के भवन के लिए कुल लागत का 75 प्रतिशत और उसकी जमीन की कुल कीमत का 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार भुगतान करती है।