विधानसभा चुनाव : राजद की सीटों पर यादव दावेदारों की टकटकी
स्वाभिमान रैली के बाद महागठबंधन के घटक दल अपने हिस्से की सीटों की पहचान करने में जुटे हैं। राजद सामाजिक समीकरणों के तहत अपने आधार वाली सीटों को प्राथमिकता दे रहा है।
पटना [अरविंद शर्मा]। स्वाभिमान रैली के बाद महागठबंधन के घटक दल अपने हिस्से की सीटों की पहचान करने में जुटे हैं। राजद सामाजिक समीकरणों के तहत अपने आधार वाली सीटों को प्राथमिकता दे रहा है।
यादव और मुस्लिम बहुल इलाकों के साथ-साथ 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को भी आधार बनाया जा रहा है, जिसमें राजद के प्रत्याशियों ने 126 विधानसभा क्षेत्रों में जदयू से ज्यादा वोट प्राप्त किया था।
लोकसभा चुनाव में आठ विधानसभा क्षेत्रों में राजद के प्रत्याशियों ने 50 हजार से भी ज्यादा वोटों से जदयू पर बढ़त बनाई थी। लगभग 30 सीटों पर यह बढ़त 30 से 50 हजार के बीच थी। 67 सीटों पर यह बढ़त 11 से 29 हजार वोटों की थी। दस हजार और इससे कम वोटों से 24 सीटों पर राजद के प्रत्याशी जदयू पर भारी पड़े थे।
फिर भी लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की कोशिश है कि महागठबंधन के दल सभी सीटों पर आपसी तालमेल के आधार पर प्रत्याशियों को ही टिकट दें। सिटिंग सीटों पर दावेदारों की संख्या कम होती है। इस हिसाब से राजद के सामने सबसे ज्यादा दिक्कत है, क्योंकि उसकी सिर्फ 24 सीटें ही जीती हुई हैं। मगर पार्टी में टिकटार्थियों की संख्या बहुत ज्यादा है।
पिछली बार लड़कर बुरी तरह हार चुके करीब तीन दर्जन से ज्यादा पूर्व विधायक चाह रहे हैं कि उन्हें इस बार अवसर दिया जाए। राजद के हिस्से की तकरीबन हर सीट पर यादव प्रत्याशियों की दावेदारी है। ऐसे में लालू प्रसाद के सामने सबसे बड़ी समस्या संतुलन साधने की है। यहां तक कि सिटिंग सीटों पर भी यादव दावेदार ताल ठोक रहे हैं। राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे की सीट भी इससे वंचित नहीं है।
सीटिंग के आधार पर जदयू ने भी अपने हिस्से की सौ सीटें लगभग तय कर ली है। 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने 115 सीटें जीती थी। इस हिसाब से 15 सीटिंग सीटें उसे खोनी पड़ेगी।
कांग्र्रेस को भी हर जिले में सीट चाहिए, ताकि वह संगठन मजबूत कर अपना खोया जनाधार प्राप्त कर सके। राजद और जदयू की ओर से जीतने वाली सीटें ही उसे देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, जबकि कांग्र्रेस की लाइन दूसरी है। उसे हर जिले में उपस्थिति चाहिए। जीत-हार पर विचार बाद में।
राघोपुर और महुआ फाइनल
राजद के युवा नेता तेज प्रताप और तेजस्वी यादव के लिए राघोपुर एवं महुआ की सीटें तय कर ली गई हैं। सामाजिक समीकरणों के मुताबिक दोनों सीटों को राजद के अनुकूल माना जा रहा है। जाहिर है, राघोपुर के जदयू विधायक सतीश कुमार का टिकट कटना लगभग तय है। सतीश ने अगर निर्दलीय ताल ठोकने की तैयारी की तो तेजस्वी के साथ उनका मुकाबला होगा। फिलहाल सतीश की कोशिश है कि जदयू उन्हें बरकरार रखे और तेजस्वी के लिए कोई सीट तलाशी जाए। इसके लिए वह पार्टी नेतृत्व पर दबाव भी बना रहे हैं।
महुआ में राजद की तरफ से तेज प्रताप को उतारने की तैयारी है। वहां 2010 के चुनाव में जदयू के टिकट पर रवींद्र राय ने जीत हासिल की थी, लेकिन पार्टी नेतृत्व से बगावत ने इस बार टिकट की राह उनकी मुश्किल कर दी है।
लोस चुनाव में राजद की जदयू पर बढ़त वाली सीटें
50 हजार से ज्यादा की बढ़त (8 सीटें)
ढाका, बिस्फी, मधुबनी, केवटी, अररिया, जोकीहाट, बीहपुर, नाथनगर
30 से 50 हजार की बढ़त (30 सीटें)
सिवान, रघुनाथपुर, बरहरिया, गोरियाकोठी, गरखा, परसा, सोनपुर, परिहार, बाजपïट्टी, सीतामढ़ी, बेनीपïट्टी, जाले, सहरसा, अलीनगर, दरभंगा ग्र्रामीण, दरभंगा, बहादुरपुर, उजियारपुर, पीरपांती, कहलगांव, दानापुर, मसौढ़ी, पालीगंज, विक्रम, संदेश, आरा, जगदीशपुर, जहानाबाद, मखदुमपुर, गोह।
11-29 हजार के बीच बढ़त (67 सीटें)
नकटिया, मोतीहारी, पिपरा, महिषी, हरसिद्धि, चिरैया, शिवहर, रिगा, बेलसंड, बथनाहा, सुरसंड, रुन्नीसैदपुर, हरलाखी, खजौली, राजनगर, झंझारपुर, फुलपरास, नरपतगंज, रानीगंज, फारबीसगंज, मधेपुरा, गौराबौरम, बेनीपुर, कांटी, वैशाली, जीरादेई, दरौली, दरौंधा, मांझी, बनियापुर, तरैया, मढ़ौरा, छपरा, अमनौर, पातेपुर, मोरवा, सरायरंजन, मोहीउद्दीनगर, हसनपुर, परबत्ता, गोपालपुर, भागलपुर, मुंगेर, मनेर, फुलवारीशरीफ, बड़हरा, अगिआंव, तरारी, शाहपुर, बरहामपुर, रामगढ़, बोधगया, बेलागंज, रजौली, हिसुआ, नवादा, वारिसलीगंज, शेखपुरा, चकाई, नोखा, डेहरी, काराकाट, ओबरा, नबीनगर, अरवल, कुर्था, घोसी, अतरी, शेरघाटी।
10 हजार और इससे कम बढ़त (24 सीटें)
कल्याणपुर, केसरिया, मधुबनी, बाबूबरही, बिहारीगंज, मीनापुर, पारू, साहेबगंज, महाराजगंज, एम्मा, विभूतिपुर, खगडिय़ा, तारापुर, जमुई, झाझा, गोविंदपुर, बक्सर, डुमरांव, राजपुर, दिनारा, बाराचïट्टी, गया शहर, वजीरगंज।