Move to Jagran APP

बिहार कैबिनेट की बैठक: क्या फैसला लेंगे सीएम नीतीश? सबको है इंतजार

बिहार में मचे सियासी घमासान के बीच कल होने वाली कैबिनेट की बैठक अहम होगी। कैबिनेट में कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। सबकी नजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिकी रहेगी।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 25 Jul 2017 11:17 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jul 2017 11:56 PM (IST)
बिहार कैबिनेट की बैठक: क्या फैसला लेंगे सीएम नीतीश? सबको है इंतजार
बिहार कैबिनेट की बैठक: क्या फैसला लेंगे सीएम नीतीश? सबको है इंतजार

पटना [काजल]। सियासी हलचल के बीच बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक अहम होगी। विधानमंडल के मॉनसून सत्र के शुरू होने से पहले जहां एक ओर नीतीश कैबिनेट की बैठक में सत्र को सुचारू रूप से चलाने पर चर्चा होगी वहीं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे पर बड़ा फैसला हो सकता है। सूत्रों की मानें तो अगले दो दिन बिहार के लिए अहम हैं। 

prime article banner

जदयू के प्रवक्ताओं के अनुसार जो भी फैसला होगा वो शीर्ष नेतृत्व तय करेगा लेकिन इस बीच नीतीश की सोनिया गांधी से मुलाकात को भी अहम माना जा रहा है।

विधानमंडल के मॉनसून सत्र के शुरू होने से पहले जहां बीजेपी ने चेतावनी देते हुए कहा कि तेजस्वी के इस्तीफे पर अपना स्टैंड साफ करें नहीं तो सत्र चलने नहीं देंगे। इसे जहां एक ओर राजनीतिक मसले से जोड़कर देखा जा रहा है, वहीं नई संभावनाओं के कयास भी लगाए जा रहे हैं।

जहां नीतीश कुमार और बिहार के कार्यकारी राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में गए हुए हैं तो वहीं उनके वहां से लौटने के बाद किसी बड़े फैसले का बिहार की जनता के साथ ही सभी राजनीतिक दल भी इसका इंतजार कर रहे हैं।

नीतीश आम तौर पर मंगलवार को अपने कैबिनेट सहयोगियों से मिलते हैं, लेकिन मंगलवार को वह भारत के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए नई दिल्ली गए हुए हैं, इसीलिए अब कैबिनेट की बैठक बुधवार को हो रही है। मालूम हो कि नीतीश पिछले कुछ ही दिनों में  दो बार दिल्ली की यात्रा पर गए हैं।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो कल की बिहार कैबिनेट की बैठक महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि जिस दौर से अभी बिहार की राजनीति गुजर रही है, इसमें फैसला लेने की घड़ी अब नजदीक दिख रही है। पिछले कई दिनों से चल रही जिच के बीच अब फैसला जो भी हो इसका बिहार की राजनीति पर गहरा असर होने वाला है।

एक ओर जहां सबसे बड़ी पार्टी राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनके दोनों मंत्री पुत्रों, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और कैबिनेट मंत्री तेज प्रताप यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण गठबंधन के बीच दरार काफी बढ़ गई है, तो वहीं इस मामले में नीतीश कुमार के सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर एक ओर जदयू अपने स्टैंड पर कायम है कि नीतीश भ्रष्टाचार के मुद्दों पर कोई समझौता नहीं करेंगे, उनके लिए उनकी छवि सबसे महत्वपूर्ण है तो वहीं दूसरी ओर राजद तेजस्वी के इस्तीफे के लिए तैयार नहीं है। दोनों दलों के बीच चल रही तल्ख बयानबजी और गहरे हुए मतभेद से महागठबंधन का तीसरा घटक कांग्रेस भी खुश नहीं हैं।

इस बीच कांग्रेस पर भी तेजस्वी के इस्तीफे को लेकर दबाव बना हुआ है। जदयू के नेताओं ने यह भी कहा है कि "भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस की चुप्पी ठीक नहीं है, उसने मध्यस्थता की है लेकिन तेजस्वी के इस्तीफे पर अपनी स्पष्ट राय नहीं रखी है। नीतीश कुमार ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर बिहार की स्थिति स्पष्ट कर दी है तो वहीं तेजस्वी ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात कर अपनी बात रखी है। 

नीतीश ने राहुल गांधी से मुलाकात कर स्पष्ट रूप से आग्रह करते हुए कहा है कि राजद के नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर एक ठोस स्टैंड लें। अगर एेसा होता है तो गठबंधन में राजद के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए और अगर एेसा नहीं होता तो फिर गठबंधन में जो संशय की स्थिति बनी है उससे भी इंकार नहीं किया जा सकता। 

गठबंधन में सबकी अपनी-अपनी नीति होती है सबके अपने उसूल होते हैं, नीतीश कुमार शुरू से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते रहे हैं और अाज भी वो इसपर कोई समझौता नहीं कर सकते। नीतीश की बेदाग छवि पर कोई दाग लगे यह जदयू को बर्दाश्त नहीं है। 

ज्ञात हो कि 16 जून 2013 को कैबिनेट की बैठक आयोजित करने के बाद, नीतीश ने अपनी सरकार से सभी 11 भाजपा मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था और राज्यपाल से अपना बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा के एक विशेष सत्र का आयोजन करने के लिए कहा जिसका असर जदयू-बीजेपी के  रिश्तों का असर पड़ा था।

तो यह भी संभावना जताई जा रही है कि क्या 2017 के जुलाई के अंत भी जून 2013 के जैसा ही हो सकता है? जदयू के सूत्रों के अनुसार, बिहार की राजनीति अब उस दिशा में तेजी से बढ़ रही है जब कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। लेकिन कोई नहीं जान सकता कि बिहार के महागठबंधन का अब भविष्य क्या होगा?

क्या नीतीश कुमार अपने उसूलों से समझौता कर लेंगे, जिसका शायद सवाल ही नहीं उठता, तो क्या वे तेजस्वी से इस्तीफा ले सकते हैं, जिसके लिए राजद तैयार नहीं है। इसी घमासान के बीच जदयू प्रवक्ता संजय सिंह के बयान को गंभीरता से देखा जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा है कि-जिस क्षण का आप सभी इंतजार कर रहे हैं, वह जल्द ही आ जाएगा।"

यहां दो संभावनाएं हो सकती हैं, पहला कि, नीतीश तेजस्वी और तेज प्रताप को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें जैसे उन्होंने भाजपा मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था? लेकिन एेेसे में सवाल यह है कि उसके बाद लालू के राजनीतिक उत्तराधिकारियों पर कार्रवाई के बाद, क्या राजद का समर्थन जारी रहेगा?

यह भी पढ़ें: बिहार से जुड़े तीसरे राष्ट्रपति बने रामनाथ कोविंद

दूसरा, यह भी हो सकता है कि नीतीश खुद का इस्तीफा देकर एक नया अध्याय लिख सकते हैं? नीतीश को प्रतिकूल परिस्थितियों में  इस्तीफा देने के लिए भी जाना जाता है। 1999 में ट्रेन दुर्घटना के बाद उन्होंने रेल मंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया था।  इन दोनों संभावनाओं पर बिहार की राजनीति किस करवट बैठती है वो शायद कल की बैठक में तय हो जाएगा।

यह भी पढ़ें: शराब का चक्कर: बिहार में औसतन 150 लोग प्रतिदिन पहुंच रहे जेल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.