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जीएसटी के बाद सोना सस्ता पर बाजार में रौनक नहीं

पटना । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद टैक्स में मामूली वृद्धि तो जरूर हुई है, ले

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jul 2017 03:07 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jul 2017 03:07 AM (IST)
जीएसटी के बाद सोना सस्ता पर बाजार में रौनक नहीं
जीएसटी के बाद सोना सस्ता पर बाजार में रौनक नहीं

पटना । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद टैक्स में मामूली वृद्धि तो जरूर हुई है, लेकिन 17 दिनों में सोने और चांदी की कीमतों में अच्छी राहत भी मिली है। इसके बावजूद अभी बाजार की रौनक नहीं लौट पाई है। दरअसल, बाजार की वास्तविक तस्वीर ग्राहकों तक नहीं पहुंच पा रही है।

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: टैक्स में कितना पड़ा फर्क :

एक जुलाई को जीएसटी लागू हुआ। इससे पूर्व आभूषण खरीदारों को एक फीसद वैट देना पड़ता था। अर्थात कोई एक लाख रुपये का आभूषण खरीदता था तो उसे एक लाख रुपये के अलावा एक हजार रुपये कर देना पड़ता था। एक जुलाई से यह वैट हट गया है और तीन फीसद जीएसटी लग गया है। अब एक लाख रुपये की खरीदारी पर तीन हजार रुपये कर भुगतान करना पड़ रहा है। अर्थात पूर्व की अपेक्षा एक लाख रुपये की खरीदारी पर दो हजार रुपये अधिक भुगतान करना पड़ रहा है।

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: टैक्स बढ़ा पर घट गया भाव :

एक जुलाई को पटना में सोना 29,500 रुपये प्रति दस ग्राम था। अब यह 28800 रुपये पर है। इस तरह से 700 रुपये की राहत मिली है। चांदी का भाव एक जुलाई को 39,100 रुपये किलो था जो अब 38100 रुपये पर है। इस तरह इसमें 1000 रुपये की राहत मिली है। इस तरह से टैक्स बढ़ने के बावजूद ग्राहक फायदे में हैं।

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फिर भी बाजार में रौनक नहीं :

इसके बावजूद सराफा बाजार में रौनक नहीं है। जून की अपेक्षा फिलहाल 40 फीसद ग्राहकी कम हो रही है। फ्रेजर रोड तनिष्क शोरूम के प्रबंधक उमेश टेकरीवाल का कहना है कि भ्रम की स्थिति खत्म नहीं हुई है। लोगों को लग रहा है कि जीएसटी के बाद सोना महंगा हो गया है। लेकिन, ऐसा नहीं है। पूर्व की अपेक्षा अच्छी राहत मिली है।

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पटरी पर आएगा बाजार :

पाटलिपुत्र सराफा संघ के अध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा कि जून की अपेक्षा बाजार 40 से 50 फीसद नीचे है। हालांकि इसकी वजह सिर्फ जीएसटी नहीं है। दो जुलाई को लगन खत्म हो गई। सावन और भादो में सोने-और चांदी की खरीदारी बहुत कम होती है। बाजार में गिरावट की वास्तविक वजह यही है। जीएसटी में तो एक फीसद वैट के साथ एक्साइज ड्यूटी आदि भी लगता ही था। करीब सवा दो से ढाई फीसद पहले भी टैक्स था और अब तीन फीसद है। सेंट्रल टैक्स चूंकि आभूषण की कीमत में होता था और वैट ऊपर से लगता था इसलिए सिर्फ वैट को ही टैक्स माना जाता था। इस तरह देखें तो टैक्स में बहुत बड़ा फर्क नहीं पड़ा है। उम्मीद है कि सराफा बाजार भादो के बाद पटरी पर आ जाएगा।


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