पांच साल से कष्ट झेल रही तेजाब पीड़िता ने तोड़ा दम, एकतरफा प्यार की हुई थी शिकार
पांच साल पहले एकतरफा प्यार में एसिड अ टैक का शिकार हुई युवती ने आज दम तोड़ दिया। गांव के ही युवकों ने उसपर रात में सोते समय एसिड डाल दिया था।
पटना [जेएनएन]। पांच साल पहले एकतरफा प्यार के जुर्म की सजा एक मासूम को मिली थी, प्यार के लिए ना कहने पर नींद में सो रही उस युवती पर जालिम युवकों ने तेजाब उड़ेल दिया था, जिसकी वजह से उसका चेहरा झुलस गया था और वह देख-सुन भी नहीं पाती थी। आज उसने अपनी जिंदगी की आखिरी सांसें लीं।
एकतरफा प्यार की मिली थी सजा चंचल को
मनेर की चंचल पर 21 अक्टूबर, 2012 को पड़ोस के ही चार लड़कों ने एसिड फेंका था, जिससे उसका चेहरा बुरी तरह जल गया था। चंचल उस समय 11वीं की छात्रा थी और कंप्यूटर इंजीनियर बनने की चाहत रखने वाली चंचल के पिता शैलेश पासवान जैसे-तैसे बेटी की पढ़ाई का खर्च जुटा रहे थे लेकिन आज उसकी इहलीला समाप्त हो गई।
चंचल के साथ बहन सोनम भी हुई थी शिकार
रात में घर पर सो रही चंचल और छोटी बहन सोनम पर एसिड अटैक करने वाले उसके साथ अक्सर छेड़खानी किया करते थे और चेहरा जलाने की धमकी भी देते थे। अंतत: चेहरा जला ही दिया। हालांकि चंचल के हौसले नहीं झुलसे और वह जीवन की लड़ाई लड़ती रही।
घटना बयां कर रो देते हैं पिता
मनेर थाना क्षेत्र की छितनावां मुसहरी निवासी चंचल व सोनम के पिता शैलेश पासवान ने बताया कि गांव का ही युवक अनिल कुमार उर्फ राज उनकी बड़ी बेटी चंचल को गत दो सालों से परेशान कर रहा था। चंचल कंप्यूटर कोचिंग के लिए अपनी बहन के साथ दानापुर जाती थी। अनिल रास्ते में प्रेम प्रस्ताव देता व छेड़खानी करता था।
चंचल ने कई बार इसकी शिकायत मां से भी की थी। लेकिन उसके भय से मां दोनों बेटियों को ही चुप रहने को कह देती थीं। जब युवक की हरकतें बर्दाश्त से बाहर हो गई तो चंचल की मां ने थाने में भी इसकी शिकायत की, परंतु कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे युवक का हौसला बढ़ गया।
कहा था चंचल ने
मेरा क्या कसूर था, मैंने तो उससे प्यार भी नहीं किया था, लेकिन उसने मेरे ऊपर एसिड फेंक दिया। एसिड के कारण मेरा पूरा चेहरा बरबाद हो गया। मैं ठीक से सुन नहीं पाती हूं, लेकिन अब तो मेरा आंख भी काम करना बंद कर रहा है।
दिखाई नहीं देता है, किसी की आवाज पहचानने में प्रॉब्लम होती थी, तो उसे देख कर पहचान लेती थी, लेकिन अब तो दिखाई भी नहीं देता है....’ एसिड पीड़िता का यह दर्द उसके जीवन का हर पल कठिन बना रहा है। अभी तक सुनाई नहीं दे रहा था, अब उसे दिखाई भी काफी कम देने लगी है।
जॉन अब्राहम उठा रहे थे इलाज का खर्च
चंचल दानापुर महिला डिग्री कॉलेज में बीए पार्ट 2 में पढ़ रही है। सियाराम उच्च विद्यालय कक्षा 10 में पढ़ रही छोटी बहन सोनम कहती है, इलाज का खर्च तो अभिनेता जॉन अब्राहम ने उठा रखा है, मगर इलाज के लिए आने जाने व रहने में काफी खर्च काफी हो जाता है।
सोनम बताती है 2013 में खगौल के एक विद्यालय में दीदी चंचल का इंटरव्यू का सेंटर था, मगर चेहरा देख शिक्षक ने परीक्षा हॉल में जाने से रोक दिया। प्रशासन के सहयोग से किसी तरह दीदी परीक्षा दे सकी।
मां याद नहीं करना चाहती वो मनहूस रात
21 अक्टूबर 2012 को याद कर चंचल व सोनम की मां सुनैना की आंखें भर उठती हैं। कहती हैं, कौन इनसे शादी करेगा? दिन तो किसी तरह कट जाता है, लेकिन बेटियों की चिंता में रात नहीं कटती।
वह उस मनहूस रात को याद करते हुए कहती हैं, 'बड़ी बेटी चंचल और छोटी सोनम घर की छत पर साथ सोई थीं। दुर्गा पूजा का दिन था। लाउडस्पीकर के शोर के बीच आधी रात को एकाएक दोनों बेटियों की चीख से नींद टूटी। छत पर गई तो देखा कि दोनों तेजाब के जलन से तड़प रहीं थीं। चंचल तो आज भी दर्द से कराहती है।
वे बताती हैं, दोनों बेटियों के सहारे ही जिंदगी थी। घर का एकमात्र सहारा पति शैलेश हैं। बेटियों के कारण बहुत भागदौड़ करनी पड़ती है, वो भी राजमिस्त्री का काम ढंग से नहीं कर पाते। घर की चहारदीवारी नहीं रहने से रात भर डर लगता है।
सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी...
चंचल का केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था और कोर्ट ने तेजाब हमले की पीड़िताओं के मुफ्त इलाज के निर्देश दिए थे। इसमें दवाइयों और महंगी रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी का खर्च भी शामिल हैं। कोर्ट ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों को कहा है कि इस मुद्दे पर प्राइवेट अस्पतालों से बात की जाए। ताकि एसिड अटैक की पीड़ितों को तत्काल मदद मिल सके।
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कोर्ट ने 10 लाख का मुआवजा देने का दिया था निर्देश
कोर्ट ने बिहार सरकार को चंचल को 10 लाख रुपए का मुआवजा, रीकंस्ट्रक्शन सर्जरी समेत पूरा इलाज मुफ्त उपलब्ध कराने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि अब तक सिर्फ 17 राज्यों ने पीड़ितों के लिए मुआवजे की स्कीम को नोटिफाई किया है। 7 राज्यों और 4 केंद्रशासित प्रदेशों ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है।
जिन राज्यों में स्कीम लागू की गई है, वहां भी 25 हजार से दो लाख रुपए ही इलाज के लिए दिए जा रहे हैं। कई राज्य तो पुनर्वास के लिए कोई मुआवजा नहीं दे रहे हैं। इस केस में बिहार सरकार ने भी सिर्फ 25 हजार रु. तय किए थे।
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