पटना [काजल]। ठीक बीस दिनों के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश से शहाबुद्दीन जेल के उसी कमरे में बंद कर दिए गए जहां पहले भी रहा करते थे। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही अचानक से बदले घटनाक्रम के तहत शहाबुद्दीन ने सिवान कोर्ट पहुंचकर आत्मसमर्पण कर दिया।
जो शहाबुद्दीन 13 साल बाद 10 सितंबर को भागलपुर जेल से बेल पर बाहर निकला था और उस वक्त वह तीन सौ से ज्यादा गाड़ियों का काफिला लेकर घर पहुंचा था। कई विधायक, नेता उसकी अगवानी करने पहुंचे थे। खूब फोटो खिंचवाई थी।
वहीं कल शहाबुद्दीन प्रशासन की नज़रों से बचते हुए अपने कपड़े बदलकर एक सपोर्टर की बाइक के पीछे बैठकर सीवान कोर्ट पहुंच गया और सरेंडर कर दिया। कोई जान भी नहीं पाया कि शहाबुद्दीन सिवान कोर्ट कब पहुंच गए?
जेल से निकलते ही नीतीश के खिलाफ बोला
भागलपुर जेल से बाहर निकलते ही उन्होंने लालू यादव को अपना नेता कहा था और नीतीश कुमार को अपना नेता मानने से इंकार कर दिया था। उन्हें परिस्थितिवश अपना नेता कहा था। इस बात को लेकर कई दिनों तक बिहार सी सियासत गर्म रही थी। पक्ष-विपक्ष में जमकर तीर चले थे। वहीं कल आत्मसमर्पण के बाद शहाबुद्दीन ने नीतीश को चेतावनी देते हुए कहा कि अगले चुनाव में शहाबुद्दीन के समर्थक इसका बदला जरुर लेंगे।
हुई थी राज्य सरकार की किरकिरी
शहाबुद्दीन के बाहर आने से बिहार सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। तेजाबकांड में जमानत के बाद बिहार सरकार की कानून व्यवस्था पर भी सवालिया निशान उठने लगे थे। सुप्रीम कोर्ट में उनकी एक ना चली और शहाबुद्दीन की जो अकड़ और तैश चेहरे पर थी वही चेहरा कल मुरझाया हुआ था। लगता था जैसे वो सारी रात सो नहीं पाए थे।
सिवान में एमपी साहब और साहेब के नाम से हैं मशहूर
सिवान में एमपी साहब के नाम से मशहूर शहाबुद्दीन का अपराध से पुराना रिश्ता रहा है। अपराध के शुरुआती दिनों में शहाबुद्दीन को सीवान में लोग लाल ब्लेजर वाले के नाम से जानते थे। चाहे अपराध की दुनिया हो या राजनीतिक दमखम, दोनों ही जगहों पर मो. शहाबुद्दीन के आगे अच्छे-अच्छे पानी भरते नजर आते हैं। सीवान ही नहीं पूरे बिहार में इस शख्स की कभी तूती बोलती थी।
पहले भी जान बचाने के लिए बुर्का पहन भागे थे शहाबुद्दीन
जेल में जनता दरबार लगाने के मामले में पिछले दिनों सुर्खियों में आए सैयद मोहम्मद शहाबुद्दीन को 2001 में अपनी जान बचाने के लिए बुर्का पहनकर भागना पड़ा था। तत्कालीन डीजीपी डीपी ओझा की लम्बी-चौड़ी रिपोर्ट में शहाबुद्दीन को लेकर कई बातें सामने आईं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि शहाबुद्दीन के रिश्ते दाउद इब्राहिम और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से हैं। बिहार में राष्ट्रपति शासन के दौरान शहाबुद्दीन पर दूसरी दफे बड़ा ऑपरेशन हुआ।
आतंकवादी संगठन से भी था रिश्ता
सिवान के डीएम सीके अनिल और एसपी रत्न संजय किटयार ने प्रतापपुर घर की तलाशी ली जिसमें हथियार, दूरबीन, बुलेटप्रूफ जैकेट, हिरण के शिकार के प्रमाण मिले। सूत्र बताते हैं कि 2003 में कश्मीर में पकड़े गए जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा से रिश्ता रखनेवाले शब्बीर और मुश्ताक अहमद आगा नामक दो हथियार तस्करों ने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि 1992 में एक शादी समारोह में कुलगाम में शहाबुद्दीन से मुलाकात हुई थी। दोनों ने यह भी खुलासा किया था कि सेब के ट्रकों में रखकर हथियार सीवान भेजे जाते थे।
दिल्ली से हुए थे गिरफ्तार
दिल्ली में बैठकर बिहार पुलिस को अपनी गिरफ्तारी की खुलेआम चुनौती देने वाले शहाबुद्दीन को बिहार पुलिस कैडर के जाबांज आईपीएस अधिकारी आरएस भट्टी ने गिरफ्तार करवाया था। 4 नवम्बर 2005 को बिहार की महिला पुलिस अफसर से हथकड़ी लगावाई थी। उस वक्त से शहाबुद्दीन सीवान जेल में कैद है।
जेल में ही हुआ था विशेष कोर्ट का गठन
इस घटना के चंद दिनों बाद बिहार में नई सरकार आ गई और शहाबुद्दीन के मामलों की सुनवाई के लिए जेल में ही विशेष कोर्ट का गठन किया गया। पुराने केस खोले गए और कई मामलों में सजा भी हुई। 2006 में जेल अधीक्षक ललन सिन्हा पर हाथ चलाने वाले शहाबुद्दीन की वहां के एसडीपीओ ने जेल में ही धुनाई की थी।