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आदर्श ग्राम योजनाः दो मंत्री, दो गांव, दोनों की दो किस्मत

सांसदों की व्यक्तिगत रुचि-अरुचि के कारण आदर्श ग्राम योजना में चयनित गांवों के विकास पर असर पड़ रहा है। यह चयनित गांवों की हालत देखने से स्पष्ट होता है।

By Pramod PandeyEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2016 08:27 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2016 08:44 PM (IST)
आदर्श ग्राम योजनाः  दो मंत्री, दो गांव, दोनों की दो किस्मत

पटना [जेएनएन ]। बिहार में सांसद आदर्श ग्र्राम योजना की हकीकत परखने के क्रम में कल हमने देखा कि राजेंद्र बाबू, लोकनायक जयप्रकाश नारायण और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' जैसे बड़े नाम भी हमारे सांसदों में जोश नहीं भर पा रहे हैं। वैसे एक बात जो सामान्य तौर पर सामने आ रही है, वह है योजना के प्रति सांसदों की खुद की रुचि।

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जिस सांसद ने अपने चयनित गांव को विकसित करने की गंभीरता से पहल की, वहां हालात बदलने लगे हैं और जो उदासीन बने रहे, वहां स्थितियां कमोबेश जड़वत बनी हुई हैं। इसका सबसे सटीक उदाहरण केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के चुने हुए गांवों को माना जा सकता है।

आज हम इन दोनों केंद्रीय मंत्रियों के अलावा पटना सिटी से भाजपा के सांसद और शॉटगन कहे जाने वाले शत्रुघ्न सिन्हा के चयनित गांव भी चलेंगे। साथ ही देखेंगे कि प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत बिहार के इन तीन गांवों का कितना विकास हुआ है।

रविशंकर के अलावलपुर को अभी भी इंतजार

बिहार से राज्यसभा के सांसद और रविशंकर केंद्र की मौजूदा सरकार में कानून मंत्री हैं। नामी-गिरामी वकील भी हैं। उन्होंने पटना-गया मार्ग पर स्थित अलावलपुर गांव को आदर्श बनाने का जिम्मा लिया है। रविशंकर का रुतबा देखकर पटना जिला स्थित इस गांव के बाशिंदों ने बड़े अरमान पाल रखे हैं। गांव को गोद लेने के बाद पिछले साल मई में वह पहली बार वहां पहुंचे थे।

उन्होंने सांसद निधि से 50 स्ट्रीट लाइट, एक सामुदायिक भवन और दस सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण जैसी घोषणाएं कीं थीं। इनके अलावा गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को छह बेड का अस्पताल बनवाने का भी वादा किया था। ये तमाम घोषणाएं अब तक कागजों पर ही है। गांव के मुख्य मार्ग की हालत देखकर तो ऐसा लगता ही नहीं है कि इसे आदर्श बनाने की कोई कवायद भी चल रही है।

पूरा रास्ता धूल और गड्ढों से भरा पड़ा है। हां, गांव के कालीस्थान और उप डाकघर में सांसद विकास निधि से वाटर कूलर जरूर लगा है। इसी प्रकार डिजिटल लिटरेसी लैब में हाइस्पीड इंटरनेट पहुंच गया है। जाहिर है कि अलावलपुर को आदर्श बनाने के लिए इतना भर काफी नहीं है।

राधामोहन के खैरीमाल की खुलने लगी किस्मत

आदर्श ग्र्राम योजना के तहत विकास कार्यों की बात करें तो पूर्वी चंपारण संसदीय क्षेत्र के खैरीमाल गांव को इस मामले में भाग्यशाली माना जा सकता है। इस गांव को कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने गोद लिया है। गांव की तस्वीर धीरे-धीरे बदल रही है। योजना के तहत चयन के बाद इस यहां किसान भवन और प्राथमिक विद्यालय का भवन बनाया गया है।

एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का ग्राहक सेवा केंद्र भी खुला है। चार सार्वजानिक शौचालयों के अलावा 80 घरेलू शौचालयों का निर्माण पूरा हो चुका है। 25 गरीब परिवारों को सोलर लाइटें भी मिली है। रोजगार के लिए पचास किसानों को उन्नत नस्ल को एक-एक बकरी दी गई है। महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया गया है। इनके बीच 50 सिलाई मशीनें बांटी गई हैं।

सांसद राधामोहन सिंह ने कहा, खैरीमाल गांव के समुचित विकास के लिए प्रयास जारी है। दूसरे चरण में चंद्रहिया गांव को भी गोद लेकर उसका विकास कराया जा रहा है।

शत्रुघ्न के विधीपुर नरौली में खामोश है विकास

पटना सिटी के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने जिले के विधीपुर नरौली गांव को आदर्श बनाने का बीड़ा उठाया है। गांव को गोद लिए दो साल बीत गए, लेकिन दूसरों को अपने अंदाज में खामोश करने वाले शॉटगन के गांव में विकास कार्य अभी तक खामोश है। आदर्श ग्र्राम योजना के तहत यहां कोई काम शुरू नहीं हो पाया है।

उन्होंने गांव में स्टेडियम, पुस्तकालय, आधुनिक संचार सुविधा आदि जैसे वादे किए थे। यहां के जगदंबा स्थान को राष्ट्रीय स्तर का पर्यटक स्थल बनाने तथा नजदीकी रेलवे स्टेशन करौटा तक संपर्क मार्ग के निर्माण जैसी घोषणाएं भी कीं थीं। अन्य घोषणाओं में विद्यालय भवन को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने, शुद्ध पेयजल के लिए आरओ प्लांट लगाने, कचरा प्रबंधन, हर घर में नल लगाने, अस्पताल को आधुनिक सुविधा से लैस करने और जिम आदि थीं। अब तक इनमें से कोई भी काम नहीं हो पाया है।

डीएम संजय कुमार अग्रवाल बोले

सांसद आदर्श ग्र्राम योजना के लिए अलग से कोई फंड नहीं है। यदि सांसद अपनी निधि से कोई राशि उपलब्ध कराते हैं तो उसी पैसे से चयनित गांव में काम होता है। फंड के अभाव में ही अलावलपुर और विधीपुर नरौली की जर्जर सड़कें नहीं बन पा रही हैं।


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