Move to Jagran APP

बिहार का एक मुख्‍यमंत्री, जो अपनी कार में देता था लिफ्ट, जानिए

बिहार के एक मुख्‍यमंत्री के कर्पूरी ठाकुर। वे अपनी कार पर लाल बत्‍ती नहीं लगाते थे। वीआइपी कल्‍चर से दूर कर्पूरी अपनी कार में लोगों को लिफ्ट देते चलते थे।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 21 Apr 2017 11:10 AM (IST)Updated: Fri, 21 Apr 2017 11:38 PM (IST)
बिहार का एक मुख्‍यमंत्री, जो अपनी कार में देता था लिफ्ट, जानिए
बिहार का एक मुख्‍यमंत्री, जो अपनी कार में देता था लिफ्ट, जानिए

पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। लाल बत्ती की विदाई की खबरों ने वीआइपी कल्चर पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। कार पर लगी लाल बत्तियों के साथ खुद को वीआइपी मान लेने के एहसास के बीच बिहार का एक सच यह भी है कि यहां का एक मुख्यमंत्री एक जमाने में लोगों को अपनी कार में लिफ्ट दिया करता था।

loksabha election banner

हम बात कर रहे हैं कर्पूरी ठाकुर की। वे अपनी एम्‍बेसडर कार में 10-10 लोगों को किसी तरह बिठा लिया करते थे। गाड़ी पर कोई लाल बत्ती नहीं होती थी। वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो अपनी गाड़ी में कभी लाल बत्ती लगाई ही नहीं। जिन दिनों वह रेल मंत्री हुआ करते थे उस समय भी वह केवल एक गाड़ी में घूमते थे। पूर्व मुख्‍यमंत्री दंपती लालू प्रसाद व राबड़ी देवी ने भी कभी लाल बत्ती नहीं लगाई।

यह भी पढ़ें: लाल बत्ती हटाने के केंद्रीय कैबिनेट के फैसले पर बिहार में कहीं खुशी कहीं गम

वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी लंबी अवधि तक कर्पूरी ठाकुर के साथ रहे। वे कहते हैैं कि बिहार में वीआइपी कल्चर खत्म करने की जो बात आज हो रही है, उसे तो कर्पूरी ठाकुर ने हकीकत में जिया है। उनके साथ बस एक पायलट कार रहती थी। उनसे जो मिलने जाता था, उनसे वे बात करते और फिर कहां जाना है, ये पूछते। इसके बाद अपनी कार में सबों को बिठा लेते। एक बार में 10-10 लोग समा जाते थे।

कर्पूरी ठाकुर किसी को गार्डिनर रोड, किसी को फ्रेजर रोड और किसी को स्टेशन उतारते बढ़ जाते। इस तरह का भी जमाना रहा है। लाल बत्ती तो उन्होंने कभी लगाई ही नहीं। सिद्दीकी ने कहा कि इस लाल बत्ती वाले फैसले को वह सही मानते हैैं। व्यक्तिगत सोच है ये भी है कि वीआइपी के साथ अमला भी छोटा होना चाहिए।
बजट सत्र में भी हुआ था विमर्श
बिहार में पिछले माह समाप्त हुए बजट सत्र के दौरान ही लाल बत्ती को हटाए जाने पर विमर्श शुरू हुआ था। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी 18 मार्च को अपने सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया था कि उनके कोई मंत्री अपनी गाड़ी पर लाल बत्ती नहीं लगाएंगे। इसी फैसले को 21 मार्च को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने उठा लिया और यह बहस शुरू हो गई कि बिहार में भी लाल बत्ती को खत्म कर दिया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह वक्तव्य भी मायने रखता है कि केंद्र अक्सर बिहार के फैसले को देखती है। वैसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी 2015 में यह निर्णय लिया था कि अपनी गाड़ी पर वे लाल बत्ती नहीं लगाएंगे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री भी लाल बत्ती नहीं लगातीं।
तेजस्वी नहीं लगाते लाल बत्ती
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तो बुधवार को यह कह चुके हैैं कि वे लाल बत्ती वाली गाड़ी से परहेज करते हैैं। जदयू ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले का स्वागत किया है। जदयू नेता श्याम रजक कहते हैैं कि वीआइपी कल्चर को खत्म करने के लिए केवल कानून बनाने से काम नहीं बनेगा, बल्कि व्यवहार परिवर्तन भी जरूरी है । सरकार के स्तर पर इस बारे में चल रही गतिविधि के संबंध में बताया गया कि सेंट्रल मोटर व्हिकल एक्ट 1989 में परिवर्तन के निर्णय के बाद ही सरकार इस बारे में कोई अधिसूचना जारी करेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.