पटना [काजल]। बिहार का गौरवशाली इतिहास रहा है, एेसी धरती जिसने चंद्रगुप्त मौर्य जैसा शासक दिया तो चाणक्य जैसा अर्थशास्त्री। शून्य की खोज करने वाला आर्यभट्ट दिया तो सम्राट अशोक जैसा चक्रवर्ती सम्राट।
इस धरती ने हमेशा वसुधैव कुंटुंबकम का पालन किया है। धन-धान्य से परिपूर्ण यह धरा जहां एक ओर सांस्कृतिक विरासत समेटे हुए है, वहीं इसके पास अपनी खास एतिहासिक धरोहरों भी हैं जिसपर इसे नाज है।
कुछ एेसे एतिहासिक धरोहर हैं जिसके बारे में शायद सभी बिहारवासी जानते भी नहीं। वैसे तो यहां कई अजूबे हैं लेकिन यहां कुछ एेसे संरक्षित स्थान और एेसी प्राकृतिक संपदाएं हैं जिसे जानकर बिहार की ओर लोग खिंचे चले आते हैं। आइए जानते हैं इन सात अजूबों के बारे में......
वैशाली की नगरवधू, जिसके सौन्दर्य की दुनिया थी दीवानी
वैशाली जितना लोकतंत्र की जन्मस्थली होने के लिए प्रसिद्ध है उतना ही नगर वधू आम्रपाली के लिए भी चर्चित है। कहा जाता है कि आम्रपाली इतनी सुंदर थी कि उसे वेश्या बनना पड़ा। वह बहुत अच्छी नृत्यांगना थी।
स्थानीय लोगों का दावा है कि आज भी वैशाली के खंडहरों से घुंघरू की झनकार सुनाई देती है।
पटना का अगमकुंआ
पटना स्थित एक एेसा गहरा कुंआ है जिसमें सम्राट अशोक ने अपने 99 भाइयों की हत्या के बाद उनके शव डाल दिए थे। कहा जाता है कि इस कुंए की गहराई का कोई अंत नहीं है। इस कुंआ का नाम अगम्य रखा गया था, जिसे बाद में अगम बुलाया जाने लगा और इसका नाम अगमकुंआ हो गया। इस कुंए का पानी कभी नहीं सूखता। वहीं, दूसरी ओर यह भी कहा जाता है कि इस कुंआ में सम्राट अशोक का खजाना छुपा है।
मंदिर में होती है मछली की पूजा
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ वाली जगहों से मछली को दूर रखा जाता है, खासकर मंदिर में तो मछली वर्जित है, लेकिन बिहार में एक ऐसी जगह है जहां इसकी पूजा की जाती है। मधुबनी में स्थित राजनगर पैलेस के मंदिर की चोटी पर मछली की आकृति बनाई गई है।
यहां दरभंगा महाराज के पूर्वजों द्वारा बनाए गए मंदिरों में मछली की पूजा होती है। राजनगर पैलेस को महाराज रामेश्वर सिंह ने बनवाया था। वह खंडवाला वंश के राजा था। मछली की इस वंश में कुल देवता के रूप में पूजा की जाती है, यही कारण है कि इस वंश में मछली की पूजा होती है।
महमूद गजनी ने यहां देखा था चमत्कार
बक्सर के ब्रह्मपुर में बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ का मंदिर है। इस मंदिर कि सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका मुख्य दरवाजा पश्चिम मुखी है, जबकि देश के अन्य शिव मंदिरों का दरवाजा पूरब दिशा में है। कहा जाता है कि जब मुस्लिम शासक मोहम्मद गजनी ब्रह्मपुर आया था। तब यहां के लोगों ने गजनी से अनुरोध किया कि इस शिव मंदिर को नहीं तोड़े नहीं तो बाबा उसका विनाश कर देंगे।
गजनी ने कहा था कि कोई देवता नहीं हैं। अगर हैं, तो मंदिर का प्रवेश द्वार जो पूरब दिशा में है वह रात भर में पश्चिम की ओर हो जाएगा? अगर ऐसा होता है तो वह मंदिर को छोड़ देगा और कभी मंदिर के पास नहीं आएगा। अगले दिन गजनी जब मंदिर का विनाश करने आया तो दंग रह गया। उसने देखा कि मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम की तरफ हो गया है। इसके बाद वह वहां से हमेशा के लिए चला गया।
भगवान ब्रह्मा ने राजगीर मे बनाया था कुंड
राजगीर में एक प्राचीन गर्म पानी का कुंड है। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड का निर्माण ब्रह्मा ने करवाया था। यहां सप्त कर्णी गुफाओं से पानी आता है। वैभारगिरी पर्वत पर भेलवाडोव तालाब है, उससे ही जल पर्वत से होते हुए यहां पहुंचता है। इस पर्वत में कई तरह के केमिकल्स जैसे सोडियम, गंधक, सल्फर हैं। इसकी वजह से पानी गर्म होता है। इस कुंड में स्नान से चर्म रोग दूर हो जाते हैं।
मंदार पर्वत, इसी से हुआ था समुद्र मंथन
बिहार के बांका जिले के बौंसी में मंदार पर्वत स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार इसी पर्वत से समुद्र मंथन किया गया था। 700 फीट ऊंचे इस पर्वत के बारे में कहा जाता है कि देवताओं ने अमृत प्राप्ति के लिए दैत्यों के साथ मिलकर इससे समुद्र मंथन किया था।
समुद्र मंथन में नाग को रस्सी की तरह प्रयोग किया गया था, जिसका साक्ष्य पहाड़ पर अंकित लकीरों से होता है। पर्वत पर एक समुद्र मंथन को दर्शाता हुआ स्मारक भी बनाया गया है।
कोई नहीं खोल पाया सोनगढ़ गुफा का दरवाजा
बिहारशरीफ जिले के राजगीर में सोनगढ़ गुफा है। इसके बारे में कहानी है कि गुफा के बंद दरवाजे के उस पार सोने का भंडार है। कुछ लोग इसे मौर्य शासक बिम्बिसार का खजाना कहते हैं तो कुछ मगध सम्राट जरासंघ का।
गुफा के बंद दरवाजे को खोलने की काफी कोशिश की गई, लेकिन कोई कामयाब न हुआ।
गुफा की एक दीवार पर शंख लिपि में कुछ लिखा है, माना जाता है कि इसमें गेट खोलने का तरीका लिखा गया है, लेकिन आजतक इसे कोई समझ नहीं पाया।