Bihar CoronVirus News Alert: एम्स, पटना में भर्ती कोविड मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी की बढ़ रही मांग
एम्स पटना में भर्ती मरीजों में प्लाज्मा थेरेपी की मांग बढ़ी । मरीज के स्वजनों को प्लाज्मा पर होने वाले खर्च को वहन करना होगा । तीन से सात दिनों में ही यह थेरेपी देती है बेहतर परिणाम। एंटीबॉडी बनना शुरू होने के बाद यह थेरेपी नहीं हो सकती।
पटना, नलिनी रंजन । एम्स पटना सहित आइजीआइएमएस व पारस हॉस्पिटल में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार किया जा रहा है। यह थेरेपी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (एम्स) की गाइडलाइन पर की जा रही है। पटना एम्स के विशेषज्ञों की मानें तो यहां हर दिन 15-18 मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी के लिए जरूरत पड़ रही है।
नई गाइडलाइन
आइसीएमआर की नई गाइडलाइन के अनुसार जिन संक्रमित मरीजों में एंटीबॉडी बनना शुरू नहीं होती, उन्हीं का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज हो सकता है।
बढ़ रही प्लाज्मा की मांग :
एम्स प्लाज्मा बैंक की प्रभारी डॉ. नेहा सिंह ने बताया कि डॉक्टरों द्वारा प्लाज्मा की मांग काफी बढ़ गई है। यहां पहुंचने वाले हर 10 में आठ मरीजों को इस थेरेपी की जरूरत पड़ रही है। डिमांड होने पर मरीज की एंटीबॉडी जांच कराई जाती है। दस की जांच में पांच से छह मरीज ही ऐसे मिलते हैं, जिनमें एंटीबॉडी बनना शुरू नहीं हुई होती। इन लोगों में प्लाज्मा थेरेपी से इलाज से स्वस्थ होने की दर बेहतर है।
तीन से सात दिन में आते हैं बेहतर परिणाम
एम्स मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. रवि कीॢत ने बताया कि कोरोना संक्रमित की प्लाज्मा थेरेपी से इलाज में तीन से सात दिनों के भीतर बेहतर परिणाम दिखने लगते हैं।
प्लाज्मा के लिए भटक रहे तीमारदार
प्लाज्मा के लिए मरीजों के स्वजनों को भटकना पड़ रहा है। दरअसल, इलाज के लिए प्लाज्मा वही दे सकते है जो 28 दिन पहले कोरोना को मात दे चुके हैं। ऐसे कोरोना विजेताओं की भी पहले एंटीबॉडी जांच होती है। जांच में बेहतर एंटीबॉडी होने के बाद ही उनका प्लाज्मा लिया जाता है।
प्लाज्मा प्रोसेसिंग में खर्च हो रही मोटी रकम
एम्स में प्लाज्मा में दान या डोनेशन में भी अब मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है। यहां प्लाज्मा डोनेशन पर 11,300 रुपये प्रोसेसिंग चार्ज देना पड़ रहा है। पिछले वर्ष प्लाज्मा डोनेशन में होने वाले खर्च का वहन एम्स प्रबंधन करता था। अब मरीज के स्वजनों को यह खर्च देना होता है।