नए संघर्ष के लिए तैयार करता है 'राम की शक्ति पूजा'
प्रयास नाट्य मेले के चौथे दिन बनारस की संस्था रूपवाणी की ओर से व्योमेश शुक्ल निर्देशित नाटक राम की शक्ति पूजा का मंचन किया गया। पारंपरिक रामलीला और बनारस घराने के शास्त्रीय गीत संगीत व नृत्य से सजी इस प्रस्तुति का 65वां मंचन कालिदास रंगालय में किया गया।
पटना। प्रयास नाट्य मेले के चौथे दिन बनारस की संस्था रूपवाणी की ओर से व्योमेश शुक्ल निर्देशित नाटक 'राम की शक्ति पूजा' का मंचन किया गया। पारंपरिक रामलीला और बनारस घराने के शास्त्रीय गीत, संगीत व नृत्य से सजी इस प्रस्तुति का 65वां मंचन कालिदास रंगालय में किया गया। 'राम की शक्ति पूजा' महाकवि निराला की एक लंबी कविता है। नाटक लोगों को अन्याय के विरुद्ध एक नए संघर्ष के लिए तैयार करता है। इसमें दिखाने की कोशिश की गई कि जीत पाने के लिए मजबूत रणनीति बनानी पड़ती है। राम व रावण के बीच जब युद्ध हो रहा होता है, तब राम को पता चलता है कि खुद शक्ति की देवी खुद रावण के साथ है तो फिर हमारा जीतना असंभव है। लेकिन राम को सिद्ध होकर युद्ध में उतरने के लिए कहा जाता है। राम शक्ति की देवी को 108 नीलकमल अर्पित करने का संकल्प करते हैं। लेकिन, देवी चुपके से आकर पुष्प चुरा लेती हैं। राम विचलित और स्तब्ध है, तभी उन्हें याद आता है कि उनकी आंखों को मां कौशल्या नीलकमल कहा करती थीं। वह अपना नेत्र अर्पित कर डालने के लिए हाथों में तीर उठा लेते हैं, तभी देवी प्रकट होती हैं और वह राम को रोकती हैं। उन्हें आशीष देती हैं, उनकी अभ्यर्थना करती हैं और उनमें अंतध्र्यान हो जाती हैं। नाटक में स्वाति, नंदिनी, साखी, तापस, विशाल, जय, अश्विनी, आकाश, दीपक, काजोल ने शानदार अभिनय किया। संगीत व रचना आशीष मिश्र व जेपी शर्मा की रही। पारंपरिक देह भाषा के जरिए आधुनिक बात करता रहूंगा :
निर्देशक व्योमेश शुक्ल ने कहा कि पारंपरिक देह भाषा के जरिए आधुनिक बातें करने की कोशिश हमेशा करता रहूंगा। पिछले दस सालों में मैंने सिर्फ सात नाटक ही तैयार किए हैं, लेकिन उसका 200 बार मंचन कर चुका हूं। हर बार उन्हीं नाटकों में कुछ नया करता रहा हूं। मेरे निर्देशन में तैयार नाटक 'राम की शक्ति पूजा' लोगों को अन्याय के खिलाफ एक नए संघर्ष के लिए तैयार करता है। शक्ति के बिना सत्य का कोई मतलब नहीं है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्होंने कहा, जो किरदार लड़के कर सकते हैं, वो किरदार लड़कियां भी कर सकती हैं। इस नाटक में राम का पात्र एक लड़की ही कर रही है।