बिहार चुनाव 2020ः आरोप-प्रत्यारोप पर पहुंची राजनीति, सुशील मोदी ने तेजस्वी से पूछे पांच सवाल
उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी रोजाना सवालों के जरिए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को घेरने में जुटे हैं। गुरुवार को सुशील मोदी ने ताबड़तोड़ ट्वीट कर तेजस्वी यादव पर सवाल दागा। पूछा बिहार का सबसे बड़ा मॉल बनवाने के लिए 750 करोड़ रुपये कहां से आए।
पटना, जेएनएन। विधानसभा चुनाव में नेताओं की राजनीति अब विकास से भटकर आरोप-प्रत्यारोप की ओर बढ़ चली है। उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी रोजाना सवालों के जरिए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को घेरने में जुटे हैं। गुरुवार को सुशील मोदी ने ताबड़तोड़ ट्वीट कर तेजस्वी यादव पर सवाल दागा। पूछा बिहार का सबसे बड़ा मॉल बनवाने के लिए 750 करोड़ रुपये कहां से आए। उपमुख्यमंत्री ने पहले सवाल में कहा जंगलराज के युवराज यह नहीं बता रहे हैं कि 10 लाख लोगों को एक झटके में नौकरी देने के लिए वे 58 हजार करोड़ रुपये कहां से लाएंगे। आगे कटाक्ष किया राजद की राजनीति पूरी तरह कालेधन की फंडिंग से चलती है।
गरीबों के युवा मसीहा के पास इतना धन कहां से?
मोदी ने दूसरे सवाल में पूछाकि तेजस्वी यादव ने न मैट्रिक पास किया, न कोई व्यापार किया और न लाखों रुपये के पैकेज वाली कोई नौकरी ही की। फिर गरीबों के युवा मसीहा के पास इतना धन कहां से आया कि वे 15 मंजिल के मॉल में 1,000 दुकानें, शॉपिंग मॉल्स, मल्टीप्लेक्स और फाइव स्टार होटल बनवा रहे थे?
मॉल को ईडी ने क्यों जब्त कर निर्माण रोक दिया?
तीसरे सवाल में उपमुख्यमंत्री ने पूछा क्या यह सच नहीं कि पटना की जिस जमीन पर युवराज का महामॉल बन रहा था, उसे जंगलराज के राजा ने 2004 में रेल मंत्री बनते ही आइआरसीटीसी होटल घोटाला के जरिए हासिल किया था? वे जनता को बताएं कि मॉल को ईडी ने क्यों जब्त कर निर्माण रोक दिया?
जनता से वोट मांगने से पहले दें जवाब
चौथे सवाल में सुशील मोदी ने पूछा कि केंद्र की यूपीए सरकार के रेल मंत्री लालू प्रसाद ने रेलवे के रांची और पुरी के दो होटलों को हर्ष कोचर की कंपनी को 15 साल के लिए लीज पर देने के एवज में राजद के सांसद प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता की कंपनी डिलाइट मार्केटिंग के जरिए हथिया ली थी। क्या बिहार की जनता से वोट मांगने से पहले यह बताया नहीं जाना चाहिए?
राबड़ी पर भी किया हमला
पांचवें सवाल में उन्होंने पूछा कि युवराज आज अगर चार्टर प्लेन में बर्थडे केक काट कर गरीबों की राजनीति कर रहे हैं, तो जनता को क्यों नहीं बताते कि उन्होंने मात्र 64 लाख रुपये में डिलाइट कंपनी के करोड़ों रुपये मूल्य के सारे शेयर अपने और माताजी के नाम कर कैसे 94 करोड़ रुपये बाजार मूल्य की जमीन के मालिक बन गए थे? क्या वे फर्जीबाड़ा से गरीबी दूर करने वाला मॉडल थोपना चाहते हैं?