Move to Jagran APP

Bihar Assembly Election 2020: विधानसभा की आखिरी बैठक के बाद चिंता खत्म, पाला बदलने वालों के लिए मौका मुफीद

विधानसभा की अंतिम बैठक के बाद पांच साल तक साथ रहने के चलते विधायकों को यह अहसास हो जाता है कि उन्हें अगले चुनाव में अपने दल से टिकट मिलेगा या नहीं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 07:13 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 10:40 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: विधानसभा की आखिरी बैठक के बाद चिंता खत्म, पाला बदलने वालों के लिए मौका मुफीद
Bihar Assembly Election 2020: विधानसभा की आखिरी बैठक के बाद चिंता खत्म, पाला बदलने वालों के लिए मौका मुफीद

अरुण अशेष, पटना। बीते 30 वर्षों से राज्य में दल बदल हर मौसम में हो रहा है, लेकिन इसका असली मौसम विधानसभा की अंतिम बैठक के बाद शुरू होता है। पांच साल तक साथ रहने के चलते विधायकों को यह अहसास हो जाता है कि उन्हें अगले चुनाव में अपने दल से टिकट मिलेगा या नहीं। उसी दौर में उनकी दूसरे दल से बातचीत भी हो जाती है। छोटे दल के रहे तो बीच अवधि में भी पाला बदल लेते हैं। बड़े दलों से जुड़े हैं तो इसके लिए उन्हेंं विधानसभा की आखिरी बैठक का इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि उसके बाद सदस्यता जाने की चिंता समाप्त हो जाती है।

loksabha election banner

पिछली विधानसभा में सत्तारूढ़ जदयू के डेढ़ दर्जन विधायकों को बहुत पहले अहसास हो गया था कि उन्हेंं दल से टिकट नहीं मिलने जा रहा है। वे विधायक पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से हमदर्दी रखते थे। उनमें से एक राजेश्वर राज ने तो मांझी को हटाने के जदयू कार्यसमिति के फैसले को अदालत में चुनौती दे दी थी। तर्क यह था कि किसी मुख्यमंत्री को हटाने का फैसला किसी दल की कार्यसमिति कैसे कर सकती है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। मांझी हटे। नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बने। इसी उठापटक में यह भी साफ हो गया कि मांझी का साथ देने वाले विधायकों को दूसरे दल के आश्रय में जाना होगा। ऐसा हुआ भी। 18 में से कुछ विधायक भाजपा में गए। कुछ मांझी की पार्टी के उम्मीदवार बने। कामयाबी कम ही लोगों को मिली। 

आरएलएसपी के दो विधायक गए जदयू में

16वीं विधानसभा में भी दल बदल हुआ है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के दो विधायक जदयू में चले गए। विधानसभा में रालोसपा का जदयू में विलय हो गया। हालांकि, इस बार पिछली विधानसभा की तरह बड़ी संख्या में दल बदल की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है। फिर भी ऐसे विधायकों की संख्या कम नहीं है, जिन्हें उस दल से टिकट की उम्मीद नहीं है, जिसके निशान पर वे पिछला चुनाव जीते थे। राजद के महेश्वर यादव, प्रेमा चौधरी, चंद्रिका राय और जदयू के अमरनाथ गामी सहित कई अन्य विधायक इसी श्रेणी में हैं। अपने कार्यकाल में इनमें से सब की कभी न कभी दल के नेतृत्व से गंभीर असहमति हुई है। राजद के महेश्वर यादव तो लगातार नेतृत्व के विरोध में ही बोलते रहे हैं। राजद के अलावा कांग्रेस में भी कुछ विधायक ऐसे हैं, जिनके समक्ष अस्तित्व बचाने के लिए दल बदल करना अपरिहार्य है। 

नए समीकरण का भी होगा असर 

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के कुछ विधायकों को भी मजबूरी में ही सही, दल परिवर्तन का फैसला करना पड़ सकता है। पिछले चुनाव में भाजपा-जदयू के बीच आमने-सामने की लड़ाई हुई थी। कुछ पारंपरिक सीटों पर एक-दूसरे का कब्जा हो गया। अब अगर इसे सुधारने की कोशिश होती है तो कई सिटिंग विधायकों को दूसरे दल की शरण में जाना पड़ेगा। इसके अलावा पांच साल की उपलब्धियों के आधार पर सभी दल अपने विधायकों की जीत की संभावना का आकलन कर रहे हैं। आकलन में कमजोर पाए गए विभिन्न दलों के कई विधायकों को भी दल बदल करना ही होगा।

मांग अधिक हैं और सीटें कम

दिक्कत सीटों को लेकर है। 2015 की तुलना में 2020 में अधिसंख्य दलों के पास सीटों की कमी होने जा रही है। पिछली बार राजद 101 सीटों पर लड़ा था। इस बार उसकी सीटों की संख्या बढ़ सकती है। भाजपा 155 पर लड़ी थी। गठबंधन में उसे उतनी सीटें नहीं मिलने जा रही हैं। कांग्रेस की कुछ सीटें बढ़ सकती हैं। जदयू की सीटों में भी पिछले चुनाव की तुलना में कुछ इजाफा हो सकता है। किसी दल के पास इतनी अधिक सीटें नहीं होंगी कि वह सभी अतिथियों का स्वागत चुनाव निशान से करे। अतिथियों के भव्य स्वागत की परंपरा वाले दल खुद किल्लत से जूझ रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) जैसे दलों में अतिथियों को सम्मान मिलता रहा है। इस समय तो यह ही पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर गठबंधन में इन दलों को कितनी सीटें मिलेंगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.