लॉकडाउन के बाद जीवनशैली में दिखेगा बदलाव
सामाजिक मामलों के विशेषज्ञ प्रो. एसपी सिन्हा का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण समाज पर गहरा असर डालेगा
पटना। सामाजिक मामलों के विशेषज्ञ प्रो. एसपी सिन्हा का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण का भय और लॉकडाउन का व्यापक असर लोगों के सामाजिक, आर्थिक एवं व्यक्तिगत व्यवहार पर पड़ रहा है। स्थिति सामान्य होने के बाद भी आमजन के व्यवहार में बदलाव दिखेगा। सोशल डिस्टेंसिंग, क्वारंटाइन, आइसोलेशन जैसे शब्द कुछ काल तक लोगों के जेहन में रहेगा। इन सभी उपायों के उपयोग से मानव जाति के व्यवहार पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव देखने को मिलेगा। इसका फीसद फिलहाल हमलोगों द्वारा पीड़ित के साथ किए गए व्यवहार पर निर्भर करेगा। हम एक-दूसरे के साथ वर्तमान में सकारात्मक रूप से पेश आते हैं तो स्थिति सामान्य होने पर समाज ज्यादा सकारात्मक दिखेगी। यदि प्रभावित के साथ हम नकारात्मक रूप से पेश आते हैं तो स्थिति सामान्य होने पर इसका व्यापक असर दिखेगा।
संपूर्ण भारत में लॉकडाउन है, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, निजी संस्थान, कारखाना, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा सहित तमाम पूजा स्थल एहतियातन बंद हो गए हैं। कंपनिया अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम (घर से काम) करने को प्रोस्साहित कर रही है। परिवार को पर्याप्त समय मिल रहा है। सीमित सुविधा में खुशी की तलाश की जा रही है। इन उपायों से यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि भविष्य में लोगों के आने-जाने, रहन-सहन के तौर-तरीकों मसलन, खाने-पीने, घूमने-फिरने, सामाजिक मेलजोल और कामकाज संबंधी व्यवहार और आदतों में बदलाव की पूरी संभावना है। देश की अर्थव्यवस्था, सरकारी और गैरसरकारी कंपनियों की अर्थव्यवस्था में बदलाव का असर समाज पर दिखेगा।
लॉकडाउन के समय में बेचैनी, तनाव, रोगभ्रम, घबराहट आदि का अनुभव की शिकायत सामान्य हो गई है। इसके साथ ही कामकाज संबंधी व्यवहार और आदतों में बदलाव दिख रहे हैं। क्वारंटाइन व आइसोलेशन से मनोवैज्ञानिक समस्याएं बढ़ेंगी। इसे कम करने के लिए संबंधितों के साथ समाज का व्यवहार बहुत कुछ निर्भर करेगा। आइसोलेशन व क्वारंटाइन में रहे रहे लोगों का भविष्य डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी, स्वजन के व्यवहार से काफी प्रभावित होगा। उनके लिए सूचना, समझाने के तरीके, सुविधा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता आदि महत्वपूर्ण साबित होंगे।