कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना आध्यात्मिक चेतना का परिणाम
भारत की पहचान आध्यात्मिकता की वजह से है।
पटना। भारत की पहचान आध्यात्मिकता की वजह से है। हमारा देश आकाशीय गंगा की तरह है, जिसमें सभी का समावेश है। ये बातें शिमला विवि और हिमाचल प्रदेश विवि के पूर्व कुलपति आचार्यश्री अरूण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने शनिवार को बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स परिसर में कहीं। कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस पटना तथा विश्वंभर अध्यात्म एवं विज्ञान संस्थान के तत्वावधान में आयोजित 'आध्यात्मिक राष्ट्रवाद' विषय पर संगोष्ठी के दौरान आचार्य अरूण दिवाकर ने कहा कि हमें आत्मा चलाती है पर दिखती नहीं है। हमें जीवन में सूक्ष्म बातों को समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में धारा 370 को हटाना भी आध्यात्मिक चेतना का परिणाम है। उन्होंने कहा कि हमारा देश की विशेषता एकता में विविधता है। हरेक व्यक्ति के अंदर अध्यात्म छिपा है। देश में कई प्रकार की भाषाएं, संस्कृति होने के बावजूद जो हमें सभी से जोड़ती है वह है आध्यात्मिकता। हमें पूर्वाग्रह को तोड़ने की जरूरत है। वही संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पाटलिपुत्र विवि के कुलपति प्रो. गुलाब चंद राम जायसवाल ने कहा कि भारतीय समाज की विभिन्नताओं में मौलिक एकता सदैव विद्यमान रही है। समय-समय पर राजनीतिक एकता की भावना भी उदय होती रही है। स्वागत भाषण के दौरान कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्राचार्य प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि भारतीय राष्ट्रवाद को समझने के लिए इसकी सामाजिक पृष्ठभूमि को समझना आवश्यक है। समारोह के दौरान कई विभूतियों को सम्मानित किया गया। सम्मान पाने वालों में पद्मश्री भरतनाट्यम की नृत्यांगना गीताचंद्रन को कला एवं संस्कृति पुरस्कार, प्रो. डॉ. संजय पासवान को समाज वैज्ञानिक पुरस्कार, डॉ. कृष्ण कांत ओझा को संवाद शास्त्री पुरस्कार, डॉ. मजहर नकवी को राष्ट्रीय चेतना पुरस्कार, डॉ. प्रवेश कुमार को युवा समाज वैज्ञानिक पुरस्कार, अवनीश कुमार सोनी को शिक्षा उद्यमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मौके पर गुजरात के कुलपति प्रो. विजय कुमार श्रीवास्तव, अधिवक्ता एमडी एन वाजपेयी, नई दिल्ली के अधिवक्ता अश्रि्वनी दुबे, चित्रकुट से प्रो. विजय परिहार ने विषय पर प्रकाश डालते हुए आचार्य अरूण दिवाकर नाथ वाजपेयी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। वही समारोह के दौरान भरतनाट्यम की पद्मश्री नृत्यांगना गीताचंद्रन ने भगवान शिव के साकार और निराकार स्वरूप की प्रस्तुति नृत्य के द्वारा पेश कर सभी का दिल जीता। वही भगवान विष्णु के विभिन्न अवतार का वर्णन नृत्य के द्वारा पेश कर मन मोह लिया।