रूपसपुर व कंकड़बाग में शुरू हुई बीट पुलिसिंग, अब लोगों से घुल-मिलकर ली जाएंगी जानकारियां Patna News
पटना के रूपसपुर और कंकड़बाग थाना क्षेत्रों में बीट पुलिसिंग की शुरुआत कर दी गई है। फिलहाल इसे प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है।
By Edited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 08:29 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 10:24 AM (IST)
पटना, जेएनएन। अपराध पर लगाम लगाने के लिए राजधानी पुलिस एक बार फिर चौकीदारी प्रथा को अमल में लाने की तैयारी कर रही है। बदलते परिवेश में इसे प्रथा को 'बीट पुलिसिंग' कहा जाता है। रूपसपुर और कंकड़बाग थाना क्षेत्रों में बीट पुलिसिंग की शुरुआत कर दी गई है। फिलहाल, इसे प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है। एसएसपी गरिमा मलिक ने बताया कि प्रयोग सफल रहा तो जिले के सभी थानों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी।
जैसे पहले एक चौकीदार को किसी टोले-मोहल्ले का जिम्मा सौंपा जाता था। वह उस इलाके के वाशिंदों से घुल-मिलकर रहता था। ठीक इसी तरह रूपसपुर व कंकड़बाग थानों में तैनात क्विक मोबाइल के जवानों को भी बीट मुहैया करा दिया गया है।
2005 में भी हुई थी बीट पुलिसिंग
मालूम हो कि वर्ष 2005 में बीट पुलिसिंग को पटना जिले में प्रभावी किया गया था। इसका सार्थक परिणाम पटना पुलिस को मिला। अपराधी या तो जेल गए या फिर शहर छोड़कर भाग निकले। समय बीतने के साथ व्यवस्था चरमराती चली गई और 2012 के बाद पूरी तरह ध्वस्त हो गई। इसके पीछे का कारण अधिकारियों ने बल की कमी बताया था। इसके बाद अपराध नियंत्रण के लिए कम्युनिटी पुलिसिंग, साइकिल गश्ती जैसे प्रयोग भी हुए थे, लेकिन वे सफल नहीं हो सके।
जैसे पहले एक चौकीदार को किसी टोले-मोहल्ले का जिम्मा सौंपा जाता था। वह उस इलाके के वाशिंदों से घुल-मिलकर रहता था। ठीक इसी तरह रूपसपुर व कंकड़बाग थानों में तैनात क्विक मोबाइल के जवानों को भी बीट मुहैया करा दिया गया है।
2005 में भी हुई थी बीट पुलिसिंग
मालूम हो कि वर्ष 2005 में बीट पुलिसिंग को पटना जिले में प्रभावी किया गया था। इसका सार्थक परिणाम पटना पुलिस को मिला। अपराधी या तो जेल गए या फिर शहर छोड़कर भाग निकले। समय बीतने के साथ व्यवस्था चरमराती चली गई और 2012 के बाद पूरी तरह ध्वस्त हो गई। इसके पीछे का कारण अधिकारियों ने बल की कमी बताया था। इसके बाद अपराध नियंत्रण के लिए कम्युनिटी पुलिसिंग, साइकिल गश्ती जैसे प्रयोग भी हुए थे, लेकिन वे सफल नहीं हो सके।
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